Vegetables To Avoid For Better Digestion: बारिश के मौसम में लोगों के साथ सिर्फ वायरल संक्रमण, फ्लू या बुखार ही नहीं, बल्कि पाचन संबंधी समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है। इसलिए इन दिनों पाचन को दुरुस्त रखने के लिए कुछ जरूरी सावधानियां बरतने की सलाह दी जाती है। बरसात के मौसम में हमारी पाचन अग्नि (Digestive Fire) प्राकृतिक रूप से मंद होती है। लेकिन ऐसे में अगर पचने में भारी और प्रकृति में ठंडे फूड्स का अधिक सेवन करते हैं, तो यह आपकी पाचन शक्ति को कमजोर बनाते हैं। इनकी वजह से आपको अपच, पेट में गैस, एसिडिटी, ठीक से पेट साफ न होना और ब्लोटिंग आदि जैसी समस्याएं भी देखने को मिल सकती हैं। आपको यह जानकार भी थोड़ी हैरानी हो सकती है कि इन दिनों आपके द्वारा खाए जाने वाली सब्जियां भी पाचन को नुकसान पहुंचा सकती हैं। इसलिए मानसून में इन सब्जियों से परहेज करना जरूरी है। बेहतर और मजबूत डाइजेशन के लिए आपको कौन-कौन सी सब्जियां खाने से बचना चाहिए, आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. नितिका कोहली ने एक इंस्टाग्राम पोस्ट में इसके बारे में विस्तार से बताया है। इन सब्जियों के बारे में जानने के लिए आगे पढ़ते रहें...
बेहतर डाइजेशन के लिए न खाएं ये 5 सब्जियां- Vegetables To Avoid for better digestion In Hindi
1. शिमला मिर्च (Bell Pepper)
शिमला मिर्च की कच्ची और ठंडी प्रकृति पाचन अग्नि को अधिक मंद कर सकती है, जिससे पेट में एसिडिटी के साथ ही वात और पित्त दोष में वृद्धि हो सकती है।
2. पालक (Spinach)
बरसात के मौसम में पालक के सेवन से बचने की सलाह दी जाती है। क्योंकि यह शरीर में वात और पित्त दोष को बढ़ाता है और कफ दोष को कम करता है। इन दिनों पालक का सेवन कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। यह बारिश के मौसम में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल संक्रमण और पाचन संबंधी समस्याओं का कारण कारण भी बन सकता है।
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3. गोभी (Cauliflower)
गोभी भी प्रकृति में ठंडी होती है। इसमें अच्छी मात्रा में पानी होता है। इसका सेवन करने से पाचन अग्नि मंद होती है। यह शरीर में वात दोष को बढ़ाती है, साथ ही कफ और पित्त दोष को कम करती है। इस तरह यह हमारे पाचन को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है।
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4. पत्ता गोभी (Cabbage)
यह प्रकृति में ठंडी और पचने में भारी होती है। यह बरसात के मौसम में हमारी पाचन अग्नि को प्रभावित कर सकती है।
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5. टमाटर (Tomato)
टमाटर प्रकृति में गर्म और खट्टा होता है। यह पेट में एसिडिटी का कारण बनता है। साथ ही, शरीर में त्रिदोष (वात, पित्त और कफ) के संतुलन को भी प्रभावित कर सकता है। इसलिए आपको इनका सेवन भी सीमित मात्रा में ही करना चाहिए।
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