आसान नहीं होता किसी बीमारी की वैक्सीन बनाना, दुनिया ने इतिहास में देखे हैं इन 4 वैक्सीन के घातक दुष्परिणाम

कोविड की दो स्वदेशी वैक्सीन को मंजूरी मिल गई है ऐसे में उन वैक्सीन के बारे में भी जानेंगे, जिनके दुष्परिणाम सामने आए थे। पढ़ते हैं इनके बारे में...
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आसान नहीं होता किसी बीमारी की वैक्सीन बनाना, दुनिया ने इतिहास में देखे हैं इन 4 वैक्सीन के घातक दुष्परिणाम


जब जब दुनिया में किसी गंभीर बीमारी या महामारी ने अपने पैर पसारने की कोशिश की है तब तब उसके खिलाफ बने टीके ने जीवन को बचाया भी है। इन दिनों दुनिया कोरोना वायरस से लड़ने के लिए हर मुमकिन कोशिश कर रही है। हर देश में अपनी वैक्सीन को लेकर तैयारी जोरो-शोरों से चल रही है। वहीं भारत में तो औषधि नियामक द्वारा दो टीके (कोवैक्सीन और कोवीशिल्ड) को आपात इस्तेमाल करने की अनुमति मिल गई है। बता दें कि टीके के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों परिणाम सामने आते हैं। पुराने समय में देखा गया कि कुछ बीमारी के खिलाफ बने टीके के दुष्परिणाम सामने आए। टीकों और उनके दुष्परिणामों पर डालते हैं एक नजर...

vaccine

पोलियो की वैक्सीन

साल 1955 में साल्क पोलियो की वैक्सीन बनी थी जो जल्दबाजी जारी कर हो गी थी। इस जल्दबाजी के कारण दुष्परिणाम सामने आए थे। ये वैक्सीन काफी बड़े  बड़े स्तप पर बनाई गई थी। लेकिन थोड़ी सी गड़बड़ी के कारण 10 बच्चों की मौत भी हो गई थी और 164 बच्चों के शरीर पर दुष्प्रभाव नजर आए थे।

खसरे का टीकाकरण

डब्ल्यूएचओ के अनुसार, वर्तमान में इसके मामले स्थिर हो गए हैं। लेकिन कुछ देश ऐसे भी हैं जो अभी भी इस बीमारी से जूझ रहे हैं। साल 1960 में काफी संख्या में बच्चों को टीकाकरण प्राप्त हुआ जिसके दुष्परिणाम सामने आए और कुछ बच्चे फेफड़ों की सूजन के कारण अस्पताल में भर्ती भी हुए। इस घटने के बाद वैक्सीन को मार्केट से उठा लिया गया और बाद में सुधार के बाद फिर से लोगों के संपर्क में लाया गया। 

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डेंगू का टीकाकरण

फ्रांसीसी कंपनी ने डेंगू के लिए एक वैक्सीन का उत्पादन किया। इस वैक्सीन का नाम डेंगूक्सिया था। ये टीका 2017 में स्कूली बच्चों को दिया गया था।पर इसके दुष्परिणाम देखने को मिले और गंभीर स्वास्थ्य परेशानिओं और मृत्यु की रिपोर्ट के चलते सरकार ने इस टीके पर रोक लगा दी। बाद में टीके में सुधार के बाद इसे मंजूरी मिल गई।

आरएसवी (रेस्पिरेटरी सिंक्राइटियल वायरस) का टीकाकरण

आरएसवी को रोकने के लिए साल 1960 में एक वैक्सीन जारी की गई थी। लेकिन जिन बच्चों को ये टीकाकरण लगवाया उनमें तेज बुखार, घरघराहट और ब्रोंकोफेजोनिया के दुष्प्रभाव देखे गए। जिसके कारण लोगों को अस्पताल में भर्ती करना पड़ा और दो बच्चों की मौत भी हो गई।   

वैक्सीन क्या होती है?

जैविक पदार्थों से बने द्रव्य को वैक्सीन कहते हैं। इसके माध्यम से शरीर के अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं और शरीर में पैदा हुए सूक्ष्मजीवों को खत्म करती है। वैक्सीन बीमारी को कंट्रोल करने के साथ-साथ उन लोगों की मदद भी करती जो किसी वायरस के शिकार नहीं हुए हैं।

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किन बीमारियों की वैक्सीन आ गई हैं?

WHO के अनुसार दुनिया में लगभग 20 से अधिक बीमारियों को टीकों के जरिए नियंत्रिक किया जा रहा है। ये बीमारिया निम्न प्रकार है- कालरा, डेंगू, डिप्थीरिया, हेपेटाइटिस, हिमोफिलस इंफ्लूएंजा टाइप-बी(HIB), HPV, इंफ्लूएंजा, जापानी एन्सेफलाइटिस, मलेरिया, चेचक, मेनिंगोकोकल मेनिनजाइटिस, Mumps, Pertussis, न्यूमोनिया, पॉलिमेलिटिस, रेबीज, रोटावायरस, टेटनस, टिक-बॉर्न एन्सेफलाइटिस, टीबी, टाइफायड, वेरिसेल्ला, यलो फीवर।

इन बीमारियों की वैक्सीन बननी बाकी है

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, कई बीमारियों के टीके पर काम जारी है। जैसे: चिकनगुनिया, डेंगू, Herpes Simplex Virus, HIV-1, Human Hookworm Disease, नीपा वायरस, नोरो वायरस आदि बीमारियों से दुनिया में कई एरिया अब भी लड़ रहे हैं।

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