डायबिटीज पीड़ित छात्र क्लास में इस्तेमाल कर सकेंगे इंसुलिन और ग्लूकोमीटर, यूपी सरकार ने बदले नियम

उत्तर प्रदेश में अब टाइप 1 और जुवेनाइल डायबिटीज से पीड़ित छात्र कक्षा में इंसुलिन और ग्लूकोमीटर और डायबिटीज में काम आने वाली चीजें ले जा सकेंगे।
  • SHARE
  • FOLLOW
डायबिटीज पीड़ित छात्र क्लास में इस्तेमाल कर सकेंगे इंसुलिन और ग्लूकोमीटर, यूपी सरकार ने बदले नियम


टाइप 1 और जुवेनाइल डायबिटीज से पीड़ित छात्र अब कक्षा में इंसुलिन और ग्लूकोमीटर ले जा सकेंगे। National Commission for Protection of Child Rights (NCPCR) द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों के बाद राज्य सरकार ने इस प्रावधान को लागू किया है। दरअसल, डायबिटीज से ग्रस्त छात्रों को हो रही कठिनाई को कम करने के लिए ये फैसला लिया गया है। NCPCR ने कहा कि बच्चे दिन का एक तिहाई हिस्सा स्कूल में ही बिताते हैं तो ऐसे में स्कूल की जिम्मेदारी बनती है कि उनका ध्यान रखें। 

परीक्षा के बीच भी दी जाएगी खाने-पीने की अनुमति  

National Commission for Protection of Child Rights के मुताबिक यह ऑर्डर केवल पहली से आठवीं कक्षा के छात्रों के लिए ही लागू किया जा रहा है। गाइडलाइन के मुताबिक टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित छात्रों को ब्लड शुगर लेवल चेक करने, इंसुलिन लेने, शुगर की गोलियां, सुबह का नाश्ता, दोपहर में कुछ खाने या फिर चिकित्सक द्वारा सुझाई गई गतिविधियां करने की भी अनुमति दी जानी चाहिए। ऐसे में अध्यापकों को छात्रों को ये सभी चीजें करने की अनुमिति देनी चाहिए। अब परीक्षा देते समय भी छात्र ये गतिविधियां कर सकेंगे। इस संदर्भ में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को निर्देशित किया गया है। 

इसे भी पढ़ें - डायबिटीज के मरीज को रोजाना कितना कार्ब्स खाना चाहिए? जानें डायटीशियन की राय

इंसुलन पंप भी ले जा सकेंगे छात्र 

छात्र खाने-पीने की जरूरी चीजें जैसे मूंगफली, ड्राई फ्रूट्स, बिसकुट, फल आदि के साथ ही इंसुलिन पंप और Continous Glucose Machine भी रख सकेंगे। यही नहीं अगर इसे ट्रैक करने के लिए अगर स्मार्टफोन की जरूरत पड़ती है तो ऐसे में अध्यापकों और निरिक्षक को स्मार्टफोन देकर उसकी निगरानी करने के लिए भी कहा गया है।

sugar

बच्चों को टाइप 1 डायबिटीज से बचाने की टिप्स 

एससीपीएम हॉस्पिटल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ शेख जफर के मुताबिक बच्चों में टाइप 1 डायबिटीज से बचने के लिए उन्हें पौष्टिक डाइट ही देनी चाहिए। खान-पान और लाइफस्टाइल पर ध्यान देकर इस समस्या से बचा जा सकता है। इसके लक्षण दिखने पर चिकित्सक की सलाह ली जानी चाहिए। ऐसे में बच्चे को वायरल इंफेक्शन होने पर उसे कम किया जाना चाहिए क्योंकि इससे भी टाइप 1 डायबिटीज का जोखिम बना रहता है।

Read Next

सरकार ने संसद में रखा स्वास्थ्य से जुड़े दो नए बिलों का प्रस्ताव, जानें पारित होने पर लोगों को मिलने वाले फायद

Disclaimer

How we keep this article up to date:

We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.

  • Current Version