डाइबिटीज (Diabetes Control Tips) से पीड़ित लोगों की संख्या दुनियाभर में बड़ी तेजी से बढ़ रही है। इस बीमारी को अक्सर खराब लाइफस्टाइल से जोड़ कर देखा गया है, जबकि इसके पीछे कई अन्य कारण भी हैं। डाइबिटीज से पीड़ित लोगों में ब्लड शुगर पचाने की पूरी प्रक्रिया में इंसुलिन का बहुत योगदान होता है। इंसुलिन हमारे शरीर में बनने वाला एक ऐसा हॉर्मोन है, जो हमारे ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करता है और डाइप-1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes diet) से पीड़ित लोगों में ये बनाना ही बंद कर देता है। पर हाल ही में आया शोध बताता है कि अगर डाइप-1 डायबिटीज वाले लोग प्लांड आधारित चीजों का सेवन (Plant Based Diet Health Benefits) करें, तो ये इंसुलिन के रिलीज पर गहरा असर डाल सकता है और इस तरह ये इसे बेहतर बना सकता है।
क्या कहता है ये शोध?
जर्नल ऑफ डायबिटीज एंड मेटाबॉलिज्म (Journal of Diabetes & Metabolism) में प्रकाशित इस अध्ययन में पता चला है कि पौधे-आधारित आहार जो कार्बोहाइड्रेट में समृद्ध हैं, ये टाइप 1 मधुमेह वाले लोगों में इंसुलिन संवेदनशीलता और अन्य स्वास्थ्य मार्करों को बेहतर बनाने में मदद करते हैं।
केस स्टडीज फिजिशियन्स कमेटी फॉर रिस्पॉन्सिबल मेडिसिन के शोधकर्ताओं द्वारा आयोजित किए गए थे और इसमें टाइप 1 डायबिटीज की मरीज एक महिला का अध्ययन किया गया। अध्ययन के दौरान शुरुआत मरीज को कम कार्बोहाइड्रेट यानी प्रति दिन 30 ग्राम से कम कार्बोहाइड्रेट दे कर की गई और उच्च वसा वाला आहार जो मांस और डेयरी प्रोडक्ट्स वाले थे उन्हें खाने से बचने को कहा गया। ऐसे में पीड़ित का ब्लड शुगर धीरे-धीरे स्थिर होने लगा। लेकिन मरीज को प्रति ग्राम कार्बोहाइड्रेट के लिए अधिक इंसुलिन की आवश्यकता थी। उसका कुल कोलेस्ट्रॉल भी 175 से बढ़कर 221 mg / dL हो गया।
दूसरे मामले के अध्ययन में एक 42 वर्षीय पुरुष टाइप 1 मधुमेह रोगी को केस स्टडी के रूप में लिया गया। शोधकर्ताओं ने उल्लेख किया पहले वाले अध्ययन जैसा ही इन अध्ययन में भी हुआ। इसमें उच्च कार्बोहाइड्रेट, उच्च फाइबर आहार लेने से टाइप 1 मधुमेह वाले 10 लोगों में ग्लाइसेमिक नियंत्रण में सुधार किया।
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कोलेस्ट्रॉल के स्तर में भी आई कमी
इसके बाद थोड़े और वक्त तक मरीज को प्लांड आधारित डाइट पर रहने को कहा गया और पूरी तरह ये उसके डाइट में अंडे और मीट की कटौती की गई। इस तरह उसके डाइट में स्थानांतरण करने के बाद, वह अपनी इंसुलिन की खुराक को कम करने में सक्षम थी। साथ इससे उसके कोलेस्ट्रॉल के स्तर में भी एक भारी गिरावट नजर आई। यह अध्ययन इस भ्रांति को भी चुनौती देता है कि मधुमेह होने पर कार्ब्स से दूर रहना चाहिए। इस मामले के अध्ययन में रोगी ने विपरीत अनुभव किया है। रोगी ने पाया कि अपने आहार में अधिक स्वास्थ्यवर्धक कार्बोहाइड्रेट को शामिल करने से उसका ग्लाइसेमिक नियंत्रण स्थिर हो गया, उसकी इंसुलिन की जरूरत कम हो गई और उसके समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा मिला।
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इस तरह इस शोध की मानें, तो कम फैट वाले, पौधे-आधारित आहार भी टाइप 2 मधुमेह वाले लोगों के भी फायदेमंद हो सकते हैं। वहीं शोध में ये भी बताया गया है कि जो लोग पौधे आधारित आहार खाते हैं, उनमें मांसाहारियों की तुलना में टाइप 2 मधुमेह के विकास का लगभग आधा जोखिम होता है। तो अगर आप भी डाइप-1 डायबिटीज या डायबिटीद से पीड़ित हैं, तो मछली, अंडा और मीट छो़ड़ कर कुछ दिन बस शुद्ध शाकाहारी भोजन ही खा कर देखें।
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