भाई-बहन में हमेशा रहती है तकरार? इन 4 तरीकों से सिखाएं बच्चों को अपने भाई-बहन का रखना ख्याल

आपके बच्चों में एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा है तो ठीक है, लेकिन अगर आपके बच्चे लगातार एक दूसरे का नीचा दिखा रहें है, तो आपको अब हस्तक्षेप करना होगा।

Pallavi Kumari
Written by: Pallavi KumariUpdated at: Dec 22, 2019 11:00 IST
भाई-बहन में हमेशा रहती है तकरार? इन 4 तरीकों से सिखाएं बच्चों को अपने भाई-बहन का रखना ख्याल

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बच्चे की अच्छी परवरिश माता-पिता की जिम्मेदारी होती है। वहीं जिन लोगों के दो या इससे ज्यादा बच्चे होते हैं उनके लिए ये चैलेंज और ज्यादा बढ़ जाता है। दो बच्चों को साथ में पालने में उन्हें कई सारे मूलभूत चीजें सीखानी पड़ती है, ताकि वे अपने बाकी भाई-बहनों के साथ झगड़ा न करें। कई बार एक ही घर के दो बच्चों में कई तरह के भिन्नताएं पाई गई हैं, जो कभी-कभी अच्छी नहीं होती। कभी-कभीर आप कुछ घरों में पाएंगे कि उनके बच्चे अपने भाई-बहनों के बीच एक हेल्दी रीलेशन नहीं रखते। वो एक दूसरे की इज्जत नहीं करते, एक दूसरे से लड़ाई करते हैं और कभी-कभार इससे किसी एक बच्चे को सच में परेशानी भी हो सकती है। ऐसे में अगर आप इसे अच्छी तरह से प्रबंधित नहीं करते हैं, तो बच्चों के बीच की प्रतिद्वंद्विता एक गंभीर मुद्दे में बदल सकती है। स्वस्थ प्रतिस्पर्धा ठीक है, लेकिन अगर आपके बच्चे लगातार ऐसी चीजों को कर रहे हैं, जो एक दूसरे का नीचा दिखाता है तो ये गलत है। इस तरह के झगड़े आपके पारिवारिक जीवन को खराब कर सकते हैं। तो आइए जानते हैं बच्चों को उनके भाई-बहनों के साथ लड़ने से कैसे रोका जाए। 

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अपने दो बच्चों में कभी न करें तुलना 

एक बच्चे की दूसरे के साथ तुलना करना एक बहुत बड़ी गलती हो सकती है। अगर आप तुलना कर रहे हैं, तो ये स्वस्थ हो इस बात का ख्याल रखें। आपके लिए आपका हर बच्चा अद्वितीय। इसलिए, यदि आपके बच्चों में से एक दूसरे की तुलना में बेहतर है, तब भी आप दोनों की खास क्षमताओं की बात करें। न कि किसी एक ही खास क्षमताओं के बारे में। जब यह शैक्षणिक क्षमताओं की बात आती है, तो उसकी उपलब्धियों पर गीन न गाएं और दूसरे बच्चे के कमजोर बिंदुओं को उजागर न करें । अपने प्रत्येक बच्चे को किसी भी प्रकार की हीन भावना से पीड़ित हुए बिना अपने व्यक्तिगत कौशल सेट को विकसित करने दें।

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छोटे-मोटे झगड़ों पर भी ध्यान दें

भाई-बहन के बीच का झगड़ा यूं तो कभी इतना खराब नहीं होता है, पर फिर भी मां-बाप को इस पर ध्यान देने की जरूरत है। मां-बारप को चाहिए कि झगड़े बदसूरत होने लगें तो हस्तक्षेप करें। लेकिन बहुत ज्यादा डांट की भी जरूरत नहीं है। इसके अलावा, इस तरह के झगड़े के दौरान, उनमें से किसी को विजेता घोषित किए बिना, यथासंभव निष्पक्ष रहने का प्रयास करें। इसके बजाय उन्हें बताएं कि मतभेद हो सकते हैं, लेकिन उन्हें मुद्दों को स्वयं सुलझाने की जरूरत है। अन्यथा आपको सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व के लिए कुछ जमीनी नियमों को हस्तक्षेप करने और निर्धारित करने की आवश्यकता है।

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बच्चों को शेयरिंग के साथ रहना सिखाएं

अपने बच्चों को समझाएं कि कैसे एक दूसरे का ख्याल रखना है और जरूरत में काम आना है। उन्हें एक दूसरे के साथ शेयरिंग करना सिखाएं। उन्हें बताएं कि भाई-बहन के झगड़ों के बावजूद बहुत प्यार होता है और एक दूसर की फिक्र होती है। किसी भी माता-पिता के लिए उनके बच्चों को एक उम्र के बाद एक दूसरे का ख्याल रखने का तरीका बताना चाहिए। याद रखें कि अपने बड़े बच्चे को अपने छोटे भाई-बहनों के साथ प्यार से रहना सिखाएं तो छोटे बच्चे को बड़े भाई-बहन का आदर करना भी बताएं। हर तरह से कोशिश करें कि वो एक दूसरे को प्यार करना और समय पर मदद करने की कला सीखें। अगर आप अइपने बच्चों को सीखा पाएंगे तो वो आगे भी एक-दूसरे के साथ प्यार से ही रहेंगे।

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बच्चों को सॉरी और थैंक यू का महत्व बताएं

अगर आपका बच्चा बहुत ज्यादा झगड़ा करता है और लोगों से नाराज रहता है तो उन पर खास ध्यान दें। ये इसलिए भी क्योंकि इससे उनके आगे की परेशानियां और बढ़ सकती हैं। ऐसे में आप अपने बच्चों को मतभेदों और मनभेदों के बीच का फक्र समझाएं, खासकर अगर वे किशोर उम्र के हैं तो। अपने बच्चे को बताएं कि कैसे गलतियों पर एक दूसरे को माफ भी किया जा सकता है। एक दूसरे को कई चीजों के लिए कैसे शुक्रिया कह कर चीजों को आसान बनाया जा सकता है। थैंक यू बोलने की कला अगर आपके बच्चे में है तो उनमें आपसी अपनापन भी बढ़ेगा। वहीं अगर उन्हें सॉरी बोलना और अपनी गलती मानने आती है, तो वो जीवन में आगे भी कई परेशानियों से बचे रहेंगे।

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