
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने कोरोना वायरस के संक्रमण के बारे में सामने आ रहे सबूतों के आधार पर कहा है कि न सिर्फ गर्भावस्था में मां से शिशु में कोरोनावायरस का संक्रमण संभव है, बल्कि प्रसव के समय भी बच्चा मां से संक्रमित हो सकता है। इसी खतरे को देखते हुए इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने COVID-19 महामारी के दौरान प्रेग्नेंट महिलाओं की देखभाल से जुड़ी कुछ गाइडलाइन जारी की है। इन गाइटलाइन्स में प्रेग्नेंट महिलाओं की देखभाल से जुड़ी चीजों के अलावा डिलीवरी रूम में मौजूद रहने वाले सभी हेल्थकेयर वर्कर्स को पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (PPE) के इस्तेमाल की सलाह दी गई है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने ये गाइटलाइन्स 13 अप्रैल को जारी की थी। हालांकि आईएमसीआर ने ये भी साफ किया है कि प्रेगनेंसी के दौरान शिशु में इसका कितना खतरा है और नवजात शिशु पर इसका कितना असर हो सकता है, इसके बारे में अभी और अध्ययन किया जा रहा है।
आईसीएमआर ने हालांकि स्पष्ट किया कि गर्भस्थ और नवजात शिशु में संक्रमण के अनुपात का निर्धारण अभी नहीं किया जा सका है। परिषद ने कहा कि अभी तक मां के दूध में कोरोना के संक्रमण की पुष्टि करने वाला कोई मामला सामने नहीं आया है। साथ ही इस तरह के कोई आंकड़े भी उपलब्ध नहीं हैं जो इस वायरस के कारण गर्भपात होने या समय पूर्व प्रसव के खतरे की प्रमाणिक पुष्टि करते हों।
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गर्भवती महिलाओं की विशेष देखभाल करने की जरूरत
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा गया है गर्भवती महिलाओं के चिकित्सकों को कोरोना वायरस से संक्रमित महिलाओं की विशेष रूप से देखभाल करने की जरूरत है। इसके अलावा इन्हें सारे नेशनल मेडिकल प्रोटोकॉल भी फॉलो करने को कहा है। रिपोर्ट में डॉक्टरों में कहा गया है कि कोरोना वायरस संक्रमित महिलाओं की एक केस हिस्ट्री तैयार की जानी चाहिए, जिससे उसके अंदर होने वाले बदलावों के बारे में पता लगाकर उसी हिसाब से उसका इलाज किया जा सके।
अस्पतालों को भी दिए विशेष निर्देश
अस्पतालों को विशेष निर्देश देते हुए ICMR ने कहा है कि अगर मां कोरोनावायरस से संक्रमित हो, तो जन्म के बाद शिश को मां से अलग ही रखा जाए। अस्पतालों में ये सतर्कता तब तक बरती जाए, जब तक मां पूरी तरह ठीक नहीं हो जाती और शिशु पर कोरोना का कोई असल नहीं दिखता।
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वायरस में टेराटोजेनिक होने के कोई सबूत नहीं मिले हैं
ICMR का साथ ये भी कहना है कि अभी हम ऐसे आंकड़ें नहीं हैं, जिससे यह पता लगाया जा सके कि गर्भावस्था में कोरोनावायरस से कितन नुकसान और जोखिम होता है। इसलिए रिपोर्ट में कहा गया है कि अभी वायरस में टेराटोजेनिक होने के कोई सबूत नहीं मिले हैं। वहीं गर्भवती महिलाओं के लिए गाइडलाइन जारी करते हुए आईसीएमआर ने ये भी कहा कि गर्भावस्था के दौरान कई महिलाओं में निमोनिया की शिकायत मिली है, लेकिन यह गंभीर समस्या नहीं है। उन्होंने कहा कि ऐसी महिलाओं का इलाज करते समय देखा गया है कि वह जल्दी ठीक हो जाती हैं। लेकिन इस दौरान हृदय रोग वाली गर्भवती महिलाओं को सबसे अधिक खतरा हो सकता है। वहीं WHO के मुताबिक, COVID-19 से ग्रसित महिलाएं अगर चाहें तो शिशु को स्तनपान करा सकती हैं, लेकिन स्तनपान के दौरान स्वच्छता का खास ख्याल रखना चाहिए। ऐसे में मां मास्क पहनें, बच्चे को छूने से पहले और बाद में हाथ धोएं और नियमित रूप से उन सतहों की सफाई करते रहें जिसे छूआ गया हो।
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