शरीर में ज्यादा आयरन भी हो सकता है नुकसानदायक, बना सकता है अस्थमा का शिकार

ज्यादा आयरन फेफड़ों के सेल्स में जमा होकर अस्थमा का रोगी बना सकता है। जानें किन्हें बरतनी चाहिए सावधानी और किन्हें है ज्यादा खतरा।
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शरीर में ज्यादा आयरन भी हो सकता है नुकसानदायक, बना सकता है अस्थमा का शिकार

आयरन हमारे शरीर के लिए एक जरूरी तत्व है। शरीर में आयरन की कमी होने पर एनीमिया हो जाता है। यही कारण है कि बचपन से ही हमें हरी सब्जियां और पालक खाने को कहा जाता है। मगर क्या आप जानते हैं कि आयरन की अधिकता भी हमारे शरीर के लिए घातक हो सकती है? जी हां, हाल में हुई एक स्टडी के मुताबिक फेफड़ों में आयरन की मात्रा ज्यादा होने पर व्यक्ति को अस्थमा का खतरा होता है। इस अध्ययन के अनुसार लंग सेल्स (फेफड़ों की मांसपेशियों) और टिशूज में आयरन के बढ़ने से एनीमिया के घातक लक्षण उभर सकते हैं और व्यक्ति के फेफड़ों को फंक्शन करने में परेशानी आ सकती है। इस अध्ययन को European Respiratory Journal में छापा गया है।

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क्यों जरूरी है शरीर के लिए आयरन

आयरन हमारे शरीर के लिए एक जरूरी पोषक तत्व माना जाता है। हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन के सिंथेसिस में आयरन महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हीमोग्लोबिन एक ऐसा मॉलीक्यूल होता है, जो ऑक्सीजन को बांधता है और शरीर के सभी हिस्सों में सेल्स तक पहुंचाता है, ताकि वो ऊर्जा बना सकें। कुल मिलाकर आप इसे ऐसे समझ सकते हैं कि अगर शरीर में आयरन की कमी होगी, तो हीमोग्लोबिन की भी कमी होगी और फलस्वरूप शरीर पर्याप्त एनर्जी नहीं बना पाएगा और आप हर समय थकान महसूस करेंगे।

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क्यों जमा होता है शरीर में आयरन?

आयरन हमें खाने-पीने की चीजों से मिलता है। शरीर में आयरन का रेगुलेशन कई स्तरों पर होता है, ताकि शरीर में इसकी अधिकता और कमी को मैनेज किया जा सके। लेकिन कई बार जब आप बहुत ज्यादा आयरन का सेवन कर लेते हैं, तो ये सेल्स में जाकर जमा होने लगता है। ऐसी स्थिति में सेल्स नॉर्मल फंक्शन नहीं कर पाती हैं। यही जमाव अगर फेफड़ों की सेल्स में हो जाए तो अस्थमा का कारण बनता है। हालांकि एक्सपर्ट्स के मुताबिक फेफड़ों की समस्याओं का खतरा उन बच्चों को ज्यादा होता है, जिनकी मांओं में उनके जन्म के समय आयरन की कमी होती है।

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फेफड़ों को कैसे प्रभावित करता है आयरन?

अध्ययन के अनुसार जब किसी व्यक्ति के फेफड़ों के सेल्स में ज्यादा आयरन जमा हो जाता है, तो इंफ्लेमेशन का कारण बनता है। इंफ्लेमेशन यानी सूजन के कारण म्यूकस (बलगम) ज्यादा बनता है और श्वासनली संकरी हो जाती है। ये तीनों ही बातें मिलकर अस्थमा के लक्षण पैदा करने लगती हैं। ऐसी स्थिति में मरीज के लिए सांस लेना मुश्किल हो जाता है और उसके फेफड़ों को पर्याप्त ऑक्सीजन मिलना बंद हो जाता है।

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किन्हें रहना चाहिए सावधान

वैज्ञानिकों ने शोध के दौरान इस बात का खास ख्याल रखा कि कहीं कोई जर्म या दूसरा फैक्टर तो अस्थमा को नहीं बढ़ा रहा है। इसलिए वे अपने शोध को लेकर कॉन्फिडेंट थे। वैसे एक्सपर्ट्स कहते हैं कि अगर आप आयरन की कमी पूरी करने के लिए नैचुरल फूड्स का सेवन करते हैं, तो आपको इसका खतरा नहीं है। मगर यदि कोई व्यक्ति बिना डॉक्टर की सलाह के आयरन की गोली या मल्टीविटामिन कैप्सूल्स आदि ले रहा है, तो उसे सावधान हो जाना चाहिए।

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