अस्थमा एक ऐसी बीमारी है जिसमें व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ होती है क्योंकि उसके फेफड़ों तक सही मात्रा में ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती है। आमतौर पर धूल और प्रदूषण भरे माहौल और सर्दियों के मौसम में अस्थमा रोगियों की समस्याएं बढ़ जाती हैं। अस्थमा में कई बार व्यक्ति सही समय पर सांस नहीं ले पाता है इसलिए ये जानलेवा भी हो सकता है। अस्थमा रोगियों के लिए पासासन का अभ्यास बहुत फायदेमंद होता है। आइए आपको बताते हैं कैसे करें इस आसन का अभ्यास और क्या हैं इसके फायदे।
कैसे करें इस आसन का अभ्यास
- इस आसन को करने के लिए सबसे पहले ताड़ासन की मुद्रा में सीधे खड़े हो जाएं।
- अब अपने घुटनों को मोड़ते हुए सारा वजन अपने पैर पर रखते हुए बैठ जाएं।
- इस दौरान तलवों को जमीन पर स्थिर रखें।
- फिर शरीर के ऊपरी हिस्से को दाईं तरफ मोड़ें, शरीर का ऊपरी हिस्सा दाहिने घुटनों तक लाने का प्रयास कीजिए।
- अपना दाहिना हाथ ऊपर उठाएं और बायां पैर सामने की तरफ रखें।
- अब अपने बाएं हाथ को ऊपर उठाकर पीठ के पीछे ले जाएं और दाहिने हाथ को पकड़ें।
- फिर पीठ की तरफ से हाथों को ले जाकर एक हाथ से दूसरे हाथ को कसकर पकड़ लीजिए।
- फिर अपने सिर को ऊपर की तरफ ले जाकर लंबी सांस लें।
- लंबी सांसें 4-5 बार लें। फिर आराम से सामान्य स्थिति में आयें।
- अब शरीर के दूसरे तरफ से इस क्रिया को दोहरायें।
पासासन के लाभ
पासासन ऐसा योगासन है जो अस्थमा के साथ दूसरी बीमारियों को भी दूर करता है। इसके नियमित अभ्यास से शरीर को फिट रखा जा सकता है। मासिकधर्म, साइटिका, हल्का पीठ दर्द, कंधे का दर्द या फिर गर्दन के दर्द को ठीक करने में पासासन काफी अच्छा माना जाता है। यह पोज़ थोड़ा टेढ़ा-मेढ़ा जरुर है लेकिन लगातार अभ्यास करने से यह आसान हो जाता है। इस आसन से पीठ, कमर और एडि़यों की मसापेशियों में खिंचाव होता है। इससे पेट की समस्यायें भी ठीक हो जाती हैं।
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व्यायाम में ध्यान रखें ये बातें
- वाकिंग, लों इम्पेक्ट एरोबिक्स और स्वीमिंग जैसे लों इंटेसिटी वाले व्यायामों का चुनाव करें।
- यदि अस्थमा का दौरा पड़ता है, तो व्यायाम की इंटेसिटी को घटा दें।
- इ-आई-ए से बचने के लिए किसी भी व्यायाम को करने से पहले एक इन्हेलर का कई बार उपयोग कर लें।
- व्यायाम के पहले, व्यायाम के दौरान और व्यायाम के बाद अत्यधिक मात्रा में तरल पदार्थ का सेवन करें।
- वार्मअप और कूल डाऊन की अवधि को बढ़ा दें।
- कभी भी अत्यंत उच्च या अत्यंत निम्न तापमान और अत्यंत नमी जैसी परिस्थिति में व्यायाम न करें।
अस्थमा के मरीज हमेशा ध्यान रखें ये 10 बातें
- घबराए नही क्योंकि घबराने से मांस पेशियों पर तनाव बढ़ता है जिससे की सांस लेने में परेशानी बढ़ सकती है।
- हिम्मत न हारें और मुंह से सांस लेते रहें, फिर मुंह बंद करके नाक से सांस लें। धीरे धीरे सांस अन्दर की तरफ लें और फिर बाहर की तरफ छोड़े।
- सांस अन्दर की तरफ लेने और बाहर की तरफ छोड़ने के बीच में सांस न रोकें ।
- पीक फ्लो मीटर की मदद से अपने अटैक की स्थिति नापें। पीक फ्लो मीटर सस्ते इन्सट्रुमेट हैं जिनसे अटैक की स्थिति का पता चलता है।
- अगर हो सके तो इन्हेलेन्ट का प्रयोग करें और कोशिश करें हर 20 मिनट पर दो बार इन्हेलेन्ट का प्रयोग करने की।
- धुंए व धूल से दूर रहें।
- अपने ट्रीटमेंट के रिस्पांस को परखें। खराब रिस्पांस तब होता है जब आपको खांसी आयें। अच्छा रिस्पांस तब होता है जब आपको सांस लेने में अच्छा लगे और आराम महसूस हो।
- डाक्टर के द्वारा दिये गये निर्देशों का पालन करें अधिक परेशानी होने पर चिकित्सक से जल्दी से जल्दी संपर्क करें।
- डाक्टर के द्वारा दी दवाएं समय पर लें। अगर दवाओं से भी आपकी परेशानी ठीक नहीं हो रही तो याद रखें कि यह मौका खुद की मदद करने का है।
- अगर आपको सांस लेने में परेशानी बढ़ती जा रही है तो तुरंत धूल वाली जगह से दूर हट कर खड़े हो जायें।
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