
जब एक घर में 1 से ज्यादा बच्चे होते हैं तो वे एक दूसरे के साथ खेलकर, लड़कर, झगड़कर अपना मनोरंजन करते रहते हैं। लेकिन जब घर में केवल एक बच्चा होता है तो उसकी परवरिश में थोड़ा सा ध्यान रखने की जरूरत होती है। क्योंकि उसके मन में अकेलेपन की भावना कब पैदा हो जाए पता ही नहीं चलता। बता दें कि अकेले बच्चे से अक्सर माता-पिता कुछ उम्मीदें लगा बैठते हैं। वहीं बच्चे भी माता-पिता से उसी स्तर पर सपोर्ट चाहते हैं। ऐसे में दोनों को एक दूसरे को समझना जरूरी है। आज का हमारा लेख इसी विषय पर है। आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताइए कि इकलौते बच्चे की परवरिश करते वक्त किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। पढ़ते हैं आगे...

1 - अपनी अपेक्षाओं को ना थोपें
अकसर माता-पिता अपने अंदर छिपी इच्छाओं को अपने बच्चों पर थोपने की कोशिश करते हैं। इसके कारण बच्चा तनाव में रह सकता है। बता दें कि माता-पिता को समझने की जरूरत है कि बच्चों पर दबाव डालने से ना केवल बच्चे के विकास पर असर पड़ सकता है बल्कि बच्चे मानसिक तौर पर भी प्रभावित हो सकते हैं। ऐसे में अपनी इच्छाओं को थोपनें से बचें।
2 - ओवरप्रोटेक्टिव ना बनें
माता-पिता का अपने बच्चे को लेकर प्रोटेक्टिव होना स्वाभाविक है लेकिन माता-पिता को समझना होगा कि प्रोटेक्टिव और ओवर-प्रोटेक्टिव में फर्क होता है। ऐसे में यदि बच्चा कुछ अपना काम कर रहा है तो ऐसे में इंटरफेयर करना गलत हो सकता है। जीवन के कुछ फैसलों को बच्चे को खुद लेने दें। जब वह अपने फैसले खुद लेना शुरू करेगा तो उसका आत्मविश्वाश भी बढ़ेगा।
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3 - बच्चे को पर्सनल स्पेस दें
जब घर में केवल एक बच्चा होता है तो ऐसे में घर के सदस्य हर वक्त उसके आसपास मौजूद रहते हैं। ऐसे में बच्चे का पर्सनल स्पेस कहीं खो जाता है। ऐसे में पेरेंट्स की जिम्मेदारी है कि बच्चों को थोड़ा स्पेस दें। ऐसा करने से ना केवल बच्चा आपको एपना समय देगा बल्कि उसे आपके साथ बिताएं समय की कीमत के बारे में पता चलेगा।
4 - बाहर जानें से ना रोकें
बता दें कि जब घर में एक बच्चा होता है तो घर के सदस्यों की नजरें उसी बच्चे पर रहती हैं। ऐसे में अगर वो कहीं बाहर जाता है तो पेरेंट्स उसे रोकते हैं। ऐसे में बच्चा खुद को कैद समझ सकता है। ऐसे में माता पिता की जिम्मेदारी है कि वे अपने बच्चे को पूरी आजादी दें लेकिन हां दूर से उसका ख्लाय रखें, जिससे उसे अकेलेन का एहसास ना हों।
5 - जीवन के फैसले खुद लेने लें
जब घर में केवल एक बच्चा होता है तो माता-पिता चाहते हैं कि उसकी जीवन से जुड़ें सारे अहम फैसले वो करें। लेकिन एक समय ऐसा आता है जब बच्चा खुद अपने हाथों में अपने जीवन की कमान लेना चाहते हैं। ऐसे में माता-पिता को कुछ फैसले बच्चो के भी मानने चाहिए। वहीं अगर वो निर्णय सही नहीं हैं तो वे सही सुझाव भी दे सकते हैे।
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नोट - ऊपर बताए गए बिंदुओं से पता चलता है कि इकलौते बच्चे की परवरिश करते वक्त पेरेंट्स को जरूरी देखभाल की जरूरत है। इससे अलग पेरेंट्स को खुद भी समझना होगा कि इकलौते बच्चे को प्यार और उनकी अटेंशन की जरूरत होती है ऐसे में बच्चे आपसे जुड़ाव महसूस करेंगे।
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