मौजूदा दौर में अक्सर लोग थायराइड को बीमारी समझ लेते हैं लेकिन ऐसा है नहीं क्योंकि यह एक ग्रंथि है, जो हमारे गले में आगे की तरफ पाई जाती है। यह ग्रंथि तितली के आकार की होती है। थायराइड ग्रंथि शरीर के मेटाबॉल्जिम को नियंत्रण करती है। इसका मतलब है कि जो भी भोजन हम खाते हैं यह उसे उर्जा में तब्दील करने का काम करती है। थायराइड ग्रंथि टी3 यानी ट्राईआयोडोथायरोनिन व टी4 यानी थायरॉक्सिन हार्मोंन का निर्माण करती है और जब इस हार्मोन का स्राव असंतुलित हो जाता है, जिसे थायराइड की समस्या कहते हैं।
थायराइड पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में ज्यादा होता है क्योंकि इन हार्मोंस का सीधा असर हमारी सांस, ह्रदय गति, पाचन तंत्र और शरीर के तापमान पर पड़ता है। अगर आप भी चाहते हैं कि आप भी थायराइड से दूर रहें तो ये 9 कारण इसमें आपकी मदद कर सकते हैं।
थायरायडिस
यह सिर्फ एक बढ़ा हुई थायराइड ग्रंथि (घेंघा) की स्थिति है, जिसमें थायराइड हार्मोन बनाने की क्षमता कम हो जाती है।
सोया उत्पाद
सोयाबीन को प्रोटीन के सबसे अच्छा स्रोत में से एक माना जाता है। इसमें विटामिन, खनिज की भरपूर मात्रा होती है इसलिए लोग प्रोटीन के सेवन के लिए सोयाबीन को अपनी डाइट में शामिल करते हैं। हालांकि सोया उत्पादों में मौजूद ट्रांस फैट्स ह्रदय रोगों और मोटापे जैसी दिक्कतों को बढ़ावा देते हैं। इसोफ्लावोन गहन सोया प्रोटीन, कैप्सूल, और पाउडर के रूप में सोया उत्पादों का जरूरत से ज्यायदा प्रयोग भी थायराइड का कारण बन सकते हैं।
इसे भी पढ़ेंः सामान्य होते हैं थायराइड के शुरुआती लक्षण, नजरअंदाज न करें ये 5 संकेत
दवाएं
कौन नहीं जानता की दवाएं आपके स्वास्थ्य के लिए कितनी प्रभावकारी होती हैं लेकिन जरूरत से ज्यादा दवाएं और छोटी-छोटी बातों पर दवा का सेवन स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। कई बार दवाओं का प्रतिकूल प्रभाव (साइड इफैक्टप) भी थायराइड का कारण बनता है।
ह्य्पोथालमिक रोग
थायराइट की समस्या पिट्यूटरी ग्रंथि के कारण भी होती है क्यों कि यह थायरायड ग्रंथि हार्मोन को उत्पादन करने के संकेत नहीं दे पाती।
आयोडीन की कमी
शरीर में हर तत्व की संतुलित मात्रा आपको तंदरूस्त रखती है। उन्हीं तत्वों में से एक आयोडीन भी है। आयोडीन की कमी से थायराइड हार्मोन की कमी की समस्या भी पैदा होती है। दरअसल आयोडीन थायराइड ग्रंथि को अच्छी तरह से काम करने में मदद करता है। भोजन में आयोडीन की कमी या ज्यादा इस्तेमाल भी थायराइड की समस्या पैदा कर सकता है।
तनाव
तनाव हमारी जिंदगी का एक अभिन्न हिस्सा है इसके बारे में तो सभी जानते हैं लेकिन जब तनाव का स्तर दिन ब दिन बढ़ता जाता है तो यह हमारे थायरायड ग्रंथि को प्रभावित करना शुरू कर देता है। तनाव हमारे ग्रंथि हार्मोन के स्राव को बढ़ा देता है।
इसे भी पढ़ेंः दो तरह के होते हैं थायरॉइड डिसऑर्डर, एक्सपर्ट से जानें इसके लक्षण और उपचार
परिवार का इतिहास
कैंसर, ह्रदय रोगों का जोखिम या मधुमेह जैसी बीमारियों का एक कारण परिवार का इतिहास भी माना जाता है और डॉक्टर भी इस बात से इत्तेफाक रखते हैं। अगर आपके परिवार में किसी को थायराइड की समस्या है तो आपको थायराइड होने की संभावना ज्यादा रहती है।
ग्रेव्स रोग
ग्रेव्स रोग थायराइड का सबसे बड़ा कारण है। इसमें थायरायड ग्रंथि से थायरायड हार्मोन का स्राव बहुत अधिक बढ़ जाता है। ग्रेव्स रोग ज्यादातर 20 और 40 की उम्र के बीच की महिलाओं को प्रभावित करता है, क्योंकि ग्रेव्स रोग आनुवंशिक कारकों से संबंधित वंशानुगत विकार है, इसलिए थाइराइड रोग एक ही परिवार में कई लोगों को प्रभावित कर सकता है।
रजोनिवृत्ति
रजोनिवृत्ति के समय महिलाओं में कई प्रकार के हार्मोनल परिवर्तन होते हैं, जो कि कई बार थायराइड की वजह बनती है।
Read More Articles On Other Diseases In Hindi