What Is Thyroid Disorder: थायरॉइड डिसऑर्डर आमतौर पर थायरॉइड ग्रंथि की अधिक सक्रियता या फिर कम सक्रियता से होते हैं। सर्वाधिक पाए जाने वाले थायरॉइड डिसऑर्डर हैं- हायपरथायरॉइडिज्म (थायरॉइड गतिविधि में असाधारण वृद्धि), हाइपोथायरॉइडिज्म (थायरॉइड गतिविधि में असाधारण गिरावट), थायरॉइडाइटिस (थायरॉइड ग्रंथि में सूजन), गोइटर और थायरॉइड कैंसर। थायरॉइड की बीमारियों की जांच और इलाज बेहद आसान है।
अगर थायरॉइड ग्रंथि में थोड़ी सी भी सूजन नज़र आती है तो बिना किसी लापरवाही के इसकी तुरंत जांच करानी चाहिए। जब भी इसके संकेत देखने को मिलें तो एक मरीज़ को तत्काल डॉक्टर की सलाह लेनी ज़रूरी है। थायरॉइड पर नियंत्रण के लिए इसकी जल्द पहचान और इलाज दोनों ही महत्वपूर्ण है।
महिलाओं को थायरॉइड डिसऑर्डर का खतरा अधिक
भारत में थायरॉइड की समस्याएं लगातार बढ़ रही हैं और खासकर महिलाओं में इसके मामले अधिक देखे जा रहे हैं। इसका कारण यह है कि पुरुषों की तुलना में एक महिला के शरीर में हार्मोन असंतुलन की संभावना अधिक होती। महिलाएं हार्मोन संबंधी बदलावों के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं और आयोडीन की कमी के किसी भी संकेत से उनकी थायरॉइड प्रणाली में जटिलता अधिक बढ़ सकती है।
एक गर्भवती महिला को थायरॉइड डिसऑर्डर का खतरा अधिक होता है, खासकर तब जब उसके शरीर में थायरॉइड गतिविधि असाधारण रूप से अधिक या कम हो जाती है। महिला के शरीर में हार्मोन स्तर असंतुलित होने से विभिन्न प्रभाव देखने मिलते हैं, जैसे असामान्य माहवारी, असंतुलित या गैर-मौजूद ओव्युलेशन चक्र, पुटी का बनना, प्रसव के बाद थायरॉइडाइटिस, मिसकैरेज, समय पूर्व प्रसव, गर्भ में मृत शिशु की डिलीवरी, प्रसव के बाद रक्तस्राव, और जल्द रजोनिवृत्ति की शुरुआत भी हो सकती है।
शरीर में आयोडीन की कमी को आसानी से अपने आहार में नियंत्रण और नियमित व्यायाम से दूर किया जा सकता है। थायरॉइड की समस्याएं रोकने के लिए व्यस्कों को 150 एमसीजी आयोडीन का प्रतिदिन सेवन करने की सलाह दी जाती है। वहीं, गर्भवती महिलाओं के लिए यह मात्रा अधिक होती है।
हाइपोथायरॉइडिज्म के लक्षण
हाइपोथायरॉइडिज्म तब होता है जब थायरॉइड ग्रंथियां एक अपर्याप्त मात्रा में थायरॉइड हार्मोन का उत्पादन करने लगती हैं। यह स्थिति थायरॉइड ग्रंथि, पीयूष ग्रंथि या हाइपोथेलेमस में समस्याओं के कारण विकसित होती है। इससे गोइटर का निर्माण भी हो सकता है, जो थायरॉइड ग्रंथि के बड़ा हो जाने के कारण होता है। हाइपोथायरॉइडिज्म के निम्न लक्षण हो सकते हैं
- थकान
- एकाग्रता में कमी
- रूखी त्वचा
- कब्ज़
- ठंड लगना
- शरीर में तरल पदार्थों का रुकना / वजन बढ़ना
- मांसपेशियों एवं जोड़ों में दर्द
- डिप्रेशन
- बाल झड़ना
- महिलाओं में लंबे वक्त तक या अत्यधिक/थोड़े समय के लिए या बेहद कम रक्तस्राव
- अमेनोरिया (हार्मोन असंतुलन के कारण होने वाली एक दुर्लभ स्थिति) से आपकी माहवारी कई महीनों तक या इससे अधिक भी रुक सकती है
हायपरथायरॉइडिज्म के संकेत
थायरॉइड हार्मोन परिणामों के अत्यधिक उत्पादन से हायपरथायरॉइडिज्म होता है, जो हायपरथायरॉइडिज्म से कम देखने मिलती है। आमतौर पर हायपरथायरॉइडिज्म के लक्षण मेटाबॉलिज्म (चयापचय) में वृद्धि से जुड़े होते हैं। कुछ साधारण मामलों में कोई स्पष्ट संकेत देखने नहीं भी मिल सकते हैं। हायपरथायरॉइडिज्म के कारण गोइटर का निर्माण भी हो सकता है। इसके कुछ आम लक्षणों में निम्न शामिल हैं
- शरीर में कंपन
- नर्वस महसूस करना
- हृदय गति तेज़ होना
- थकान
- गर्मी बर्दाश्त ना होना
- बार-बार शौच के लिए जाना
- अकारण वजन घटना
थायरॉइड डिसऑर्डर की जांच
थायरॉइड डिसऑर्डर की जांच एवं पुष्टि के लिए शारीरिक जांच के अलावा कुछ विशेष परीक्षण भी किये जाते हैं। वहीं, आमतौर पर खून की जांच के द्वारा थायरॉइड हार्मोन और टीएसएच (थायरॉइड स्टिम्यूलेटिंग हार्मोन्स) स्तर की जांच भी की जाती है। उपरोक्त कोई भी लक्षण महसूस होने पर थायरॉइड हार्मोन्स स्तर और टीएसएच जांच की पुरज़ोर सलाह दी जाती है।
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अधिकतर मामलों में थायरॉइड डिसऑर्डर को इलाज के जरिये नियंत्रित किया जा सकता है और इनसे जान को खतरा नहीं होता। हालांकि कुछ स्थितियों के लिए सर्जरी की आवश्यकता पड़ सकती है। थायरॉइड कैंसर से पीड़ित अधिकतर मरीज़ों के लिए भी अच्छी उम्मीदें होती हैं, लेकिन जिन मरीज़ों में थायरॉइड कैंसर पूरे शरीर में फैल चुका है उनके ठीक होने की संभावना कम होती है।
नोट: यह लेख डॉ. साजिद मीर (कंसल्टेंट, मेडिकल टीम डॉकप्राइम.कॉम) से हुई बातचीत पर आधारित है।
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