
Osteoporosis Symptoms In Hindi: ऑस्टियोपोरोसिस को साइलेंट डिजीज भी कहा जाता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि यह ऐसी बीमारी है, जिसमें सामान्यतौर पर शुरुआती दिनों में किसी भी तरह के लक्षण नजर नहीं आते हैं। हड्डियों के फ्रैक्चर होने के बाद ही इस बीमारी का पता चलता है। बहरहाल, विशेषज्ञों का कहना है कि ऑस्टियोपोरोसिस का जोखिम अधिकतर मेनोपॉज हो चुकी महिलाओं को होता है। महिलाओं को पुरुषों की तुलना में इसका खतरा ज्यादा होता है। वहीं, अगर किसी की फैमिली में ऑस्टियोपोरोसिस का इतिहास है, तो उन्हें भी इस बीमारी का जोखिम बना रहता है। खैर, इस बीमारी से बचने के लिए बहुत जरूरी है कि आपको पता हो कि ऑस्टियोपोरोसिस होने पर किस तरह के लक्षण नजर आ सकते हैं। आइए, इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल और हिलिंग टच क्लीनिक के ऑर्थोपेडिक सर्जन और स्पोर्ट्स इंजरी स्पेशलिस्ट डॉक्टर अभिषेक वैश से जानते हैं ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षणों के बारे में। (Osteoporosis Ke Kya Lakshan Hote Hain)
ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षण- Osteoporosis Symptoms And Signs In Hindi

पीठ में दर्द
ऑस्टियोपोरोसिस होने पर मरीज को पीठ दर्द की शिकायत होने लगती है। दरअसल, ऑस्टियोपोरोसिस की वजह से स्पाइन की हड्डियां टूट सकती हैं या कॉलैप्स हो सकती हैं। इस स्थिति में पीठ में दर्द होने लगता है। आपको बता दें कि जब स्पाइन की हड्डी, जिसे हम वर्टिब्रा कहते हैं, वह कमजोर हो जाती है। इस तरह की स्थिति में रोजमर्रा के कामकाज करते हुए स्पाइन की हड्डियां कमजोर होकर चटक जाती हैं, जिससे धीरे-धीरे दर्द बढ़ने लगता है।
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कद छोटा होना
ऑस्टियोपोरोसिस का सबसे बुरा प्रभाव स्पाइन पर पड़ता है। ऑस्टियोपोरोसिस के कारण स्पाइन पर दबाव बनता है और वे कंप्रेस होने लगती हैं। वहीं, ऑस्टियोपोरोसिस में फ्रैक्चर भी बहुत सामान्य है। वर्टिब्रा के कंप्रेस होने के कारण वह कोलैप्स हो जाती है, जिससे धीरे-धीरे कद छोटा होने लगता है। इसके अलावा, इन फ्रैक्चर्स की वजह से स्पाइन के पोस्चर में बदलाव होने लगता है। यह भी कद कम करने के लिए जिम्मेदार माना जाता है।
पोस्चर में बदलाव
चूंकि, ऑस्टियोपोरोसिस सीधे-सीधे स्पाइन की हड्डियां को ही प्रभावित करता है, तो ऐसे में व्यक्ति के पोस्चर में ही बदलाव होने लगता है। इसे विस्तार से इस तरह समझें, ऑस्टियोपोरोसिस के कारण स्पाइन की हड्डियां कमजोर होकर टूट जाती हैं और दबाव के कारण कंप्रेस हो जाती हैं। इस स्थिति में स्पाइन के आकार पर भी असर पड़ता है। नतीजतन, न चाहते हुए व्यक्ति के पोस्चर में बदलाव होने लगता है।
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आसानी से फ्रैक्चर होना
अगर आप नोटिस करें कि जरा-सा गिरते ही हड्डियां फ्रैक्चर हो रही हैं, तो यह सही नहीं है। ऐसा ऑस्टियोपोरोसिस के कारण हो सकता है। सवाल है, ऐसा क्यों? विशेषज्ञों की मानें, तो ऑस्टियोपोरोसिस की वजह से बोन डेंसिटी कम हो जाती है, जिससे वे कभी भी चटक जाती हैं। ऐसा तब होता है, जब हड्डियों की रिमॉडलिंग प्रोसेस असंतुलित हो जाता है। ऐसे में हड्डियां रिप्लेस होने की तुलना में अधिक टूटती हैं। परिणामस्वरूप अंदरूनी हड्डियों की संरचना बिगड़ जाती है, इसकी बाहरी लेयर कमजोर हो जाती है और आसानी से टूटने लगती हैं।
ऑस्टियोपोरोसिस से बचाव उपाय
वैसे तो बढ़ती उम्र में सभी की हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। कमजोर हड्डियों के टूटने और हड्डियों संरचना में बदलाव का रिस्क हमेशा बना रहता है। फिर भी ऑस्टियोपोरोसिस को रिस्क को कम करने के लिए यहां बताए गए टिप्स को अपना सकते हैं-
- अपने शरीर को हेल्दी रखें।
- कैल्शिय और विटामिन-डी का संतुलन बनाए रखें।
- नियमित रूप से एक्सरसाइज करें। इससे हड्डियां लचीली होती हैं और टूटने का रिस्क कम रहता है।
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