Myeloma in Hindi Symptoms, Causes and Prevention In Hindi: मल्टीपल मायलोमा एक प्रकार का कैंसर है, जो सफेद रक्त कोशिका में बनता है। इसे प्लाज्मा सेल्स कहा जाता है। सफेद रक्त कोशिका हमारे शरीर को कीटाणुओं से बचाने का काम करता है। इस तरह देखा जाए, तो यह हमारी रोग-प्रतिरोधक क्षमता के लिए बहुत ही उपयोगी है। अगर हम मल्टीपल मायलोमा की बात करें, तो इसके तहत, कैंसर बेस्ड प्लाज्मा सेल्स बोन मैरो में जमा होती हैं। बोन मैरो हड्डियों के अंदर मौजूद सॉफ्ट टिश्यूज होते हैं। प्लाज्मा सेल्स एंटीबॉडीज बनाती हैं और शरीर को बाहरी कीटाणु से बचाती है। जब ये बोन मैरो में जमा होती है, तो हेल्दी ब्लड सेल्स को बाहर की ओर निकालती है। नतीजतन सहायक एंटीबॉडी पैदा करने के बजाय, कैंसर सेल्स असामान्य प्रोटीन उत्पन्न करती है। यह स्थिति शरीर के लिए सही नहीं है। क्योंकि अगर आपके शरीर में मौजूद प्लाज्मा सेल्स अच्छी तरह से काम न करे, तो मायलोमा विकसित होने लगता है। मायलोमा की वजह से हड्डियों में तकलीफ और घाव होने लगते हैं। यही नहीं, फ्रैक्चर होने की आशंका भी बढ़ जाती है। इसी के साथ ही शुरू हो जाता है मल्टीपल मायलोमा की आशंका। इस लेख में डॉक्टर से जानेंगे कि मल्टीपल मायलोमा क्यों होता है, इसके लक्षण और बचने के उपाय।
मल्टीपल मायलोमा की वजह
वैसे तो अभी तक मल्टीपल मायलोमा होने की सटीक वजह का पता नहीं है, लेकिन माना जाता है कि इसकी शुरुआत एक सामान्य प्लाज्मा से शुरू होती है, जो कि बोन मैरो तक फैलती है। इसके अलावा, यह भी देखने में आया है कि मायलोमा कोशिकाओं का जीवन चक्र नियमित नहीं होता है। ये कोशिकाएं बढ़ने के बजाय लगातार विभाजित होती हैं और फिर मर जाती हैं। यह स्थिति शरीर के लिए सही नहीं है। इसकी वजह से शरीर में हेल्दी सेल्स का प्रोडक्शन सही तरह से नहीं हो पाता है।
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मल्टीपल मायलोमा के लक्षण
मल्टीपल मायलोमा के मरीजों में अलग-अलग लक्षण देखने को मिलते है। इसके अलावा, यह बीमारी बच्चों से लेकर वयस्कों तक होती है। इस संबंध में मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के सेंटर फॉर बोन मैरो ट्रांसप्लांट के एसोसिएट डायरेक्ट डॉ. पवन कुमार सिंह का कहना है, ‘अगर बच्चों की बात करें, उनमें इस बीमारी के होने पर कई तरह के लक्षण दिखाई देते हैं, जैसे कमजोरी, सुस्ती और कम हीमोग्लोबिन के कारण मांसपेशियों में दर्द, बुखार के रूप में बार-बार होने वाले संक्रमण, सांस फूलना। इसके अलावा, सेल काउंट और किसी भी अंग के संक्रमण से संबंधित लक्षण जैसे खांसी, दस्त, मतली और उल्टी होना। रक्तस्राव मसूड़ों, नाक, पेशाब में भी दिक्कत हो सकती है। इसके साथ ही, हड्डियों में दर्द, लिम्फ नोड (शरीर में मौजूद छोटे आकर की ग्रंथियां) में वृद्धि, सिरदर्द, लीवर में परेशानी, मसूड़ो में सूजन, आंखों का कमजोर होना, किसी तरह की फोकल न्यूरोलॉजिकल कमजोरी, त्वचा में रक्तस्राव के साथ भी हो सकते हैं।’ इसके अलावा, वयस्कों में जो लक्षण दिखाई देते हैं, वे इस प्रकार हैं, एनीमिया की समस्या, ज्यादा प्यास लगना, बार-बार पेशाब आना, शरीर में पानी की कमी होना, गुर्दे की समस्याएं और किडनी का फेल होना, कब्ज की समस्या, पेट में दर्द, भूख में कमी, कमजोरी महसूस करना, भ्रम की स्थिति, त्वचा में खुरदरापन महसूस होना।
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मल्टीपल मायलोमा से बचाव
मल्टीपल मायलोमा एक ऐसी बीमारी है, इसकी वजह जानकर लक्षणों इसके जोखिम को कम किया जा सकता है। इस तरह इस बीमारी से बचा जा सकता है। इसके लिए जरूरी है कि आप हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं, धूम्रपान न करें और समय-समय पर अपना चेकअप करवाते रहें। इसके साथ ही, नियमित एक्सरसाइज करें, अच्छी डाइट लें, कोई दवा चल रही है, तो उसका सेवन करें और अगर किसी भी तरह का असामान्य रक्तस्रव हो, तो उसे नजरअंदाज न करें। इसके अलावा, डॉ. पवन कुमार सिंह सलाह देते हैं, "अगर बच्चों में इस गंभीर बीमारी के लक्षण दिखाई दे, तो उन्हें बाल रोग विशेषज्ञ के पास तुरंत ले जाएं। यदि ऐसे कोई संकेत हैं, तो उन्हें एनीमिया, ल्यूकोपेनिया, थ्रोम्बोसाइटोपेनिया और किसी भी असामान्य कोशिकाओं की उपस्थिति देखने के लिए पेरिफेरल ब्लड स्मीयर जांच के साथ ब्लड काउंट करवाना चाहिए। यदि सीबीसी में कोई असामान्यता मौजूद है, तो उन्हें प्रॉपर ट्रीटमेंट के लिए तुरंत हेमेटोलॉजिस्ट के पास भेजा जाना चाहिए।"
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