
जर्नल 'एनवायरनमेंटल साइंस एंड टेक्नोलॉजी' में प्रकाशित एक अध्ययन में दावा किया गया है कि हवाई जहाज में वॉशरूम का इस्तेमाल करना सेहत के लिए काफी हानिकारक हो सकता है। शोध में कहा गया है कि, वैज्ञानिकों ने पांच अलग-अलग जर्मन हवाई अड्डों से हवाई जहाज के सीवेज का परीक्षण किया है और पाया है कि ये कितना खतरनाक हो सकता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि सीवेज में कई अलग-अलग एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी रोगाणुओं होते हैं, जो आस-पास के जल संयंत्रों और अस्पतालों के सीवेज के भी रोगाणुओं की संख्या बढ़ा सकते हैं। इस तरह कोई भी देश, कभी भी इस चलते किसी गंभीर बीमारी और महामारी का शिकार हो सकता है। वहीं शोध में इसके अलावा भी कई और बातें भी कही गईं हैं, जो इस ओर संकेत करती हैं कि हवाई जहाज में वॉशरूम का इस्तेमाल कैसे पर्यावरण और लोगों के स्वस्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है।
इंसानों के लिए गंभीर खतरा
जर्मनी में टेक्निस के यूनिवर्सिटेट ड्रेसडेन के माइक्रोबायोलॉजिस्ट स्टेफनी हेस की मानें तो ये अध्ययन स्पष्ट रूप से दिखाता है कि एंटीबायोटिक-रेजिस्टेंट माइक्रोब्स एक वैश्विक समस्या बनती जा रही है। वहीं अब इंसानों और पशुओं के स्वास्थ्य के लिए इस गंभीर खतरे से निपटने के लिए एक वैश्विक प्रयास आवश्यक है। अध्ययन के अनुसार, इस स्टडी में 187 ई-कोलाई का लगभग 90% परीक्षण किया गया और वे कम से कम एक एंटीबायोटिक के प्रतिरोधी थे यानी कि एंटीबायोटिक-रेजिस्टेंट माइक्रोब्स थे। वैज्ञानिकों ने बताया कि यह एक गंभीर समस्या है क्योंकि एंटीबायोटिक प्रतिरोधी रोगाणुओं से गंभीर संक्रमण हो सकता है, जो वास्तव में मुश्किल और घातक हो सकता है।
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भविष्य में बढ़ सकता है संक्रमण
वैज्ञानिकों ने कहा कि कई प्रकार के संक्रमण, जिनमें निमोनिया, गोनोरिया, स्ट्रेप थ्रोट और खाद्यजनित बीमारियां शामिल हैं, भविष्य में और खराब हो सकते हैं। सबसे खतरनाक बात ये है कि इन एंटीबायोटिक प्रतिरोधी माइक्रोब्स का इलाज करना बहुत मुश्किल हो सकता है। अध्ययन में कहा गया है कि हवाई जहाज में वॉशरूम से निकलने वाले सीवेज में गंदगी के नमूनों की जांच की गई और इसमें एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी बैक्टीरिया की कुल संख्या लगभग 45% से 60% थी। इसके अलावा 2019 में, रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र ने इसे लेकर और शोध किया था, जो यूएसए में हर साल 2.8 मिलियन एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी संक्रमण दिखाते हैं और यह 35,000 से अधिक लोगों की मौत का कारण बनता है।
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एंटीबायोटिक दवाओं का क्यों नहीं हो रहा असर?
अध्ययन के निष्कर्ष बताते हैं कि रोगाणु वास्तव में अपने डीएनए में छोटे परिवर्तनों के कारण एंटीबायोटिक और उपचार के लिए प्रतिरोधी बन रहे हैं। ऐसे में जब वो अन्य माइक्रोब्स के साथ जाकर मिलते हैं तो ये माइक्रोब्स और तेजी से स्थानांतरित हो जाते हैं। वैज्ञानिकों ने सुझाव दिया कि हवाई जहाज के सीवेज को प्रबंधित किया जाना चाहिए और सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा उचित स्वच्छता बनाए रखने के लिए अधिक सावधानी से इलाज किया जाना चाहिए।
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