हाल ही के एक अध्ययन से पता चलता है कि इंफ्लामेट्री बॉउल डिजील या आईबीडी (आंतो से जुड़ी कई तरह की समस्याएं) से पीड़ित महिलाओं को संपूर्ण महिला आबादी की तुलना में जन्म देने के बाद मानसिक बीमारी विकसित होने का अधिक खतरा होता है।
शोध के अनुसार, वैज्ञानिकों ने पाया कि आईबीडी से ग्रस्त एक का पांचवा हिस्सा गर्भवती महिलाओं में मानसिक रोगों की नई शुरुआत होती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि स्वस्थ महिलाओं की तुलना में आईबीडी से ग्रस्त हर 43 गर्भवती में से एक गर्भवती मानसिक रोग से पीड़ित थी।
आईबीडी रोग क्या है?
आईबीडी रोग, क्रॉनिक गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल विकारों का एक समूह है जिसमें लोगों को अपने गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट में अल्सर, सूजन, और रक्तस्राव होता है, और शरीर के अन्य हिस्सों में कई प्रकार की जटिलताओं का जोखिम होता है।
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वैज्ञानिकों की राय
अध्ययन में बताया गया है कि आईबीडी वाले लोगों में मानसिक बीमारी, विशेष रूप से चिंता और अवसाद का खतरा बढ़ जाता है, जो संभवतः उनके मस्तिष्क को प्रभावित करने वाली आंत में सूजन से संबंधित है।
जर्नल के वरिष्ठ लेखक एरिक बेंचिमोल कहते हैं "गर्भधारण और प्रसव के दौरान महिलाओं में आईबीडी रोग के प्रति जागरूकता बढ़ रही है" उन्होंने कहा, "हमें आईबीडी रोग के साथ महिलाओं के लिए प्रसवोत्तर अवधि के दौरान मानसिक विकार के जोखिम बढ़ने का पता चला, विशेषकर जन्म के 90 दिनों के दौरान। हमें गर्भावस्था के दौरान मानसिक विकारों के जोखिम नहीं मिले" शोधकर्ताओं के अनुसार, आईबीडी वाली महिलाओं में मानसिक बीमारी की शुरूआत का ये छोटा सा जोखिम हो सकता है।
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गर्भावस्था के दौरान ज्यादा ध्यान देने की जरूरत
गर्भावस्था के दौरान और जन्म देने के बाद आईबीडी से ग्रसित महिलाओं को स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है और इन्हें सिर्फ शारीरिक चुनौतियां नहीं माना जा सकता है। अध्ययन बताता है कि महिलाओं की शारीरिक और मानसिक दोनों तरह की स्वास्थ्य आवश्यकताओं को देखने और यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि उन्हें सबसे अच्छा इलाज और सहायता मिल रही है। या नहीं।
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