मछली खाने से हो सकता है कैंसर का खतरा, 10 जगहों के सैंपल में पाए गए कई हानिकारक केमिकल्स

मछली बहुत पौष्टिक और स्वादिष्ट होती है इसलिए लोग इसे चाव से खाते हैं। मछली में कई ऐसे एंटीऑक्सीडेंट्स और पोषक तत्व होते हैं, जो अन्य फूड्स में नहीं पाए जाते हैं। लेकिन अगर आप भी पौष्टिक होने के कारण मछली खाते हैं, तो सावाधान हो जाएं। हाल में मछली के कुछ ऐसे सैंपल पाए गए हैं, जिन्हें खाने से आपको कैंसर हो सकता है। इसका कारण यह है कि इन मछलियों में फर्मलीन, कैडमियम और फॉर्मल डिहाइड (खतरनाक केमिकल्स) की घातक मात्रा पाई गई है।
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मछली खाने से हो सकता है कैंसर का खतरा, 10 जगहों के सैंपल में पाए गए कई हानिकारक केमिकल्स

मछली बहुत पौष्टिक और स्वादिष्ट होती है इसलिए लोग इसे चाव से खाते हैं। मछली में कई ऐसे एंटीऑक्सीडेंट्स और पोषक तत्व होते हैं, जो अन्य फूड्स में नहीं पाए जाते हैं। लेकिन अगर आप भी पौष्टिक होने के कारण मछली खाते हैं, तो सावाधान हो जाएं। हाल में मछली के कुछ ऐसे सैंपल पाए गए हैं, जिन्हें खाने से आपको कैंसर हो सकता है। इसका कारण यह है कि इन मछलियों में फर्मलीन, कैडमियम और फॉर्मल डिहाइड (खतरनाक केमिकल्स) की घातक मात्रा पाई गई है। यह केमिकल मछलियों को संरक्षित (प्रिजर्व) करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, ताकि मछलियां लंबे समय तक खराब न हों।

खतरनाक है फर्मलीन वाली मछली का सेवन

अगर आप भी बाजार से मछली लाकर चाव से बनाते और खाते हैं तो आपको सावधान रहना चाहिए। बाजार में मछलियों को लंबे समय तक खराब होने से बचाने के लिए इसपर कई हानिकारक केमिकल्स का इस्तेमाल किया जाता है, जिनके सेवन से आपको कैंसर और किडनी रोगों का खतरा होता है। इसके अलावा फर्मलीन वाली मछलियों को खाने से बैक्टीरियल इंफेक्शन खा भी खतरा होता है।

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जांच के लिए भेजे गए सैंपल

सरकार को ऐसी सूचना मिली थी कि आंध्र से आयातित मछली में बड़ी मात्रा में फर्मलीन को प्रयोग किया जा रहा है, जिससे कैंसर होने का खतरा है। इसकी पुष्टि के लिए अक्टूबर महीने में 10 स्थानों से मछलियों के सैंपल लेकर कोलकाता की एक लैब को भेजे गए थे। सरकार को अब सैंपल जांच रिपोर्ट मिल गई हैं, जिसका अध्ययन पशुपालन विभाग की टीम कर रही है। सूत्रों के हवाले से खबर मिली है कि रिपोर्ट में फर्मलीन की पुष्टि कर दी गई है।

बिहार में लग सकता है बैन

फर्मलीन की पुष्टि होने के बाद बिहार में मछलियों पर बैन लग सकता है। आपको बता दें कि हर साल 50-60 हजार टन मछलियां बाहर से बिहार में आती हैं, जिनमें सबसे ज्यादा मछलियां आंध्रप्रदेश से आती हैं। स्वास्थ्य विभाग में इस रिपोर्ट के आने के बाद हड़कंप मचा हुआ है। बिहार ही नहीं अन्य राज्यों में भी फर्मलीनयुक्त मछलियों का प्रयोग बड़ी मात्रा में किया जाता है। इसलिए प्रिजर्व करके रखी गई मछलियों को खरीदने से बचें।

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डायबिटीज का खतरा भी बढ़ाती है मछली

एक अध्ययन के अनुसार, मछली में पाया जाने वाला विषाक्त पदार्थ (टॉक्सिन) डायबिटीज के खतरे को बढाता है। छोटी मछलियों में पाया जाने वाला डीडीई (Dichloro Diphenyldichloro Ethylene) केमिकल मधुमेह के खतरे को बढाता है। बडी मछलियां जब छोटी मछलियों को खाती हैं तब उनके अंदर यह केमिकल प्रवेश करता है। इस अध्ययन में यह भी पता चला कि छोटी मछलियां खाने से डायबिटीज का खतरा ज्यादा नहीं होता है क्योंकि बडी मछलियों की तुलना में छोटी मछलियों में टॉक्सिन्स कम मात्रा में पाया जाता है।

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