स्ट्रेस यूरिनरी इंकॉन्टीनेंस महिलाओं को होने वाली एक बड़ी समस्या में से एक है। आसान भाषा में कहें तो यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें बार-बार टॉयलेट जाने की समस्या पैदा होती है। यूरिनरी इन्कॉन्टिनेंस की समस्या किसी को भी हो सकती है लेकिन सबसे ज्यादा यह समस्या महिलाओं में देखी जाती है। महिलाओं को होने वाली समस्या स्ट्रेस यूरिनरी इंकॉन्टीनेंस (Stress urinary incontinence) को 90 प्रतिशत से ज्यादा लोग समझ नही पाते हैं। आमतौर पर इस समस्या को नजरअंदाज किये जाने के पीछे सबसे बड़ा कारण यह हो सकता है कि इस समस्या में जीवन से संबंधित कोई बड़ा ख़तरा नही होता और ज्यादातर यह समस्या बुजुर्गों, कमजोर या किसी बीमारी से पीड़ित लोगों में होती है। महिलाओं से जुड़ी इस समस्या को लेकर हमने अधिक जानकारी के लिए बात की बैंगलोर स्थित फोर्टिस ला फेमे हॉस्पिटल की सीनियर गायनेकोलॉजिस्ट डॉ रुबीना शाहनवाज़ से, आइये जानते हैं इस विषय पर उन्होंने क्या जानकारी साझा की।
क्या है स्ट्रेस यूरिनरी इंकॉन्टीनेंस (Stress urinary incontinence)
स्ट्रेस यूरिनरी इंकॉन्टीनेंस या एसयूआई एक ऐसी स्थिति है जिसमें तनाव के कारण मूत्र रिसाव होता है। इस समस्या में क्रोनिक या पेल्विक फ्लोर पर दबाव की वजह से समस्या शुरू होती है। महिलाओं में पेल्विक फ्लोर गर्भाशय, मूत्राशय और मलाशय को जोड़ने वाली मुख्य मांसपेशी है। यह दबाव क्रोनिक स्थिति जैसे पुरानी खांसी, कब्ज और मोटापे की वजह से भी हो सकता है। महिलाओं में स्ट्रेस यूरिनरी इंकॉन्टीनेंस या एसयूआई की समस्या ज्यादातर मामलों में दर्दनाक प्रसव के कारण उत्पन्न हुई कमजोरी, पेल्विक फ्लोर पर चोट या पेल्विक फ्लोर की मांसपेशी में आनुवंशिक लेक्सिटी के कारण होती है।
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स्ट्रेस यूरिनरी इंकॉन्टीनेंस के लक्षण (Symptoms of Stress urinary incontinence)
पेशाब की अनियमितता और अचानक पेशाब होने की समस्या को स्ट्रेस यूरिनरी इंकॉन्टीनेंस कहते हैं। स्ट्रेस यूरिनरी इंकॉन्टीनेंस के दौरान अचानक या बिना चाहे पेशाब होने की समस्या होती है। इसके प्रमुख लक्षण इस प्रकार से हैं।
- बार-बार पेशाब का आना
- व्यायाम और शारीरिक गतिविधि के दौरान अचानक पेशाब निकलना
- सेक्स के दौरान बिना चाहे पेशाब होना
- खांसते वक़्त पेशाब आना
- गंभीर स्थिति होने पर अपने आप ही पेशाब हो जाना
स्ट्रेस यूरिनरी इंकॉन्टीनेंस से बचाव (How to Prevent Stress urinary incontinence)
स्ट्रेस यूरिनरी इंकॉन्टीनेंस या एसयूसआई से बचाव के लिए आप डॉ रुबीना शाहनवाज़ द्वारा बताई गयी इन बातों को अपना सकते हैं।
- नियमित रूप से व्यायाम करें
- स्वस्थ और संतुलित भोजन करें
- वजन कम रखने की कोशिश करें
- लगातार खांसी और कब्ज का इलाज जरूर कराएं
- पैल्विक फ्लोर (केगेल) व्यायाम नियमित रूप से करें
- कीगल व्यायाम कभी भी और कहीं भी किया जा सकता है
पेल्विक फ्लोर या कीगल व्यायाम (Pelvic Floor or Kegel’s Entail)
कीगल या पेल्विक फ्लोर एक्सरसाइज ब्लैडर, यूटेरस, वजाइना और रेक्टम के लिए बेहद फायदेमंद होती है। अनियमित रूप से पेशाब आने की समस्या में यह एक्सरसाइज लाभदायक मानी जाती है, इसे किसी भी उम्र की महिलाएं कर सकती हैं। शुरुआत में इसे किसी एक्सपर्ट की देखरेख में ही किया जाना चाहिए। इस व्यायाम में जिन मांसपेशियों के सहारे पेशाब रोकने का काम करते हैं उन्हीं को पेल्विक फ्लोर एक्सरसाइज में उपयोग किया जाता है। अनियमित रूप से अचानक पेशाब होने की समस्या से निजात पाने के लिए ब्लैडर खाली होने पर महिलाएं इस अभ्यास को कर सकती हैं। शुरुआत में 5 मिनट तक इसका अभ्यास करना चाहिए और फिर धीरे-धीरे आप इसे 10 मिनट तक के लिए कर सकते हैं।
पेल्विक फ्लोर या कीगल व्यायाम करते समय जरूरी सावधानियां (Precautions While Doing Kegel’s or Pelvic Floor Exercise)
- इस अभ्यास को करते समय मूत्राशय खाली होना चाहिए
- व्यायाम करते समय सांस मत रोकें
- शुरुआत में एक्सपर्ट की देखरेख में यह अभ्यास करें
- किसी भी उम्र में यह अभ्यास किया जा सकता है
- पहली प्रेगनेंसी के दौरान इस अभ्यास को शुरू करना चाहिए
- कीगल व्यायाम करते समय कमर, पेट और जांघों की मांसपेशियों को ढीला रखें
- दिन में 2 से 3 बार यह अभ्यास किया जा सकता है
हमें उम्मीद है महिलाओं से जुड़ी समस्या स्ट्रेस यूरिनरी इंकॉन्टीनेंस पर आधारित यह लेख आपको जरूर पसंद आया होगा। आमतौर कई महिलाओं में खांसने, छींक या व्यायाम के दौरान पेशाब निकालने की समस्या होती है, उनके लिए कीगल व्यायाम बेहद लाभकारी साबित हो सकता है। इस समस्या को नजरअंदाज नही किया जाना चाहिए, अनियमित रूप से पेशाब होने की समस्या पर चिकित्सक की सलाह जरूर लें।
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