एक अध्ययन में कहा गया है कि यदि बच्चे या युवा अधिक टेंशन लेते हैं, तो उनमें समय से पहले उम्र बढ़ने यानि बुढ़ापे के लक्षण दिखने के साथ बीमारियों का अधिक खतरा होता है। जिसके लिए अभिभावक भी जिम्मेदार हो सकते हैं। अप्रभावी पेरेंटिंग से बच्चों के स्वास्थ्य पर कई नकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं।
अध्ययन के अनुसार
'लोमा लिंडा यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ' के प्रमुख लेखक 'रेमंड नॉटसन' के मुताबिक, यदि कम उम्र के बच्चे और युवाओं के जीवन में जैसे-जैसे तनाव बढ़ता है, तो टेलोमेरेस छोटा होता है। टेलोमेरस को एक आनुवांशिक घड़ी कहा जाता है। सामान्यत: जितने लंबे आपके टेलोमेरस होंगे, आप उतने स्वस्थ और अच्छे रहेंगे। अधिक तनाव पूर्ण की स्थिति में यह टेलोमेरस छोटा होता जाता है और कई गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ाता है। जिसके कारण समय से पहले मृत्यु भी हो जाती है।
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समय से पहले बुढ़ापा
कई बार देखा जाता है कि बहुत से युवा घर या ऑफिस के काम की वजह से काफी तनाव में रहते हैं। जिसका असर सीधे उनके स्वास्थ्य पर पड़ता है। अध्ययन बताते हैं कि ज्यादा तनाव या स्ट्रेेस लेने वाले लोगों में समय से पहले बुढ़ापा आने का खतरा होता है। आजकल बड़े से लेकर बच्चों में तनाव की स्थिति देखी जा रही है। अक्सर घर में कलेश, पड़ाई या माता-पिता की लड़ाईयों के कारण बच्चे भी तनाव के शिकार हो रहे हैं।
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स्वास्थ्य पर असर
अधिक समय तक तनाव की स्थिति से कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। तनाव के कारण दिल से जुड़ी बीमारियां होने का अधिक खतरा रहता है। इसके अलावा लंबे समय तक तनाव के कारण नर्वस सिस्टम और रिप्रॉडक्टिव सिस्टम भी प्रभावित होता है। जिसके चलते व्यक्ति की याददाश्त भी कमजोर होती है और उसकी आसपास की चीजों में दिलस्चपी नहीं रहती है।
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