
कटेरी का पौधा औषधीय गुणों से युक्त होता है। यह कई जीर्ण विकारों को ठीक करने में सक्षम है। इसका प्रयोग आप कई गंभीर रोगों के उपचार में कर सकते हैं।
कटेरी, जिसे कंटकारी और भटकटैया भी कहते हैं। हिंदी में इसके कई नाम है जैसे- छोटी कटाई, भटकटैया, रेंगनी, रिगणी, कटाली, कटयाली आदि। यह कांटेदार एक पौधा है जो जमीन पर उगता है। कटेरी अक्सर जंगलों और झाड़ियों में बहुतायत रूप से पाया जाता है। आमतौर पर कटेरी की तीन प्रजातियां पाई जाती हैं। छोटी कटेरी (Solanum virginiannumLinn), बड़ी कटेरी (Solanum anguivi Lam) और श्वेत कंटकारी (Solanum lasiocarpum Dunal)। जिनका प्रयोग रोगों को दूर करने के लिए औषधि के तौर पर किया जाता है।
कटेरी का प्रयोग पथरी, लिवर का बढ़ना और माइग्रेन जैसे गंभीर रोगों में किया जाता है। इसके और भी कई लाभ हैं। यहां हम आपको कटेरी के फायदे और उपयोग करने के तरीके बता रहे हैं।
कटेरी का प्रयोग और फायदे: Uses And Benefits Of Kateri In Hindi
- कटेरी या कंटकरी कृमि, सर्दी-जुकाम, आवाज का बैठना, बुखार, बदहजमी, मांसपेशियों में दर्द, और मूत्राशय में पथरी के इलाज में उपयोगी है। पथरी के लिए कटेरी के जड़ का चूर्ण बनाकर, 2 चम्मच दही के साथ, सात दिन तक खाने से लाभ मिलेगा।
- माइग्रेन, और सिरदर्द में कंटकरी का प्रयोग काफी फायदेमंद है। इसके अलावा अस्थमा में छोटी कटेरी के 2-4 ग्राम कल्क में 500 मिग्रा हींग और 2 ग्राम शहद मिलाकर, सेवन करने से लाभ मिलता है।
- गले की खराश को ठीक करने में इसके साथ जामुन के रस का उपयोग किया जाता है।
- कंटकारी का प्रयोग खूनी बवासीर में सहायक है।
- गठिया में दर्द और सूजन को कम करने के लिए कटेरी का पेस्ट जोड़ों पर लगाया जाता है।
- जड़ और बीज अस्थमा, खांसी और सीने में दर्द होने पर कटेरी को एक एक्पेक्टोरेंट के रूप में उपयोग किया जाता है।
- खांसी का इलाज करने के लिए कटेरी की जड़ का काढ़ा शहद के साथ दिया जाता है।
- कटेरी की जड़ का पेस्ट सांप और बिच्छू के काटने के इलाज में नींबू के साथ मिलाकर इस्तेमाल किया जाता है।
- इसके तने, फूल और फल, कड़वे होने के कारण, पैरों में होने वाली जलन से राहत दिलाने में मदद करते हैं।
- कंटकारी के फल वीर्य स्खलन को रोकते हैं। इससे सेक्स लाइफ बेहतर होती है। फल पुरुषों में कामोत्तेजक के रूप में काम करता है।
- महिलाओं में अनियमित मासिक धर्म और दर्द के इलाज के लिए इसके बीज मददगार हैं।
- यह जड़ी-बूटी एडिमा से जुड़ी हृदय रोगों के उपचार में फायदेमंद है, क्योंकि यह हृदय और रक्त शोधक के लिए उत्तेजक का काम करती है।
- शारीरिक कमजोरी में दिन में दो बार कटेरी के ताजे पत्तों का रस पीना चाहिए। इसमें आप मिश्री मिलाकर उपयोग कर सकते हैं।
- प्रेगनेंसी में उल्टी और मतली को रोकने के लिए 5 ग्राम कटेरी पंचांग और 5-6 मुनक्का लें और इसे पानी में उबालकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े का नियमित रूप से सेवन करें।
- लिवर की समस्या में कटेरी का उपयोग कर सकते हैं। नियमित रूप से कटेरी के काढ़े का सेवन लिवर में मौजूद संक्रमण और सूजन को कम करने में मदद करता है।
नोट: कटेरी का उपयोग खुद से न करें, अगर आपको किसी रोग के लक्षण दिखाई देते हैं तो आप किसी आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह पर ही इसका सेवन करें।
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