अगर आप भी हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज या हार्ट के मरीज हैं और डॉक्टर द्वारा दी गई दवाओं का सेवन कर रहे हैं, तो आपको सावधान रहने की जरूरत है। ये तीनों ही लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियां हैं, जिनके मरीज दुनियाभर में तेजी से बढ़ रहे हैं। इन तीनों ही रोगों में मरीजों को लंबे समय तक दवाओं का सेवन करना पड़ता है। मगर हाल में वैज्ञानिक जब इन बीमारियों की कुछ दवाओं पर रिसर्च कर रहे थे, तब उन्हें चौंकाने वाले परिणाम मिले। इस रिसर्च के अनुसार ब्लड प्रेशर और डायबिटीज के मरीजों को दी जाने वाली कुछ सामान्य दवाएं ऐसी पाई गई हैं, जो इंसानों में आत्महत्या की प्रवृत्ति को बढ़ाती हैं। आगे पढ़ें क्या हैं पूरा मामला और कैसे की गई रिसर्च।
दवाएं बढ़ा रही हैं आत्महत्या की प्रवृत्ति
JAMA Network Open नाम के हेल्थ जर्नल में छपी ताजी रिसर्च के अनुसार हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट की बीमारियों और डायबिटीज के मरीजों को दी जाने वाली कुछ दवाओं में ऐसे तत्व पाए गए हैं, जो इंसानों के दिमाग पर बुरा असर डालती हैं और उनमें आत्महत्या की प्रवृत्ति को बढ़ाती हैं। ये ऐसी दवाएं हैं, जो रक्त वाहिकाओं (Blood Vessels) को चौड़ा बनाती हैं, जिससे रक्त का प्रवाह (Blood Circulation) बेहतर बना रहे।
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किन दवाओं को पाया गया है खतरनाक?
अगर आप दवाओं के बारे में थोड़ी बहुत जानकारी रखते हैं, तो आपको पता होगा कि रोगों के अनुसार दवाओं की कैटेगरी होती है। आमतौर पर ब्लड प्रेशर के मरीजों को angiotensin receptor II blockers (ARBs) कैटेगरी की दवाएं दी जाती हैं, जिससे उनका ब्लड प्रेशर कंट्रोल हो जाता है। कुछ विशेष स्थितियों में डॉक्टर इसी कैटेगरी की दवाएं हृदय रोगियों (Heart Patients) और मधुमेह रोगियों (Diabetes Patients) को भी देते हैं। इस कैटेगरी की कुछ सामान्य दवाओं के नाम नीचे दिए गए हैं।
- losartan (Cozaar)
- olmesartan (Benicar)
- azilsartan (Edarbi)
- valsartan (Diovan)
- candesartan (Atacand)
- eprosartan
- irbesartan (Avapro)
- telmisartan (Micardis)
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क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
MemorialCare Heart and Vascular Institute के कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर संजीव पटेल का कहना है, "ये रिसर्च इंट्रेस्टिंग है। लेकिन हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जो भी रिजल्ट्स बताए गए हैं, वो अभी शुरुआती अध्ययन के अनुसार बताए गए हैं। अभी इस बारे में और रिसर्च की जरूरत है। इसके साथ ही हमें मनोवैज्ञानिकों की भी राय का इंतजार है।" डॉक्टर पटेल के अनुसार मरीज अगर किसी भी रिसर्च के बारे में कहीं कुछ पढ़ते हैं, तो कोई भी फैसला लेने से पहले उन्हें डॉक्टर से इस बारे में सलाह-मशविरा करना चाहिए।
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