अब आपकी सेहत पर नजर और स्वास्थ्य को बेहतर बनाएगा ये 'स्मार्ट टॉयलेट', कई बीमारियों का लग जाएगा पता

Smart Toilet : विस्कॉन्सिन -मेडिसन विश्वविद्यालय और मोरग्रिज इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च के शोधकर्ता ऐसा 'स्मार्ट टॉयलेट' तैयार कर रहे हैं, जिससे यूरीन का सैंपल लेकर कई स्वास्थ्य समस्याओं का पता लगाया जा सके। 
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अब आपकी सेहत पर नजर और स्वास्थ्य को बेहतर बनाएगा ये 'स्मार्ट टॉयलेट', कई बीमारियों का लग जाएगा पता

तेजी से बदलती तकनीक ने लोगों के जीवन और स्वास्थ्य को बड़ी तेजी से प्रभावित किया है और इस स्मार्ट तकनीक में लोगों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने की क्षमता है। एक नए अध्ययन से यह जानकारी सामने आई है कि कम कीमत वाले 'द हंबल टॉयलेट' में इन सभी तकनीकों को पीछे छोड़ने की शक्ति है। कून रिसर्च समूह ने एक ऐसा टॉयलेट डिजाइन किया है, जो न केवल किसी व्यक्ति की पहचान कर सकता है बल्कि कई स्वास्थ्य समस्याओं के नमूने आपके सामने पेश कर सकता है। इस टॉयलेट में पोर्टेबल मास स्पेक्ट्रोमीटर लगा है, जिसके जरिए यह ऐसा कर पाने में सक्षम है।

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कून का यह भी मानना है कि ये 'स्मार्ट टॉयलेट' अवधारण बड़ी आबादी की स्वास्थ्य समस्याओं को सामने रख सकती है। जर्नल नेचर डिजिटल मेडिसिन में प्रकाशित अध्ययन के लिए विस्कॉन्सिन -मेडिसन विश्वविद्यालय और मोरग्रिज इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च के शोधकर्ता व्यक्तिगत दवाओं को बनाने के लिए काम कर रहे हैं, जिससे यूरीन में मौजूद मेटाबॉलिक स्वास्थ्य संबंधी जानकारियां जुटाई जा सकें।

अध्ययन के मुख्य लेखक जोशुआ कून, ''हम इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि हम एक ऐसा टॉयलेट डिजाइन कर सकें, जो यूरिन का सैंपल ले सकता है। मुझे लगता है कि हमारे सामने जो असल चुनौती है वह यह है कि हमें इस उपकरण को बनाने के लिए ऐसी इंजीनयिरंग में निवेश करना होगा ताकि यह पर्याप्त रूप से साधारण और सस्ता हो।''

अध्ययन के मुताबिक, यूरीन में किसी भी व्यक्ति की पोषण संबंधी, एक्सरसाइज, दवाओं के प्रयोग, सोने की आदतों और अन्य जीवनशैली चुनावों का एक आभासी तरल इतिहास होता है। इसके अलावा यूरीन में 600 से ज्यादा मानव स्थितियां से जुड़ा मेटाबॉलिक लिंक भी होता है, जिसमें कैंसर, डायबिटीज और किडनी रोग जैसी बड़ी स्वास्थ्य समस्याएं शामिल हैं।

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अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने 10 दिनों तक सभी प्रकार के यूरीन सैंपल को इकठ्ठा किया और उन सैंपल को परीक्षण के लिए भेजा। सभी नमूनों के मेटाबॉलिक संकेतों को पूरी तरह से पहचानने के लिए शोधकर्ताओं ने गैस क्रोमाटोग्राफी और मास स्पेक्ट्रोमेट्री का प्रयोग किया। हालांकि इस अध्ययन में जिन सैंपल का प्रयोग किया, उनकी संख्या काफी कम थी।

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शोधकर्ताओं ने 10 दिनों में 110 सैंपल इकठ्ठा किए। इसके साथ ही उन्होंने हार्ट रेट और स्टेप, कैलोरी उपभोग और सोने के तरीकों को देखने के लिए वीयरेबल तकनीक का भी प्रयोग किया। उदाहरण के लिए जिन लोगों से यह सैंपल प्राप्त किए गए थे उनके कॉफी और शराब के सेवन का रिकॉर्ड रखा गया ताकि इन दोनों ड्रिंक से जुड़े प्रभावों का पता लगाया जा सके। हालांकि इस अध्ययन में उनके स्वास्थ्य से जुड़े किसी प्रकार के सवाल नहीं पूछे गए।

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शोधकर्ताओं ने बताया कि जैसे-जैसे लोग उम्रदराज होते जाते हैं उन्हें घर पर ही देखभाल की जरूरत होती है और यूरीन टेस्ट यह पता लगाने में सक्षम है कि वह दवा सही तरीके से ले रहे हैं या नहीं। इसके साथ ही यूरीन टेस्ट से यह पता लगाया जा सकता है कि उनके स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ रहा है।

कून ने कहा, ''अगर आपके पास हजारों उपयोगकर्ता हैं तो आप स्वास्थ्य और जीवनशैली से जुड़े डाटा को परस्पर संबंधित कर सकते हैं, आप सही डायगनोस्टिक क्षमताओं को शुरू कर सकते हैं। यह किसी भी वायरल और बैक्टीरिया महामारी के शुरुआती संकेत मुहैया करा सकता है।''

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