स्लीप पैरालिसिस (Sleep Paralysis) अधिकतर केस में सोते समय हमारे शरीर द्वारा न हिल पाने को कहते हैं। बहुत से लोग स्लीप पैरालिसिस (Sleep Paralysis) को कुछ नकारात्मक शक्ति या भूत परेत से जुड़ा हुआ बताते हैं। इसलिए जिन लोगों को स्लीप पैरालिसिस देखने को मिलता है वह बहुत ही डर जाते हैं। स्लीप पैरालिसिस वह स्थिति होती है जिसमें आप होश में तो होते हैं लेकिन मूव नहीं कर पाते है। यह तब होता है जब आप नींद से उठ जाते हैं। इस दौरान आप कुछ समय के लिए न तो कुछ बोल पाते हैं और न ही हिल डुल पाते हैं। कुछ लोगों को ऐसा भी लगता है कि उनका गला चोक गया है। स्लीप पैरालिसिस (Sleep Paralysis) के साथ आपको अन्य कुछ स्लीप डिसऑर्डर का भी सामना करना पड़ सकता है।
स्लीप पैरालिसिस कब होता है (When Sleep Paralysis Occurs)
स्लीप पैरालिसिस (Sleep Paralysis) मुख्य रूप से दो समय पर होता है। अगर यह सोते समय होता है तो इसे इसे हाइपनागोगिक या प्रीडाॅरर्मिटल स्लीप पैरालिसिस कहा जाता और अगर यह जब आप जग रहे होते हैं तब होता है तो इसे हाइपोनेपॉम्पिक या पोस्टडाॅर्मिटल स्लीप पैरालिसिस कहा जाता है।
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हाइपनागोगिक स्लीप पैरालिसिस (Hypnagogic Sleep Paralysis)
जब आप सोते है तो आपका शरीर धीरे धीरे रिलैक्स करने लगता है और इसलिए इसे कुछ पता नहीं चल पता है इसलिए आप आने वाले कुछ बदलावों को नोटिस नहीं करते हैं। हालांकि अगर आप नींद से जाग जाते हैं तो आपको लगेगा कि आप बोलने और चलने या हिलने में असमर्थ हैं।
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हाइपोनेपॉम्पिक या पोस्टडाॅर्मिटल स्लीप पैरालिसिस (Hypnopompic Sleep Paralysis)
नींद के दौरान आपका शरीर रैपिड आई मूवमेंट और नॉन रैपिड आई मूवमेंट के बीच रहता है। इन दोनों गतिविधियों की एक साइकिल 90 मिनट तक रहती है। नॉन रैपिड आई मूवमेंट पहले होती है और यह आपकी नींद का लगभग 75% समय ले लेती है। इस दौरान आपका शरीर रिलैक्स और रिस्टोर करता है। इस गतिविधि के अंत में आपका शरीर रैपिड आई मूवमेंट में बदल जाता है। इस दौरान आपकी आंखें जल्दी जल्दी मूव करती हैं और आपको सपने भी इसी के दौरान आते है और आपका बाकी का शरीर पूरी तरह रिलैक्स रहता है। इस नींद के दौरान आपकी मसल्स भी ऑफ हो जाती हैं। अगर आप इस गतिविधि के समाप्त होने से पहले उठ जाते हैं तो आपको लगता है कि आप बोल या हिल नहीं पा रहे हैं।
स्लीप पैरालिसिस किसे होता है (Factors Sleep Paralysis)
हर 10 में से 4 लोगों को स्लीप पैरालिसिस होता है। यह स्थिति पहली बार आपकी युवा अवस्था में देखने को मिलती है। लेकिन किसी भी उम्र के लोगों में यह हो सकती है। यह स्थिति पूरे के पूरे परिवारों में भी देखने को मिल सकती हैं। अन्य कुछ फैक्टर जोकि स्लीप पैरालिसिस से जुड़े हुए हैं वह हैं :
- नींद की कमी।
- स्लीप शेड्यूल का बदलते रहना
- स्ट्रेस या बाइपोलर डिसऑर्डर जैसी मानसिक स्थिति
- बैक पर सोना
- अन्य स्लीप समस्याएं जैसे सोते समय पैरों में दर्द होना।
- कुछ दवाइयों का सेवन करना।

स्लीप पैरालिसिस को कैसे ट्रीट किया जा सकता है (How to Cure)
वैसे तो स्लीप पैरालिसिस को किसी तरह ट्रीट करने की जरूरत नहीं है लेकिन अगर आपको अन्य स्लीप समस्याएं हैं तो उन्हें आप ट्रीट कर सकते हैं और इससे स्लीप पैरालिसिस के दौरान होने वाली चिंता और घबराहट को कम किया जा सकता है।
- अपनी नींद की आदतों को सुधारें जैसे कम से कम 8 घंटे नींद लें।
- अगर डॉक्टर द्वारा एंटी डिप्रेसेंट दवाइयां बताई गई हैं तो उन्हें खाएं।
- अगर कोई मानसिक स्थिति है तो उसे ट्रीट करें।
अगर आपको कभी कभार स्लीप पैरालिसिस महसूस करने को मिलता है तो आपको किसी भूत आदि से डरने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि ऐसा कुछ नहीं होता है। इसकी बजाए आप अपनी नींद पूरी करें, ऐसी तरकीबें अपनाएं जिनसे आपकी स्ट्रेस कम हो सके खासकर सोने से पहले। इसके लिए आप हर रोज थोड़ा थोड़ा मेडिटेट कर सकते हैं। सोने की पोजीशन बदलें। अगर स्लीप पैरालिसिस आपको हर रोज सोने नहीं देता है तो किसी अच्छे डॉक्टर की मदद लेना न भूलें।
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