सामान्यतः आप एक दिन में कितने घंटे बैठते हैं? क्या कहा, आपको इस संबंध में कुछ नहीं पता। अगर नहीं पता तो जल्द टैली करें। जानते हैं क्यों? क्योंकि आप जितना लंबा पूरे दिन में बैठेंगे उतना ही आप बूढ़ापे की ओर खिसकते चले जाएंगे। दरअसल बैठे रहने का मतलब है खुद को पूरी तरह जाम कर देना। किसी भी तरह की गतिविधि से खुद को दूर रखना। स्वास्थ्य के लिहाज से यह सही नहीं है।
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हाल ही में हुए एक रिसर्च ने इन बात का खुलासा किया है कि जो जितना ज्यादा मूव करता है, वह उतना ही स्वास्थ्यवर्धक जीवन जीता है। डायबिटीज, मोटापा, हृदय संबंधी बीमारियां, कैंसर, प्रीमैच्योर डेथ। इन सब बीमारियों का रिश्ता हमारे लंबे समय तक बैठे रहने से जुड़ा है। 1500 बुजुर्ग महिलाओं पर हुए इस अध्ययन से पता चलता है कि जो महिलाएं ज्यादातर बैठी रहती हैं, उनकी जिंदा रहने की औसत उम्र जो महिलाएं हिलतीं डुलती रहती हैं, उनेस भिन्न है। अतः लंबा जीना है तो उठें, चलें और हिलते रहें।
बैठने का समय कम करें
जैसा कि इन दिनों वर्क कल्चर है हर शख्स कम से कम आठ घंटा आफिस में बैठा रहता है। ऐस में आपको चाहिए कि प्रति घंटा अपनी सीठ से उठें। अगर संभव है तो अपने बैठने के समय को कम करें। कोशिश करें कि सीट से उठते रहें। चहलकदमी करते रहें। अपने शरीर को बैठने का आदी न बनाएं। इससे शरीर को जंग नहीं लगेगा वरन हिलने डुलने की आदत बनी रहेगी। विशेषज्ञों की मानें तो जो लोग सारा दिन बैठे रहते हैं, वे एक समय बाद ज्यादा कामकाज भी नहीं कर पाते।
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बुजुर्गों के लिए हिलना जरूरी
अगर कोई बुजुर्ग यह सोचता है कि उसकी उम्र हो गयी है। उसे सारा दिन बैठे रहना चाहिए। आपको बता दें कि आपकी यह गलत अवधारणा है। इस तरह की सोच रखने से कोई फायदा नहीं है। इसके उलट आपको बीमारियां आकर अपनी चपेट में ले सकती है। इसलिए हिलें। हिलें ताकि बीमारी न पकड़े। हिलें ताकि आपका शरीर जाम न होने पाएं। हिलें ताकि शरीर हर समय एक्टिव मोड में बना रहे।
शुगर के मरीज बैठने से करें तौबा
जो लोग शुगर के मरीज हैं, उनके बैठना जानलेवा हो सकता है। दरअसल विशेषज्ञों की मानें तो शुगर के मरीजों को न सिर्फ अपने खानपान और जीवनशैली को नियंत्रित करना होता है बल्कि उन्हें हर समय एक्सरसाइज आदि भी करने रहना चाहिए। लेकिन साथ ही यह भी ध्यान रखना चाहिए कि उनका ज्यादातर समय बैठने में जाया न हो। बैठे रहने का मतलब है कि वे किसी तरह की गतिविधि में शामिल नहीं है। इसका मतलब साफ है कि उनके शुगर का स्तर बिगड़ सकता है।
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बुरे स्वास्थ्य की निशानी
अगर तमाम कोशिशों के बावजूद कोई व्यक्ति विशेष सारा दिन बैठा रहता। वह चाहकर भी उठ नहीं पाता। उठने के नाम से ही उसकी तबियत खराब होने लगती है। ऐसे में समझे कि व्यक्ति विशेष बीमारी की जद में है। यही कारण है कि वह कोशिशों के बावजूद उठ नहीं पा रहा।
चोट की आशंका में कमी
जो लोग कम बैठते हैं, इसका मतलब है कि वह हर पल किसी न किसी शारीरिक गतिविधि से जुड़े रहते हैं। विशेषज्ञों का कहना है जो लोग कोई न कोई शारीरिक काम करते रहते हैं, उन्हें चोट कम लगती है। अगर गिर जाए तो भी उनके लचीला शरीर उस चोट को सहन कर लेता है। जबकि बैठे रहने वाले व्यक्ति के साथ ऐसा नहीं है। अकसर बैठे रहने वाले व्यक्ति आलस से भी घिरे रहते हैं।
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