Single Use Plastic Ban: पर्यावरण के साथ आपकी सेहत के लिए भी खतरनाक है 'सिंगल यूज प्‍लास्टिक', जानें क्‍यों

Single-Use Plastic: अनगिनत अध्ययनों में दर्शाया गया है कि सिंगल यूज प्लास्टिक मानव स्वास्थ्य के लिए कितना नुकसानदेह है लेकिन फिर भी हमारे रोजमर्या के इस्तेमाल में सिंगल यूज प्लास्टिक का प्रयोग खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है।
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Single Use Plastic Ban: पर्यावरण के साथ आपकी सेहत के लिए भी खतरनाक है 'सिंगल यूज प्‍लास्टिक', जानें क्‍यों


प्लास्टिक या फिर सिंगल यूज प्लास्टिक (Single-Use Plastic)न केवल हमारे समुद्री जीवों बल्कि पारिस्थितिकी तंत्र को भी नष्ट कर रहा है। अनगिनत अध्ययनों में दर्शाया गया है कि सिंगल यूज प्लास्टिक मानव स्वास्थ्य के लिए कितना नुकसानदेह है लेकिन फिर भी हमारे रोजमर्या के इस्तेमाल में सिंगल यूज प्लास्टिक का प्रयोग खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। ऐसे कई चौंका देने वाले आंकड़े हैं, जो हमें सिंगल यूज प्लास्टिक उत्पादों के बारे में सोचने के लिए मजबूर करते हैं लेकिन आलम ये है कि इसका उपभोग कम होने के बजाए लगातार बढ़ रहा है।  अगर आप अपने किचन या फिर ऑफिस के आस-पास नजर दौड़ाएंगे तो बहुत ही कम संभावना है कि आपको प्लास्टिक वाली पानी की बोतलें, कॉफी के कप, स्ट्रॉ, थैलियां, कंटेनर या फिर पानी के गिलास जैसे सिंगल यूज प्लास्टिक उत्पाद न दिखाई दें। सिंगल यूज प्लास्टिक मौजूदा दौर के लिए पर्यावरण और स्वास्थ्य के परिदृश्य से सबसे चर्चित विषय बन गया है। इसलिए अपनी जिंदगी से सभी प्रकार के सिंगल यूज प्लास्टिक उत्पादों को हटाना न सिर्फ वास्तविकता बन गई है बल्कि हमारे लिए अपनी आगामी पीढ़ी को बचाने के लिए एक जरूरी कदम बन गया है।

जर्नल साइंस एडवांस में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक, सिंगल यूज प्लास्टिक (Single-Use Plastic)या फिर प्लास्टिक को 1950 की शुरुआत में प्रसिद्धि मिलनी शुरू हुई थी, जिसका उत्पादन बढ़कर विश्व में अब 18.2 ट्रिलियन पाउंड तक हो गया है और इसका उत्पादन कम होने की संभावना भी दिखाई नहीं दे रही। वैज्ञानिकों का दावा है कि 2050 तक विश्वभर में सिंगल यूज प्लास्टिक का उत्पादन 26.5 ट्रिलियन पाउंड हो जाएगा। अगर आप सोच रहे हैं कि पानी की एक छोटी सी बोतल या फिर स्ट्रॉ कैसे हमारे पर्यावरण और स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाती है तो आपके लिए यह लेख पढ़ना बेहद जरूरी है। 

कैसे प्लास्टिक खत्म कर रही हमारे समुद्र 

प्लास्टिक का बनाया गया हर एक टुकड़ा हमारे पर्यावरण में किसी न किसी रूप में हमेशा बरकरार रहेगा लेकिन जिन प्लास्टिक को हम अक्सर घर से बाहर निकालकर फेंक देते हैं वह हवा के सहारे या ढलावघरों और सड़कों के साथ बनी नालियों के माध्यम से गटर से होता हुआ सीधा हमारे समुद्रों में पहुंचता है। एक अध्ययन के मुताबिक अमेरिका में हर साल लोग 185 पाउंड प्लास्टिक कूड़े में फेंकते हैं और सालाना विश्वभर में 320 मीलियन टन प्लास्टिक का उत्पादन हो रहा है, जो हमारे समुद्री पर्यावरण को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा रहा है। हमारे द्वारा किया जा रहा प्लास्टिक उपभोग मछलियों सहित समुद्री जीवन को सीधा प्रभावित कर रहा है और आपको बता दें कि मछली इंसानों द्वारा खाया जाने वाला एक खाद्य पदार्थ है। इस बात का अंदाजा आप लगा सकते हैं कि जब मछलियों की मौत प्लास्टिक खाने से हो जाती है तो जब आप उन मछलियों का सेवन करते हैं तो आपके स्वास्थ्य के लिए सिंगल यूज प्लास्टिक (Single-Use Plastic) कितनी नुकसानदेह है।

प्लास्टिक में सबसे ज्यादा प्रयोग होने वाली सिंगल यूज प्लास्टिक (एक बार प्रयोग में आने वाली)

क्या आप जानते हैं कि 2016 में सालाना प्लास्टिक का उत्पादन 335 मिलियन मैट्रिक टन था, जिसमें से ज्यादातर सिंगल यूज प्लास्टिक (Single-Use Plastic) वाले उत्पाद थे। इन उत्पादों में प्लास्टिक बैग, पैकेजिंग, पानी की बोतलें और स्ट्रॉ थीं। उदाहरण के लिए क्या आप जानते हैं कि पारंपरिक लिक्विड लौंडरी डिटरजेंट को हाई डेंसिटी वाली पौलीथिन से पैक किया जाता है और 68 फीसदी पानी की बोतलों को रिसाइकल नहीं किया जा सकता है। यहीं कारण है हमारा पर्यावरण और हमारा स्वास्थ्य इन्हीं चीजों से लगातार बिगड़ता जा रहा है।

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प्लास्टिक में मौजूद बीपीए बना रहा लोगों को बांझ

बीपीए (बिसफेनोल ए) एक ऐसा रसायन है, जिसका प्रयोग प्लास्टिक के उत्पादन में 1960 से लगातार किया जा रहा है और यह पैकेजिंग, किचन के सामान और कैन या जार के ढक्कन की अंदरूनी कोटिंग सहित हमारे खाने के सीधा संपर्क में होता है। अध्ययनों में दर्शाया गया है कि बीपीए एस्ट्रोजन रिसेप्टर्स के साथ प्रतिक्रिया करता है और महिलाओं व पुरुषों में बांझपन, प्रारंभिक यौवन, स्तन व प्रोस्टेट कैंसर और पॉलीसिस्टिक अंडाशय सिंड्रोम (PCOS)सहित कई अंतःस्त्रावी विकारों में एक अहम भूमिका निभाता है। यही कारण है कि आप इन दिनों बाजार में बीपीए मुक्त प्लास्टिक उत्पाद पाते हैं।

मोटापे से भी जुड़ा है प्लास्टिक में प्रयोग होने वाला बीपीए 

एंडोक्राइन डिसरप्टर के रूप में जाने जाना वाला बीपीए हार्मोन की सीरम स्तर सहित एंडोक्राइन सिस्टम की सामान्य गतिविधियों में रुकावट पैदा करता है। हार्मोन का सीरम स्तर हमारे मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करता है। यह इस बात का पुख्ता सबूत है कि बीपीए  उम्र बढ़ने और गर्भाशय दोनों में मोटापे के विकास में एक अहम भूमिका निभाता है।

शिशुओं के लिए खतरनाक बीपीए

एक हालिया रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि माइक्रोवेव में खाने को स्टोर या फिर गर्म रखने वाले प्लास्टिक कंटनरों का प्रयोग बच्चों के स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा कर सकता है। अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स एक रिपोर्ट में सुझाव के बाद प्लास्टिक कंटनेरों में सुधार की अपील की गई ताकि खाने में रंग, प्रीजरवेटिव और पैकेजिंग सामग्री बच्चों के लिए किसी प्रकार का जोखिम पैदा न कर सके। प्लास्टिक बनाने में प्रयोग किए जाने वाले रसायन बच्चों के शारीरिक विकास, उनके मस्तिष्क में ज्ञान संबंधी चीजों की कमी और बचपन में मोटापे की संभवानओं को बढ़ा देते हैं। संस्थान ने अभिभावकों से आग्रह किया कि वे भोजन या पेय पदार्थों को गर्म करने के लिए माइक्रोवेव का उपयोग और डिशवॉशर में प्लास्टिक को रखने से बचें। अगर आपके बच्चे थोड़े बड़े हैं, तो सुनिश्चित करें कि आप हर साल प्लास्टिक को अपनी जिंदगी से दूर कर पृथ्वी दिवस मनाएं।

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आपके थायराइड गतिविधियों को प्रभावित करता है बीपीए 

आपके शरीर में ऊर्जा को नियंत्रित करने वाले थायराइड हार्मोन को भी सिंगल यूज प्लास्टिक में प्रयोग होने वाला बीपीए प्रभावित करता है। नवंबर 2016 में, इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एनवायर्नमेंटल रिसर्च एंड पब्लिक हेल्थ ने बीपीए को ऑटोइम्यून थायराइड विकारों (जैसे हाशिमोटो रोग) से जोड़ने के साक्ष्य प्रकाशित किए। लैब टेस्ट में पाया गया कि 52 फीसदी लोगों में थायराइड एंटीबॉडीज काफी बढ़ी हुई थी क्योंकि इनमें बीपीए की मात्रा सीमा से अधिक पाई गई थी। बीपीए के टॉक्सिक स्तर ने उनके थायराइड ग्लैंड को नुकसान पहुंचाया है।

बीपीए जन्म समस्याओं और गर्भपात का बनता है कारण

एक नए अध्ययन में पाया गया है कि बीपीए महिलाओं के प्रजनन प्रणाली को नकरात्मक रूप से प्रभावित करता है और उनके क्रोमोसोम को क्षति पहुंचाता, शिशु के जन्म में परेशानी पैदा करता है और गर्भपात का कारण बन सकता है। वाशिंगटन स्टेट यूनिवर्सिटी और कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पाया कि बीपीए के संपर्क में आई मादा बंदरों में प्रजनन असंगतियां पाई गईं और उन्हें बच्चे जनने में काफी परेशानी के साथ-साथ गर्भपात का भी सामना करना पड़ा।

बीपीए दिल संबंधी रोगों का भी कारण

कुछ शोधों में पाया गया है कि बीपीए हमारे दिल और धमनियों को नुकसान पहुंचा सकता है, जिसके कारण हमारे दिल की धड़कन में तेजी या कमी और धमनियों में प्लाक जमा हो सकता है, जिस कारण दिल का दौरा, हार्ट फेलियर और स्ट्रोक जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

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