
थायरायड ग्रंथि से निकलने वाले हार्मोन शरीर की लगभग सभी क्रियाओं पर अपना प्रभाव डालता है।
थायरायड ग्रंथि गर्दन के सामने की ओर,श्वास नली के ऊपर एवं स्वर यन्त्र के दोनों तरफ दो भागों में बनी होती है। इसका आकार तितली की तरह होता है। एक स्वस्थ व्यक्ति में थायरायड ग्रंथि का भार 25 से 50 ग्राम तक होता है | यह ‘ थाइराक्सिन ‘ नामक हार्मोन बनाती है। पैराथायरायड ग्रंथियां, थायरायड ग्रंथि के ऊपर व मध्य भाग की ओर जोड़ों के रुप में होती है और इनकी संख्या चार होती है। यह ‘पैराथारमोन’ हार्मोन का उत्पादन करती हैं | इन ग्रंथियों के प्रमुख रूप से निम्न कार्य हैं-
कार्य
थायरायड ग्रंथि से निकलने वाले हार्मोन शरीर की लगभग सभी क्रियाओं पर अपना प्रभाव डालता है। आईए जानें थायरायड ग्रंथि के प्रमुख कार्य क्या है।
- बच्चों के विकास में इन ग्रंथियों का विशेष योगदान होता है |
- यह शरीर में कैल्शियम एवं फास्फोरस को पचाने में मदद करता है।
- इसके द्वारा शरीर के ताप को नियंत्रण किया जाता है।
- शरीर से दूषित पदार्थों को बाहर निकालने में सहायता करती है |
थायरायड के हार्मोन असंतुलित होने से निम्न रोगों के लक्षण उत्पन्न होने लगते हैं –
हायपोथायराडिज्म थायरायड ग्रंथि से थाईराक्सिन कम बनने की अवस्था को ‘हायपोथायराडिज्म’ कहते हैं, इस से निम्न रोग के लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं -
- शारीरिक व मानसिक विकास धीमा हो जाता है।
- इसकी कमी से बच्चों में क्रेटिनिज्म(CRETINISM) नामक रोग हो जाता है |
- 12 से 14 साल के बच्चे की शारीरिक वृद्धि रुक जाती है और 4 से 6 साल के बच्चे जितनी ही रह जाती है |
- शरीर का वजन बढ़ने लगता है एवं शरीर में सूजन भी आ जाती है |
- सोचने व बोलने की क्रिया धीमी हो जाती है।
- शरीर का ताप कम हो जाता है, बाल झड़ने लगते हैं तथा ‘गंजेपन’ की स्थिति आ जाती है |
हाइपरथायरायडिज्म
इसमें थायराक्सिन हार्मोन अधिक बनने लगता है | इससे निम्न रोग लक्षण उत्पन्न होते हैं
- शरीर का ताप सामान्य से अधिक हो जाता है |
- अनिद्रा, उत्तेजना तथा घबराहट जैसे लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं |
- शरीर का वजन कम होने लगता है |
- कई लोगों की हाथ-पैर की अंगुलियों में कम्पन उत्पन्न हो जाता है |
- मधुमेह रोग होने की प्रबल सम्भावना बन जाती है |
- घेंघा रोग उत्पन्न हो जाता है |
- शरीर में आयोडीन की कमी हो जाती है |
थायरायड का परीक्षण
थायरायड के कई परीक्षण हैं जैसे- टी3 (T -3) , टी4(T -4) , एफटीआई (FTI) , तथा टीएसएच (TSH)। इनपरीक्षणों से थायरायड ग्रंथि की स्थिति का पता चलता है। कई बार थायरायड ग्रंथि में कोई रोग नहीं होता लेकिन पिट्युटरी ग्रंथि के ठीक तरह से काम नहीं करने के कारण थायरायड ग्रंथि को उत्तेजित करने वाले हार्मोन -TSH (Thyroid Stimulating hormone ) थायरायड स्टिरमुलेटिंग हार्मोन ठीक प्रकार नहीं बनते और थायरायड से होने वाले रोग लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं |
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