कुछ वर्षों पहले तक भारत आयुर्वेदिक इलाज के साथ बीमारियों को दूर करने के लिए लोग इसी पर भरोसा करते थे। लेकिन आधुनिकता की दौड़ में लोग अप एलोपैथी की ओर रुख करने लगे हैं। लेकिन भारत में आज भी कई जगहों पर पौराणिक इलाज की पद्दिति के सहारे ही इलाज किया जाता है। हम बात कर रहे हैं शिला अभ्यंग मसाज की। यह आयुर्वेदिक तेल और पत्थर के साथ बॉडी मसाज करने प्राचीन कला है। यह मालिश 60 से 90 मिनट की होती है। आज कल लोग इसे हॉट स्टोन मसाज के नाम से भी जानते हैं। इससे बॉडी फिट रहती है, तनाव कम होता है, शरीर मजबूत होता है। मांसपेशियों को लचीला बनाती है, स्किन हेल्दी व ठीक रहता है। यह आयुर्वेद की मालिश पूरे दुनिया में मशहूर है। इसे हम पत्थर की मालिश भी कह सकते हैं। अगर बॉडी में पेन है तो इस मसाज से वो ठीक होता है, यह शरीर के संचार प्रणाली को स्वस्थ रखता है। जमशेदपुर के राहरगोड़ा में मसाज थेरेपिस्ट सनम राजपूत से बात कर हम शिला अभ्यंग के फायदे और इसे कैसा किया जाता है आदि के बारे में जानते हैं। एक्सपर्ट ने बताया कि ये एक प्राचीन मसाज है, जो शरीर को ज्यादा फायदा देती है। यह मसाज को आमतौर पर एक प्रशिक्षित और लाइसेंस प्राप्त मसाज थेरेपिस्ट से कराना चाहिए। यह सभी के लिए सही नहीं है। बच्चों और गर्भवती को हॉट स्टोन मसाज से बचना चाहिए। तो आइए इस आर्टिकल में हम इस मसाज और इससे जुड़े फायदों के बारे में जानते हैं।
जैनें कैसे किया जाता है शिला अभ्यंग मसाज
मसाज थेरेपिस्ट बताते हैं कि मसाज करने के लिए सबसे तेल, गर्म, पानी और शिला (पत्थर ) को ले लिया जाता है। इसके बाद तेल को शरीर पर डाला जाता है व गर्म पानी में शिला डुबोकर इसे गर्म किया जाता है। गर्म शिला (पत्थर ) को शरीर के चिकने, स्पॉट जगहों पर रखा जाता है। ये पत्थर आमतौर पर नदी के किनारे पाए जाने वाले पत्थर होते हैं। पत्थर को शरीर में रगड़कर मसाज किया जाता है। कभी-कभी हॉट स्टोन मसाज के दौरान ठंडे पत्थरों का भी इस्तेमाल किया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि किसी भी रक्त वाहिकाओं को शांत करने और त्वचा को शांत करने के लिए किया जाता है। थेरेपिस्ट दोनों हाथों में पत्थर को पकड़कर मांसपेशियों के साथ ले जाने के लिए ग्लाइडिंग मूवमेंट का उपयोग करते हैं। पीठ, पैर, गर्दन व कंधों पर अलग अलग तरीकों से मालिश की जाती है। अलग में यह एक प्रकार की तकनीक है जिसकी मदद से मालिश की जाती है।
मसाज से होने वाले फायदें
- तेल के शरीर पर पड़ने से आप तनाव मुक्त हो जाएंगे
- शिला से मसाज करने से मांसपेशियों को मजबूती मिलती है
- अवसाद, गठिया या फाइब्रोमायल्गिया जैसे दर्द सिंड्रोम
- उच्च रक्तचाप से राहत
गर्म पत्थर से मालिश की पहचान
आपने यह गौर किया होगा कि दक्षिण भारत में यह मसाज काफी प्रचलित है। पारंपरिक तेल का इस्तेमाल कर मसाज किया जाता है। खासतौर पर केरल घूमने आने वाले टूरिस्टों को मसाज दिया जाता है। एक्सपर्ट बताते हैं कि मालिश की पहचान गर्म पत्थरों का उपयोग कर किया जाता है। इसमें नदी की चट्टानों का आमतौर पर उपयोग किया जाता है क्योंकि वे चिकनी (नदी की धारा से) होती हैं व अच्छी तरह से गर्मी बरकरार रखती हैं। इस मालिश से अवसाद, गठिया या फाइब्रोमायल्गिया जैसे दर्द सिंड्रोम, उच्च रक्तचाप आदि से राहत मिलती है।
अगर जलन हो तो तुरंत बताएं
एक्सपर्ट बताते हैं कि इस मालिश में गर्म पत्थर चिकने होते हैं और आमतौर पर कई इंच लंबे होते हैं। ऐसे में हम लोगों को सलाह देते हैं कि अगर पत्थर ज्यादा गर्म है तो तुरंत मालिश चिकित्सक को बताएं। अगर नहीं बताएंगे तो यह शरीर को जला सकती है।
लाइसेंस प्राप्त थेरेपिस्ट से ही मसाज कराएं
- मालिश से पहले कुछ न खाएं
- शिला (पत्थर) अभ्यंग के लिए सिर्फ प्रशिक्षित लाइसेंस प्राप्त मसाज थेरेपिस्ट से मिलें
- मालिश से पहले और बाद में पानी पीकर रहें ताकि शरीर में पानी की कमी न हो
- पत्थर के ज्यादा गर्म और तीव्र दबाव की जानकारी थेरेपिस्ट को दें
- इसे करवाते समय सावधान रहें
गर्म पत्थरों को शरीर के इन अंगों पर रखा जाता है
- पीठ
- पेट
- छाती
- अपनी हथेलियों पर
- पैरों और पैर की अंगुलियों पर
इन समस्याओं से मिलती है राहत
- चिंता
- अवसाद
- अनिद्रा
- पीठ का दर्द
शिला अभ्यंग कराने से ये होते हैं फायदे
मांसपेशियों में तनाव और दर्द कम होता है
एक्सपर्ट बताते हैं कि इस मसाज को करवाने से मांसपेशियों में तनाव और दर्द को कम होता है। रक्त के प्रवाह को बढ़ाने में मदद करता है। यह मांसपेशियों की ऐंठन को भी कम करता है। लचीलेपन और गति की सीमा को बढ़ा सकता है। सूजन को भी दूर करने में मदद करता है। आपके लक्षणों के आधार पर, मालिश के दौरान गर्म व ठंडे पत्थरों का इस्तेमाल बारी-बारी से करना होता है। इसलिए यह मसाज किसी एक्सपर्ट से ही करवाने की सलाह देते हैं।
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तनाव को कम करता है, अच्छी नींद आती है
एक्सपर्ट बताते हैं कि मसाज थेरेपी से मनुष्य को तनाव कम होता है। हृदय संबंधी प्रतिक्रियाओं में सुधार होता है। अगर आपको अनिद्रा की समस्या है, नींद नहीं आती है तो इस मसाज से आपको जल्द नींद आएगी। पीठ की मालिश से आराम और नींद को बढ़ावा मिलता है। आप देखते होंगे नवजात को मालिश दी जाती है। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि इससे बच्चों की मांसपेशियां मजबूत रहे, साथ में नींद भी जल्दी आए। कुल मिलाकर आप बोल सकते हैं कि शिला अभ्यंग से अच्छी नींद आती है।
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ऑटोइम्यून बीमारियों के लक्षणों को दूर करता है
एक्सपर्ट बताते हैं कि गर्म पत्थर की मालिश फाइब्रोमायल्गिया के दर्द से राहत दिलाती है। यह पुराना दर्द होता है। 30 मिनट की मालिश करने वाले फाइब्रोमाइल्गिया के दर्द से काफी हद तक राहत मिलती है। ऐसे में इस बीमारी से पीड़ित मरीज मालिश करवाने के बाद अधिक समय तक सोते हैं, दर्द में कमी आती है। मालिश आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है।
जानें किन लोगों को करवाना चाहिए अभ्यंग
अगर आप मांसपेशियों में तनाव और दर्द, अनिद्रा या ज्यादा टेंशन महसूस करते हैं तो आपको शिला अभ्यंग जरूर करवाना चाहिए। इसे करवाकर आप रिलेक्स महसूस कर सकते हैं। इससे आपको काफी फायदा होता है। अगर आपको शरीर में बहुत पुराना दर्द है जो छूट नहीं रहा है तो डॉक्टर की सलाह के बाद यह मसाज करावाएं। गर्म पत्थर से मसाज से यह दर्द पर राहत मिल सकता है।
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