
इन्फेंटाइल स्कोलियोसिस (Infentile Scoliosis) एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें बच्चे की एक साइड की रीढ़ की हड्डी में एक असामान्य सा कर्व आ जाता है। जब रीढ़ की हड्डी का एंगल 10 डिग्री से अधिक हो जाता है तो उसे असामान्य माना जाता है। यह बच्चों के जन्म के बाद देखने को मिलती है और केवल तीन साल से कम उम्र के बच्चों में ही देखी जा सकती है। इस स्थिति में बच्चों को दर्द महसूस नहीं होता है। इस स्थिति के अधिकतर केसों में केवल न के बराबर उपचार की जरुरत होती है और यह अपने आप ही ठीक हो जाता है। मदरहुड हॉस्पिटल सीनियर कंसल्टेंट पीडियाट्रिशियन एंड नियोनाटोलॉजिस्ट, डॉक्टर अमित गुप्ता के मुताबिक ज्यादातर केसों में, स्कोलियोसिस बीमारी के कारणों का पता नहीं चल पाता है। एक बच्चा इस बीमारी के साथ पैदा होता है या बाद में यह बीमारी डिवेलप हो सकती है लेकिन अधिकतर 10 से 18 साल के बच्चों के बीच में इस तरह की समस्या देखी जा सकती है और खासकर कि लड़कियों में।
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स्कोलियोसिस का कारण - Causes of Scoliosis
इस बीमारी के ज्यादातर संभावित कारणों में नर्वस सिस्टम की समस्याएं, पैर की लंबाई में अंतर होना, किसी चोट की वजह से, किसी इंफेक्शन की वजह से, या कोई ट्यूमर या फिर अनुवांशिक समस्या अथवा सेरेब्रल पाल्सी आदि शामिल हैं। पर इसके अलावा भी इसके कई कारण जैसे कि
1. इंट्रा यूटरीन मोल्डिंग
इस अवस्था में बच्चे की रीढ़ की हड्डी मां के यूट्रस में ही थोड़ा मुड़ जाती है। क्योंकि उस पर यूट्रिन की दिवार के द्वारा थोड़ा असामान्य दबाव लगाया जाता है। अगर यूटरस के अंदर बच्चे की अवस्था सही न हो तो भी ऐसा हो सकता है और यह ही बच्चों में स्कोलियोसिस का मुख्य कारण होता है।
2. जैनेटिक इन्हेरिटेंस
स्कोलियोसिस केवल एक मुख्य स्थान पर ही पाया जाता है। इसलिए यह इस ओर भी संकेत देता है कि आपके परिवार में पहले किसी को स्कोलियोसिस की समस्या हो सकती है। जिस वजह से बच्चे में भी यह स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
3. पोस्ट नटल एक्सटर्नल प्रेशर
अगर आप अपने बच्चे को कमर के बल ही बहुत लंबे समय तक लिटाए रखते हैं और उसे उठाते नहीं हैं या उसकी अवस्था को नहीं बदलते हैं, तो भी आपके बच्चे की रीढ़ की हड्डी में समस्या पाई जा सकती है। उनकी स्पाइन प्रेशर के कारण थोड़ी बैंड हो जाती है।
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स्कोलियोसिस के लक्षण-Scoliosis Symptoms
पोस्चर में थोड़े असामान्य बदलाव
कंधों की मुड़ी हुई अवस्था या फिर एक कंधे का दूसरे से अधिक हावी दिखना
एक ओर से रीढ़ की हड्डी का या रिब केज का दिखना ही बंद हो जाना।
पैरों की लम्बाई में भिन्नता होना और एक टांग का दूसरी टांग के मुकाबले अधिक लंबा दिखाई देना।
सिर का एक ओर झुका रहना और कंधों के बीच में न रुक पाना।
खड़े होते समय एक बाजू शरीर की ओर अधिक झुकी हुई प्रतीत होना।
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इस की पहचान कैसे की जा सकती है (How to Diagnose)
फिजिकल एग्जामिनेशन : डॉक्टर बच्चे की कमर और पोस्चर को चेक करते हैं और उसके हिप्स की भी अवस्था को देखते हैं और इस आधार पर वह इस समस्या की पुष्टि कर सकते हैं।
एक्स रे : एक्स रे के द्वारा रीढ़ (स्पाइन) की अवस्था की जांच की जा सकती है और इसकी आस पास की हड्डियों को भी देखा जा सकता है कि कहीं उनमें तो कुछ गड़बड़ नहीं।
एमआरआई : इस टेस्ट के द्वारा बच्चे की स्पाइन या अन्य बॉडी पार्ट्स की डिटेल तस्वीर ली जा सकती है और उसकी जांच की जा सकती है।
सीटी और डेक्सा स्कैन : इस स्कैन द्वारा शरीर की क्रॉस सेक्शनल तस्वीरें आती हैं और इस स्कैन द्वारा शरीर की हड्डियों द्वारा संबंधित स्थिति का पता चलता है।
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स्कोलियोसिस का इलाज- Scoliosis treatment
जांच : जिन बच्चों में यह स्थिति बहुत मामूली पाई जाती है, वह डॉक्टरों द्वारा जांच के अंतर्गत रखे जाते हैं। इन्हें समय समय कर चेक किया जाता है और कुछ समय बाद उनकी यह स्थिति अपने आप ही ठीक हो जाती है।
ब्रेसिंग : जिन बच्चों को थोड़ी गंभीर स्कोलियोसिस की स्थिति होती है उन्हें जब तक यह स्थिति ठीक न हो जाए तब तक रीढ़ में ब्रेस (TLSO) पहनाए जाते हैं।
सीरियल बॉडी कास्टिंग : बच्चे को एनिस्थिसिया देकर उनके शरीर में एक कास्ट अप्लाई की जाती है और यह एक साल से कम उम्र के बच्चों के साथ किया जाता है।
वैसे तो आधे से अधिक बच्चों की यह स्थिति अपने आप ही ठीक हो जाती है लेकिन अगर आप इस स्थिति को इग्नोर कर देते हैं और डॉक्टर के पास अपने बच्चे को नहीं दिखा कर लाते हैं तो अवश्य ही आपके बच्चे को आगे जा कर दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
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