Salman Rushdie loses sight in eye: मशहूर और विवादित लेखक सलमान रुश्दी को लेकर एक बड़ी खबर आ रही है। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि सलमान रुश्दी की एक आंख की रोशनी पूरी तरह के चली गई है। इसके अलावा उनके एक साथ ने भी पूरी तरह से काम करना बंद कर दिया गया है। मीडिया से बातचीत में सलमान रुश्दी के प्रतिनिधि ने कहा कि अगस्त में हुए हमले के बाद उनके कुछ अंगों पर प्रभाव पड़ा है। रुश्दी पर पश्चिमी न्यूयॉर्क शहर में आयोजित साहित्यिक कार्यक्रम में चाकू से हमला हुआ था। सॉल बेलो और रोबर्टो बोलानो जैसे बड़े लेखकों का प्रतिनिधित्व करने वाले एंड्रू वायली ने बताया कि रुश्ती की हालत गंभीर है।
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इंटरव्यू के दौरान सलमान रुश्दी पर हुआ था हमला
जानकारी के लिए बता दें कि सलमान रुश्दी पर उस वक्त जानलेवा हमला हुआ था, जब वो स्पेन के एक अखबार एल पाइस को इंटरव्यू दे रहे थे। इस हमले में रुश्दी के गले पर तीन घाव हो गए थे। इस हमले में रुश्दी की छाती और धड़ पर 15 से ज्यादा घाव हो गए थे। नसों के कटने की वजह से बहुत पहले ही सलमान रुश्दी के एक हाथों ने काम करना बंद कर दिया था। इंटरव्यू के दौरान रुश्दी पर हुए हमले के बाद न्यूयॉर्क में बवाल मच गया था। इस पूरे घटनाक्रम के बाद रुश्दी को तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां उनका इलाज अब भी किया जा रहा था। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो रुश्दी को इलाज लगभग 2 महीने से अस्पताल में चल रहा है।
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33 साल पहले रुश्दी के खिलाफ जारी हुआ था फतवा
रुश्दी पर हुए इस हमले से 33 साल पहले ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह रुहोल्लाह खौमैनी ने उनकी ‘द सेटेनिक वर्सेस’ को लेकर उनके खिलाफ फतवा जारी किया था। उन्होंने उनका सिर कलम करने की बात कही थी। इस किताब को ईशनिंदा के तौर पर देखा गया था। रुश्दी मुस्लिम-कश्मीरी परिवार में भारत में जन्मे थे। चूंकि, उन पर फतवा जारी था, इसलिए उन्हें 9 साल ब्रिटिश पुलिस की सुरक्षा में गुजारने पड़े थे। हालांकि, ईरान के सुधारवारी राष्ट्रपति मोहम्मद खातमी ने 1990 में खुद को इस फतवे से अलग कर लिया था। लेकिन, करोड़ों रुपये का फतवा रुश्दी पर बना रहा, उसे किसी ने हटाया नहीं। इस बीच साल 2019 में खौमैनी के उत्तराधिकारी अयातुल्लाह अली खमैनी के कहा कि रुश्ती पर फतवा जारी है।
कौन हैं सलमान रुश्दी?
अहमद सलमान रुश्दी का जन्म 19 जून 1947 को मुंबई में हुआ था। रुश्दी भारतीय मुस्लिम परिवार में पैदा हुए थे लेकिन वे खुद को नास्तिक बताते हैं। भारतीय मूल के उपन्यासकार रुश्दी ने अपने 1981 के उपन्यास 'मिडनाइट्स चिल्ड्रन' के जरिए खासा प्रसिद्धि हासिल की थी। किताब को उसी साल दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित साहित्यिक पुरस्कार 'बुकर प्राइज' से सम्मानित किया गया था। इस किताब को बुकर प्राइज जीतने वालों में दो बार (1993 और 2008 में) दुनिया के सर्वश्रेष्ठ उपन्यास के नवाजा गया था।