Is Running Better For Lungs Than Walking In Hindi: दौड़ना और चलना, दोनों अपनी-अपनी जगह फायदेमंद एक्सरसाइज है। वॉक की बात करें, तो इसे कोई भी कर सकता है। हर उम्र वर्ग के व्यक्ति के लिए चलना फायदेमंद होता है। ऐसा इसलिए कहा जाता है, क्योंकि वॉकिंग एक साधारण सी एक्सरसाइज है। व्यक्ति अपने स्ट्रेंथ और स्टेमिना के हिसाब से इसकी इंटेंसिटी को बढ़ा सकता है। वहीं, रनिंग यानी दौड़ने की बात करें, तो यह शुरुआत से हाई इंटेंसिटी वाली एक्सरसाइज है। इसलिए, अगर कोई कमजोर है या अस्थमा का रोगी है, तो उन्हें रनिंग करने की सलाह नहीं दी जाती है। हालांकि, एक्सपर्ट्स सलाह देते हैं कि व्यक्ति अपनी सहूलियत के अनुसार इनमें से कोई भी एक्सरसाइज कर सकता है। लेकिन, यहां सवाल है कि लंग्स के लिए इनमें से बेहतर एक्सरसाइज क्या है? क्या दौड़ने से लंग्स को ज्यादा फायदा होता है? या चलना लंग्स को अधिक लाभ पहुंचाता है? आइए, जानते हैं कि इस बारे में इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल और हिलिंग टच क्लीनिक के ऑर्थोपेडिक सर्जन और स्पोर्ट्स इंजरी स्पेशलिस्ट डॉक्टर अभिषेक वैश की क्या सलाह है। (lungs ke liye running vs walking)
लंग्स के लिए दौड़ना बेहतर है या चलना- Is walking or running better for the lungs?
लंग्स के लिए रनिंग के फायदे
इंटेंसिटी ज्यादा होनाः जो लोग रनिंग करते हैं, उन्हें अधिक इंटेंसिटी की जरूरत होती है। दौड़ते हुए आपने नोटिस किया होगा सांस फूलने लगती है, दौड़ते हुए अधिक एनर्जी की जरूरत पड़ती है। ऐसा करके आपमें ऑक्सीजन सप्लाई बढ़ती है और लंग्स को भी फायदा होता है।
रेस्पिरेटरी मसल्स में सुधारः जो लोग नियमित रूप से दौड़ते हैं, उनकी रेस्पिरेटरी मसल्स भी बेहतर होती है। असल में, दौड़ने की वजह से ब्रीदिंग पॉवर बेहतर होती है, मसल्स को स्ट्रेंथ मिलती है और ओवर ऑल ब्रीदिंग एफीशिएंसी में भी सुधार होता है।
लंग कैपेसिटी बढ़ती हैः वैसे तो लंग्स की ऑक्सीजन इनहेल करने की कितनी कैपेसिटी होगी, यह जींस तय करते हैं। लेकिन, अगर आप रेगुलर रनिंग करते हैं, तो इससे लंग्स की ऑक्सीजन प्रोसेस करने की क्षमता में भी सुधार देखने को मिलता है।
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लंग्स के लिए वॉक करने के फायदे
सामान्य लाभः रनिंग के मुकाबले, वॉकिंग लंग्स को कम फायदा पहुंचाती है। हालांकि, यह कहना गलत होगा कि वॉकिंग से लंग्स को फायदा नहीं होता है। अगर आप रेगुलर वॉक करते हैं, तो इससे बॉडी में ऑक्सीजन सप्लाई में सुधार होता है, जिससे लंग्स की हेल्थ पर पॉजीटिव असर पड़ता है।
इंजुरी का जोखिम नहींः रनिंग करते हुए गिरने या चोट लगने का रिस्क हमेशा बना रहता है। वहीं, वॉक करने वालों को गिरने और चोट लगने का रिस्क कम होता है। ऐसे में जिन्हें अर्थराइटिस जैसी समस्या है, वे भी वॉक कर सकते हैं। जबकि, रनिंग उनके जोड़ों के लिए नुकसानदायक हो सकती है।
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निष्कर्ष
विशेषज्ञों की मानें, तो रनिंग और वॉकिंग, दोनों अपनी-अपनी जगह फायदेमंद एक्सरसाइज है। हालांकि, लंग्स के लिए रनिंग को बेहतर माना जाता है, क्योंकि इसकी वजह से लंग्स कैपेसिटी में सुधार होता है और रेस्पिरेटरी मसल्स भी बेहतर होती है। लेकिन, अगर किसी को अर्थराइटिस, ऑस्टियोपोरोसिस जैसी जोड़ों से जुड़ी समस्या है, तो उनके लिए वॉक सही रहती है। वॉक करके भी वे अपने लंग्स को बेहतर बनाए रख सकते हैं।
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FAQ
दौड़ने से फेफड़े क्या होते हैं?
नियमित रूप से रनिंग यानी दौड़ लगाने से ओवर ऑल हेल्थ में सुधार होता है। इसका असर फेफड़ों पर भी नजर आता है। दौड़ने से लंग्स की ऑक्सीजन लेने की कैपेसिटी बढ़ती है और रेस्पिरेटरी से जुड़ी समस्याओं में कमी आती है।दौड़ने के क्या फायदे हैं?
दौड़ने कई फायदे हैं, जैसे ब्लड सप्लाई में सुधार होता है, इम्यूनिटी बूस्ट होती है, वजन कम होता है, हार्ट हेल्थ बेहतर होती है, हड्डियों को मजबूती मिलती है, तनाव का स्तर कम होता है और नींद भी बेहतर होती है।दौड़ने से कौन सी बीमारी दूर होती है?
दौड़ने से कई बीमारियों का जोखिम कम होता है। असल में, दौड़ने की वजह से इम्यूनिटी मजबूत होती है, जिससे बीमारियों का रिस्क कम होता है। इसमें एलर्जी, सर्दी-जुकाम, खांसी और फ्लू जैसी बीमारियां शामिल हैं।
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