यदि आप सोचते हैं कि तेज़ दौड़ना आपकी सेहत के लिए फायदेमंद होता है, तो हाल में आए इस शोध पर एक नज़र ज़रूर डाल लें। डेनमार्क में हुए एक शोध में पाया गया कि यदि लंबा जीना चाहते हैं तो तेज़ दौड़ने के बजाए बस एक घंटे के लिये धीरे-धीरे दौड़ना चाहिये। तो चलिये इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
शोधकर्ताओं के अनुसार अगर आप लंबे समय तक जीना चाहते हैं, तो तेज नहीं बल्कि हर हफ्ते केवल एक घंटा धीरे-धीरे दौडिए। ये शोध "जर्नल ऑफ द अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी" प्रकाशित हुआ। डेनमार्क के कोपेनहेगेन स्थित फ्रेडरिस्क्सबर्ग हॉस्पिटल के शोधकर्ता 'पीटर श्नोअर' के अनुसार यदि उद्देश्य मृत्यु के जोखिम को कम करना और जीवन प्रत्याशा में सुधार लाना हो, तो हफ्ते में कुछ बार धीमी गति से दौड़ना एक सबसे बेहतर रणनीति होती है।
शोध में पाया गया कि हर हफ्ते एक घंटे से लेकर 2.4 घंटे दौड़ने पर मौत की दर सबसे कम देखी गई, और दौड़ने की आवृत्ति प्रति सप्ताह तीन बार से ज्यादा नहीं थी। शोधकर्ताओं ने 5,048 प्रतिभागियों पर इस शोध को किया। निष्कर्ष में पता चला कि 12 वर्षो के दौरान धीमी गति से दौड़ने वालों की तुलना में तेज गति से दौड़ने वालों की मौत अधिक हुई।
श्नोअर ने बताय कि इस बात पर जोर देना ज़रूरी होगा कि धीमी गति से दौड़ना जोरदार व्यायाम के बराबर ही है, जबकि तेज गति से दौड़ लगाना बेहद जोरदार व्यायाम के बराबर है। श्नोअर के अनुसार यदि दशकों तक तेज गति से दौड़ लगाना जारी रखा जाए, तो स्वास्थ्य संबंधित कई जोखिम जैसे हृदय संबंधित जोखिम सामने आते हैं।
एक दूसरा शोध
एबरडीन यूनिवर्सिटी के मस्कयूलोस्केलैटल विभाग के प्रोफेसर डॉ. स्टुअर्ट ग्रे के अनुसार दिल की बीमारियों से होने वाली मौतों में कड़े व्यायाम की मदद से कमी लाई जा सकती है। बकौल डॉक्टर ग्रे कड़े व्यायाम के लाभ काफी नाटकीय होते हैं। डॉक्टर ग्रे मानते हैं कि कई यूनिवर्सिटियां अभी भी मध्यम दर्जे के व्यायाम को बढ़ावा देने की बात कहती हैं। वहीं डॉक्टर ग्रे का अध्यन बताता है कि छोटी अवधि में सघन व्यायाम जैसे तेज़ दौड़ना, पैडल मारना, फिर भले ही वो मात्र 30 सेकंड के लिए ही क्यों न हो, खून में मौजूद चर्बी को कम करता है। खून में मौजूद चर्बी में कमी आना लाभदायक होता है, क्योंकि इसकी वजह से दिल के दौरे की आशंका कम हो जाती हैं।
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लेकिन अभी भी पूरी तरह तय नहीं
कॉसग्रोव की तरह के कार्यक्रम का लाभ महसूस तो होता है लेकिन किसी लंबी अवधि के शोध के बिना इस बात पर पूरी तरह से य़कीन कर लेना थोड़ा मुश्किल होगा। और ये कह पाना भी कठिन होगा कि जीवन के लंबे होने पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है। फिजीशियन एंड स्पोर्ट्स मेडिसिन नाम की पत्रिका में प्रकाशित एक शोध के अनुसार, "यदि बड़ी उम्र के एथलीटों को गहन प्रशिक्षण दिया जाए तो वेउच्च स्तर की फिटनेस पा सकते हैं। शोध के अनुसार एमआरआई स्कैन्स के दौरान यह देखने को मिला कि 70 साल के ट्राइथलॉन में भाग लेने वाले खिलाड़ी की मांसपेशियां उतनी ही मज़बूत हो सकती हैं, जितनी की एक 40 साल उम्र के खिलाड़ी की।"
एल्विन कॉसग्रोव का मानना है कि वे चाहते हैं कि इस तरह का शारीरिक गठन किया जा सके कि एक व्यक्ति जीवन के बाद के दौर में भी ठीक प्रकार से काम करने के काबिल रहे।
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