
गर्भावस्था के दौरान हर स्त्री को न सिर्फ अपनी बल्कि अपने होने वाले बच्चे की भी देखभाल करनी होती है। ऐसे में महिला का स्वस्थ रहना बेहद जरूरी है। गर्भावस्था में अत्यधिक मोटा होना नुकसानदायक हो सकता है। मोटापे की शिकार महिलाओं को प्रसव के दौरान खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। कम वजनी महिलाओं के मुकाबले मोटी महिलाओं में कई बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। जो महिलाएं पहले से ही मोटी है उन्हें पहली गर्भावस्था में अधिक ध्यान देने की आवश्यकता होती है। आइए जानें मोटी गर्भवती महिलाओं को और क्या-क्या खतरे हो सकते हैं।
- यह सही है कि गर्भावस्था के दौरान आमतौर पर वजन बढ़ जाता है लेकिन जरूरत से अधिक वसा वाला भोजन करने से न सिर्फ मोटापा बढ़ता है बल्कि महिला और होने वाले बच्चे के स्वास्थ्य को भी खतरा रहता है और ये खतरा कम वजन के शिशु के लिए और भी बढ़ जाता है।
- मोटी गर्भवती महिलाएं नौ महीने का गर्भकाल नहीं झेल पाती यानी नौ महीने से पहले ही समय से पूर्व उनका बच्चा होने की संभावना बराबर बनी रहती हैं। जो कि मां और बच्चे दोनों के लिए खतरनाक है।
- मोटापे की शिकार महिलाओं में कम वजन के शिशु को जन्म देने की संभावनाएं संतुलित गर्भवती महिला के मुकाबले दुगुनी बढ़ जाती हैं।
- अत्यधिक मोटा होने से गर्भवती महिला के शिशुओं का स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है।
- मोटापे की शिकार महिलाओं का स्वास्थ्य भी गर्भावस्था के दौरान और गर्भावस्था के बाद प्रभावित होता है। ऐसे में कई बार वे किसी भयंकर बीमारी का शिकार भी हो जाती हैं।
- मोटी महिलाओं के समय से पूर्व,कम वजन वाले बच्चों को सांस संबंधी, दिमाग संबंधी, संक्रमण जैसी समस्याएं हो जाती हैं।
- मोटी महिलाओं के बच्चे आमतौर पर शारीरिक रूप से बहुत ही ज्यादा संवेदनशील होते हैं और जल्दी ही बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं। उनका इम्यूंन सिस्टम बहुत कमजोर होता है।
- ऐसे बच्चों के दिमाग का विकास पूरी तरह नहीं हो पाता और उनकी सीखने की क्षमता भी सामान्य बच्चों से कम होती है।
- मोटापे से निजात पाने के लिए गर्भवती महिलाओं को अपनी मर्जी से कोई दवाई इत्यादि न लेकर डॉक्टर से अपना डाइट चार्ट बनवाना चाहिए ताकि पोषक तत्वों की भरपाई करते हुए कम वसा वाले भोजन को खाया जा सकें।
- आमतौर पर डॉक्टर्स अत्यधिक मोटी महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान पानी, जूस जैसे तरल पदार्थ इत्यादि खाने पर अधिक जोर देते हैं।
मोटापे से बचने के लिए मोटापे की शिकार महिलाओं को अपने खान-पान का खास ध्यान रखते हुए कम वसा वाले खाद्य पदार्थों को अधिक प्राथमिकता देनी चाहिए। इसके अलावा उन्हें डॉक्टर के परामर्श पर प्रतिदिन व्यायाम करना चाहिए जिससे डिलीवरी के वक्त आने वाली समस्याओं और बच्चे को असमय जन्म देने से बचाव किया जा सकें।
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