महिलाओं की जिंदगी में कई तरह के बदलाव होते हैं। मेंस्ट्रुअल साइकल के समाप्त होने के चरण को मेनोपॉज कहा जाता है। यह चरण हार्मोनल परिवर्तनों से कहीं अधिक होता है। मेनोपॉज का चरण महिलाओं के लाइफ में उम्र बढ़ने के साथ शुरू होता है। कुछ महिलाओं में मेनोपॉज 40 के आसपास, जबकि कुछ महिलाओं में मेनोपॉज 50 के शुरूआती दौर में प्रारंभ होती है। इस दौरान महिलाओं को कई तरह के लक्षण महसूस हो सकते हैं। इसमें प्रोजेस्ट्रेरोन और एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर में बदलाव होने लगता है। इस समय महिलाओं को गर्भाशय के कैंसर होने का जोखिम अधिक होता है। मैक्स अस्पताल की स्री रोग डॉक्टर अनुरोध कपूर से जानते हैं कि मेनोपॉज के बाद गर्भाशय का कैंसर की संभावना कैसे बढ़ती है।
गर्भाशय कैंसर के क्या लक्षण हो सकते है - Symptoms Of Uterine Cancer in Hindi
- पेट के निचले हिस्से में दर्द या पेल्विक में ऐंठन होना,
- मेनोपॉज से पहले पीरियड्स के बीच योनि से खून बहना,
- मेनोपॉज के बाद योनि से रक्तस्राव होना,
- मेनोपॉज के बाद पतला सफेद स्राव होना,
- यदि आप 40 वर्ष से अधिक उम्र की हैं, तो योनि से लगातार व ज्यादा रक्तस्राव होना, आदि।
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मेनोपॉज के बाद गर्भाशय का कैंसर होने के जोखिम और कारण - Risk Of Uterine Cancer Among Menopausal Women In Hindi
हार्मोनल असंतुलन और एस्ट्रोजन
मेनोपॉज के दौरान, महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन सहित प्रजनन हार्मोन में तेजी से गिरावट होती है। जिन महिलाओं के शरीर में प्रोजेस्टेरोन की तुलना में एस्ट्रोजन अधिक होता है उनको गर्भाशय का कैंसर होने का जोखिम अधिका होता है। एस्ट्रोजन गर्भाशय की अंदुरुनी परत के विकास में सहायक होते हैं। प्रोजेस्टेरोन हार्मोन की कमी की वजह से गर्भाशय में कैंसर कोशिकाओं के निर्माण का जोखिम हो सकता है।
मोटापा
मेनोपॉज के बाद महिलाओं में मोटापा बढ़ सकता है। मोटापा भी गर्भाशय के कैंसर के जोखिम से संबंधित होता है। कमर और पेट के आसपास के हिस्से में मौजूद अतिरिक्त फैट एस्ट्रोजन के निर्माण को प्रभावित करता है। एस्ट्रोजन हार्मोन के असंतुलन की वजह से कैंसर होने का जोखिम बढ़ जाता है। डॉक्टर इस समय महिलाओं को मोटापा कंट्रोल करने और एक्सरसाइज करने की सलाह देते हैं।
अधिक उम्र होना
गर्भाशय के कैंसर के लिए आयु एक महत्वपूर्ण जोखिम कारक मानी जाती है। 50 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में होने वाले मेनोपॉज के बाद कैंसर होने का खतरा अधिक होता है।
फैमिली हिस्ट्री
जिन महिलाओं के परिवार में पहले किसी महिला को गर्भाशय से संबंधित कैंसर होता है, तो ऐसे में मेनोपॉज के बाद महिला में भी गर्भाशय से जुड़ा कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में डॉक्टर की सलाह लेना बेहद आवश्यक होता है और ऐसे में डॉक्टर समय रहते कैंसर होने की संभावनाओं का पता लगा सकते हैं।
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हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (HRT)
हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (एचआरटी) और स्तन कैंसर के इलाज व बचाव के लिए महिलाओं को दी जाने वाली दवाओं के उपयोग से मेनोपॉज के दौरान महिलाओं में गर्भाशय से संबंधित कैंसर होने का जोखिम रहता है। जो महिलाएं हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी कराती हैं, उनको डॉक्टर से इस विषय पर सलाह अवश्य लेनी चाहिए।
महिलाओं में होने वाले गर्भाशय से संबंधित कैंसर से बचाव करने के लिए उन्हें समंय-समय पर जांच करानी चाहिए। साथ ही, डॉक्टर के उचित परामर्श से इस तरह कैंसर के जोखिम को काफी हद तक कम किया जा सकता है।