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माइग्रेन की समस्या को बढ़ा सकते हैं ये 5 जोखिम कारक, जानें कैसे करें बचाव

अगर आपको बार-बार सिरदर्द हो रहा है तो यह माइग्रेन की समस्या हो सकती है। ऐसे में आप उनके जोखिम कारक को पहचानकर उनसे दूरी बना सकते हैं। 
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माइग्रेन की समस्या को बढ़ा सकते हैं ये 5 जोखिम कारक, जानें कैसे करें बचाव


Risk Factor of Migraine: माइग्रेन एक तरह की न्यूरोलॉजिकल स्थिति है जो गंभीर सिरदर्द और अन्य लक्षणों का कारण बनती है। सिरदर्द होने पर व्यक्ति को कुछ समझ नहीं आता है। माइग्रेन का सटीक कारण का पता नहीं लगाया गया है, लेकिन, माइग्रेन होने के संभावना को बढ़ाने के लिए कई कारक जिम्मेदार हो सकते हैं। इन जोखिम कारकों को समझना माइग्रेन को मैनेज करने और संभावित रूप से रोकने में मदद कर सकता है। इस लेख में, हम माइग्रेन के प्रमुख जोखिम कारकों के बारे में जानेंगे। साथ ही, माइग्रेन से बचाव के उपायों को भी आगे बताया गया है। 

माइग्रेन को बढ़ाने वाले जोखिम कारक 

डॉ. अमृता जे गोटूर, कंसल्टेंट - न्यूरोलॉजी, धर्मशिला नारायणा हॉस्पिटल, दिल्ली से जानते हैं कि माइग्रेन या ब्रेन की न्यूरोलॉजिकल समस्या होने के पीछे कौन से कारक (Risk factor of migraine) जिम्मेदार हो सकते हैं। 

जेनेटिक्स 

माइग्रेन होने के सबसे महत्वपूर्ण जोखिम कारकों में से एक जेनेटिक्स (genetics) है। यदि आपके परिवार में पहले किसी को माइग्रेन हुआ हो, तो ऐसे में आपको भी माइग्रेन होने की संभावना बढ़ जाती है। जेनेटिक्स की वजह से यह समस्या किसी भी व्यक्ति को ट्रिगर कर सकती है। 

risk factor of migraine

लिंग (Gender)

माइग्रेन के जोखिम में जेंडर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। महिलाओं में पुरुषों की तुलना में माइग्रेन से पीड़ित होने की संभावना तीन गुना अधिक होती है। यह असमानता अक्सर हार्मोनल उतार-चढ़ाव, विशेष रूप से एस्ट्रोजन के कारण होती है। कई महिलाएं पीरियड्स, प्रेग्नेंसी, और मेनोपॉज के दौरान हार्मोन के स्तर में बदलाव के कारण माइग्रेन की समस्या देखने को मिलती है।

आयु

माइग्रेन किसी भी उम्र में शुरू हो सकता है, लेकिन यह आमतौर पर किशोरावस्था के दौरान शुरू होता है और 30 वर्ष के दौरान चरम पर होता है। जैसे-जैसे व्यक्ति की उम्र बढ़ती है, माइग्रेन की आवृत्ति और तीव्रता कम हो सकती है। हालांकि, माइग्रेन बच्चों और बुजुर्गों सहित सभी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है।

तनाव

तनाव माइग्रेन के लिए एक जाना-माना ट्रिगर है। शारीरिक और इमोशनल दोनों तरह के तनाव माइग्रेन की शुरुआत का कारण बन सकते हैं। तनाव के उच्च स्तर से मांसपेशियों में तनाव, नींद के पैटर्न में बदलाव और हार्मोन के स्तर में बदलाव हो सकता है, ये सभी माइग्रेन में योगदान कर सकते हैं। 

डाइट और लाफस्टाइल 

कुछ आहार और जीवनशैली कारक माइग्रेन के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। डाइट ट्रिगर में कैफीन, शराब और कुछ खाद्य पदार्थ जैसे कि पुरानी चीज, प्रोसेस्ड मीट और आर्टिफिशिल शुगर शामिल हैं। भोजन छोड़ना या उपवास करना भी माइग्रेन को ट्रिगर कर सकता है। इसके अलावा, अनियमित नींद  का पैटर्न, शारीरिक गतिविधि की कमी और तेज रोशनी या तेज आवाज के संपर्क में आना माइग्रेन की शुरुआत में योगदान कर सकता हैं।

माइग्रेन से बचाव के उपाय

डॉ. अरिंदम घोष, कंसल्टेंट न्यूरोलॉजिस्ट, नारायणा हॉस्पिटल, कोलकाता से जानते हैं कि माइग्रेन से बचाव (Prevention tips of Migraine) के लिए क्या उपाय अपनाने चाहिए।

नियमित नींद का शेड्यूल बनाए रखें

माइग्रेन को रोकने के लिए नींद का पैटर्न बनाना महत्वपूर्ण है। हर रात 7-9 घंटे सोने का लक्ष्य रखें और हर दिन एक ही समय पर सोने और उठने की कोशिश करें, यहां तक कि सप्ताह के अंत में भी। 

तनाव को कम करें

तनाव माइग्रेन के लिए एक महत्वपूर्ण ट्रिगर है, इसलिए तनाव को मैनेज करना बेहद आवश्यक है। योग, ध्यान, गहरी सांस लेने के व्यायाम और नियमित शारीरिक गतिविधि जैसी तकनीकों से तनाव के स्तर को कम करने में मदद कर सकती हैं।

डाइट में बदलाव करें 

डाइट में किस चीज को खाने से माइग्रेन ट्रिगर करता है। इस बात को जानने के लिए डायरी बनाएं। एक बार जानने के बाद इन ट्रिगर्स से दूरी बनाएं। माइग्रेन से बचने के लिए संतुलित डाइट लें। 

शारीरिक रूप से सक्रिय रहें

नियमित शारीरिक गतिविधि माइग्रेन की  गंभीरता को कम करने में मदद कर सकती है। व्यायाम एंडोर्फिन हार्मोन को रिलीज करने में मदद करता है, जो प्राकृतिक पेन किलर और मूड को बेहतर बनाने वाले होते हैं। 

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Risk factor and Prevention Tips of Migraine: माइग्रेन  की वजह आपको पूरा दिन सिरदर्द हो सकता है। इससे बचने के लिए आप नियमित रूप से एक्सरसाइज करें। इसके अलावा डाइट से आप कई तरह की परेशानियों को दूर कर सकते हैं। अगर सिरदर्द अधिक हो तो ऐसे में आप डॉक्टर की मदद से ट्रिगर प्वाइंट्स के बारे में पहचानें। 

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