सर्दी में शहरों का कोहरा हो सकता है खतरनाक, बढ़ जाता है सांस की बीमारियां

सर्दियों में कोहरा होना आम बात है। मगर क्या आप जानते हैं कि शहरों में पड़ने वाला कोहरा आपकी सेहत के लिए कितना खतरनाक हो सकता है? जी हां, कोहरे के कारण सांस की बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है। इसका कारण यह है कि कोहरे के कारण शहरों में होने वाला प्रदूषण जमीन से बहुत अधिक उंचाई तक नहीं जा पाता है इसलिए कोहरे में सांस लेने पर आपके फेफड़ों में बहुत अधिक प्रदूषित हवा जाती है।
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सर्दी में शहरों का कोहरा हो सकता है खतरनाक, बढ़ जाता है सांस की बीमारियां


सर्दियों में कोहरा होना आम बात है। मगर क्या आप जानते हैं कि शहरों में पड़ने वाला कोहरा आपकी सेहत के लिए कितना खतरनाक हो सकता है? जी हां, कोहरे के कारण सांस की बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है। इसका कारण यह है कि कोहरे के कारण शहरों में होने वाला प्रदूषण जमीन से बहुत अधिक उंचाई तक नहीं जा पाता है इसलिए कोहरे में सांस लेने पर आपके फेफड़ों में बहुत अधिक प्रदूषित हवा जाती है।

क्यों खतरनाक है शहरों का कोहरा

बिना प्रदूषण वाली जगहों पर कोहरे से आमतौर पर आपकी सेहत को कोई नुकसान नहीं है। कोहरा जब वायु में मौजूद प्रदूषण के संपर्क में आता है तब नुकसानदेह हो जाता है। मगर प्रदूषण की वजह से शहरों में होने वाला कोहरा आपके लिए जानलेवा भी हो सकता है। इस कोहरे में धुएं और सस्पेंन्डिड पार्टिकल्स यानी कि छोटे-छोटे प्रदूषि‍त कणों के इर्द-गिर्द जमने से हवा बहुत अधिक प्रदूषित हो जाती है। जब यही सांस आपके फेफड़ों में जाती है, तो सांस की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

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हवा में बढ़ते प्रदूषण के कारण फॉग और स्‍मॉग मिल जाते हैं और आपको पता भी नहीं चलता है। स्‍मॉग में कोहरे के साथ प्रदूषण से निकलने वाले सल्‍फर डाईऑक्‍साइड, नाइ्ट्रोजन डाइऑक्‍साइड और कारखानों से निकले केमिकल जैसे - कॉर्बन मोनोऑक्‍साइड जैसे हानिकारक केमिकल होते हैं। ये केमिकल सांस के जरिये शरीर में प्रवेश करते हैं और सेहत को नुकसान पहुंचाते हैं।

कैसे होते हैं फेफड़े प्रभावित

कोहरे के कारण फेफड़े की कार्यक्षमता प्रभावित होती है और फेफड़ा सही तरीके से काम नहीं कर पाता है। इसका कारण यह है कि कोहरे के कारण हवा प्रदूषण में मौजूद केमिकल सांस के जरिये फेफड़े तक पहुंचते हैं और फेफड़े की कार्यक्षमता को कम कर देते हैं। इसके कारण सांस लेने में समस्‍या, सांस की कमी, छींकने और खांसने की समस्‍या होती है।

आंखें भी होती हैं प्रभावित

कोहरे में मौजूद प्रदूषण के कारण आंखों की समस्‍या बढ़ जाती है। प्रदूषण में मौजूद हानिकारक केमिकल जब आंखों में जाते हैं तो इनके कारण आंखों में सूजन, आंखों में जलन, आंखों के लाल होने जैसी समस्‍यायें होती हैं। इससे बचने के लिए आंखों में साफ पानी के छींटे मारें, और प्रदूषण वाली जगहों पर जानें से बचें। खानपान का विशेष ध्‍यान रखें।

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बच्चों और बुजुर्गों को होता है ज्यादा खतरा

सर्दियों में प्रदूषित कोहरे के कारण सांस संबंधित समस्‍यायें होने लगती हैं। धुएं और सस्पेंडिड पार्टिकल्स के इर्द-गिर्द जमने से बना स्मोग (प्रदूषित कोहरा) श्वसन तंत्र के लिए नुकसानदायक होता है। इसके कारण आंखों में जलन, आंसू, नाक में खुजली, गले में खरास और खांसी जैसी सामान्य दिक्कतों के साथ श्वांस के रोगियों को गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। सबसे ज्यादा समस्‍या बुजुर्गों और बच्‍चों को होता है।

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