जलवायु प्रदूषण जिस तरह से फैल रहा है, ऐसे में उन बैक्टीरिया को विकसित करना, जो वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड कम कर सके तो ये एक बड़ी और सुखद खबर है। दरअसल इजरायल के शोधकर्ताओं ने बुधवार को एक रिपोर्ट जारी की है कि मध्य इज़राइल में वेइज़मैन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (WIS) द्वारा केवल कार्बन डाइऑक्साइड का खाने वाला बैक्टीरिया विकसित किया गया है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, ये बैक्टीरिया, जो हवा में कार्बन से अपने शरीर के पूरे बायोमास का निर्माण करते हैं, वातावरण में ग्रीनहाउस गैस के संचय को कम करने और ग्लोबल वार्मिंग के खिलाफ लड़ाई में भविष्य की प्रौद्योगिकियों को विकसित करने में मदद कर सकते हैं।
अध्ययन के अनुसार, जर्नल सेल में प्रकाशित, इन बैक्टीरिया को लगभग एक दशक की लंबी प्रक्रिया के बाद पूरी तरह से जांच कर के तैयार किया गया है। हालांकि पहले भी इजरायल के वैज्ञानिक ई-कोलाई (E.coli) बैक्टीरिया को रिप्रोग्राम करने में सक्षम रहे हैं, जो ब्लड से शुगर का उपभोग करते हैं और कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते हैं। इस तरह से ये पर्यावरण से कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग करते हैं और उस तरह के शुगर का उत्पादन करते हैं, जो बैक्टीरिया को अपने शरीर का निर्माण करने के लिए आवश्यकता होती है।
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वहीं शोधकर्ताओं ने उन जीनों को मैप किया, जो इस प्रक्रिया के लिए आवश्यक हैं। फिर शोधकर्ताओं ने उनमें से कुछ को अपनी प्रयोगशाला में बैक्टीरिया के जीनोम के रूप में शामिल किया है। इसके अलावा, उन्होंने बैक्टीरिया में एक जीन डाला है, जो उन्हें फॉर्मेट नामक पदार्थ से ऊर्जा प्राप्त करने की अनुमति देता है। पर ये बैक्टीरिया के लिए अपना आहार बदलने में पर्याप्त नहीं था और शुगर के उत्पादन को धीरे-धीरे बंद करने के लिए प्रयोगशाला के विकास प्रक्रियाओं की आवश्यकता थी।
इस प्रक्रिया के प्रत्येक चरण में, कल्चर बैक्टीरिया को कम मात्रा में शुगर प्राप्त हुई और साथ ही साथ कार्बन डाइऑक्साइड और फॉर्मेट ने इसकी जगह ली। बैक्टीरिया के जीन को धीरे-धीरे शुगर पर निर्भरता से हटा दिया गया था, जब तक कि नए आहार शासन इनमें लागू हो जाए। छह महीने बाद इन बैक्टीरिया में कार्बन डाइऑक्साइड ने शुगर की जगह इनके खाने का रूप ले लिया और इन बैक्टीरिया के पूर्ण पोषण का कारोबार फिर से शुरू हो गया।
शोधकर्ताओं का मानना है कि इन जीवाणुओं की कार्बन डाइऑक्साइड खाने जैसी स्वस्थ आदतें पृथ्वी के लिए लाभकारी साबित हो सकती है। उदाहरण के लिए, जिन बायोटेक कंपनियों में जिंस रसायन का उत्पादन करने के लिए खमीर या बैक्टीरियल सेल कल्चर का उपयोग किया जाता है, वे आज इस्तेमाल की जाने वाली कॉर्न सिरप की बड़ी मात्रा के बजाय कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग करने वाली कोशिकाओं में इनका उत्पादन कर सकते हैं।
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इस तरह से देखा जाए तो ये बैक्टीरिया पूरी तरह से वातावरण के लिए सही है। आज जिस तरह से कार्बन डाइऑक्साइड जैसी नुकसानदायक गैसों के उत्सर्जन के कारण वातावरण प्रदूषित हो रहा है। लोगों में सांस से जुड़ी कई परेशानियां बढ़ रही हैं, वैसे में ये बैक्टीरिया अगर सही से काम करने लगें तो पूरी मानव सभ्यता के लिए कुछ सुकून की बात होगी।
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