सही मात्रा में रोशनी
कार्यालय में पर्याप्त मात्रा में रोशनी होने से ना केवल कर्मचारियों को आराम मिलेगा बल्कि इससे उत्पादकता और कार्यकुशलता भी बढ़ेगी। 20वीं सदी में ऑफिस में पर्याप्त मात्रा में रेशनी के लिए टी 12 फ्लारिसेंट फिक्सचर लगाये जाते हैं जो कि दीवार से 8 फिट की दूरी पर होते हैं और क्लासिक दो बाई चार फुट के तीन से चार लैंप का इस्तेमाल किया जा सकता है।
लेकिन ऑफिस में रोशनी को लेकर समझने वाली सबसे महत्वपूर्ण बात है कार्यकर्ताओं की देखने की क्षमता काम को मजबूत बनाती है। रोशनी से सम्बन्धित अन्य कारक भी है जैसे :
- ऑफिस की पृष्टिभूमि का रंग
- कितने समय तक कागज़ात देखे जाते हैं।
- कागज़ात को देखने के लिए कर्मचारी का कौशल
- पृष्ठभूमि के साथ काम की विषमता।
रोशनी की असमानता
असमान मात्रा में रोशनी के कारण कार्यकर्ता और काम दोनों ही प्रभावित हो सकते है और चकाचौंध के कारण आंखें भी खराब हो सकती हैं। इसलिए विशेषज्ञ ऐसी सलाह देते हैं कि काम करने के तात्कालिक क्षेत्र के भीतर की रोशनी उज्जवल से अंधेरे के अनुपात में 3:1 होनी चाहिए। सही रोशनी के अनुपात को देखने का एक और तरीका है कि सबसे कम रोशनी को किसी छोटी जगह से आने के बाद पर्याप्त मात्रा में रोशनी फैलने की जगह बनायें।
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नियंत्रण लागू करना
आजकल नियंत्रित तकनीक का उपयोग किया जाता है जो कि पूरे दिन ज़रूरत से ज्यादा रोशनी के प्रभाव को कम करती है और विभिन्न मानकों को भी पूरा करती हैं। हर किसी को ऐसे मानकों का प्रयोग करना चाहिए । ऐसे यांत्रिक नियंत्रण का प्रयोग करना अच्छा उपाय है
- ध्यान रखें कि हर आफिस के अपने नियंत्रक स्विच होते हैं।
- बाहर खुली जगहों पर हर काम करने की जगह अलग-अलग तरीके से नियंत्रित होती है।
- एक या दो लैंप वाले फ्लारिसेंट लूमनन्स का प्रयोग करते समय संलग्न को ऑलटरनेटिव सर्किट में रखना चाहिए।
- तीन लैंप फ्लारिसेंट लूमनन्स का इस्तेमाल करते समय इन्टर्नल लैंप को एक्सटर्नल लैम्प के टूटे हुए सर्किट के साथ जोड़ना चाहिए।
कैसी हो आपके आफिस की रोशनी
- सबसे आवश्यक बात है सही मात्रा में प्रकाश का संतुलन होना। ऐसा करने के लिए लाइटिंग फिक्सचर का मिश्रण होना चाहिए जिससे कि आंखों को पर्याप्त आराम मिले और आंखों पर किसी प्रकार का तनाव ना पड़े।
- व्यक्ति को प्रकाश का स्तर समझना चाहिए और आदर्श तौर पर रोशनी की तीन परत होनी चाहिए :
1. प्रकाश को समझना
2. माहौल
3. एक्सेंट
1- टास्क लाइटिंग
व्यक्ति को हर खास स्थान पर रोशनी का ख्याल रखना चाहिए। इसका अर्थ है रोशनी की खास जगह और दिशा होनी चाहिए। यहां तक कि आपके डाइनिंग टेबल पर भी पर्याप्त मात्रा में रोशनी आनी चाहिए जिससे कि आपकी आंखों को किसी प्रकार के तनाव का सामना ना करना पड़े।
2- एम्बियेंट लाइटिंग
इस प्रकार की रोशनी से कमरे में रोशनी का स्तर अच्छा रहता है। कमरे में बाहर से अंदर की ओर आने पर फिक्सचर की आवश्यकता होती है क्योंकि इससे कमरे के अंदर रोशनी की स्थिरता बनी रहती है।
3- एसेंट लाइटनिंग
इस प्रकार की रोशनी कमरे में आपकी रुचि को प्रदर्शित करती है। इसका प्रयोग तस्वीर या आर्ट पीस को दिखाने के लिए भी किया जा सकता है।
- यह प्रकाश का अनिवार्य भाग नहीं है बल्कि यह व्यक्ति की ज़रूरत पर निर्भर करता है।
- ध्यान रखें कि काम के दौरान रोशनी आपकी पहली आवश्यकता होनी चाहिए। रोशनी उज्जवल होनी चाहिए क्योंकि ऐसी रोशनी से काम करने का माहौल बनता है और आंखों पर किसी प्रकार का तनाव नहीं होता।
4- लेयर लाइटनिंग
इस प्रकार की रोशनी का...