आपने अक्सर देखा होगा कि महिलाएं जब इमली खाने या अचार खाने की बात करती हैं, तो लोग इस इच्छा को गर्भवती होने से जोड़ लेते हैं। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं का मन ज्यादा मचलता है। कुछ लोगों को खट्टा खाने की बार-बार इच्छा होती है, तो कुछ लोगों को अचानक अपना पसंदीदा रंग खराब लगने लगता है। अचार, आइसक्रीम, गोलगप्पे ऐसी कई चीजें हैं, जिनकी इच्छा गर्भवती महिलाएं गर्भावस्था के दौरान जताती हैं। इस स्थिति को 'प्रेग्नेंसी क्रेविंग' कहते हैं। क्रेविंग का अर्थ है कुछ खास खाने की इच्छा, यानी गर्भावस्था में जब महिला को बार-बार कुछ खास खाने की इच्छा होती है, तो इसे प्रेग्नेंसी क्रेविंग कहते हैं। आइए आपको बताते हैं कि गर्भावस्था के दौरान महिलाओं का दिल बार-बार कुछ खास चीजें खाने के लिए क्यों मचलता है और कैसे कर सकते हैं इन इच्छाओं से बचाव।
हार्मोन्स में बदलाव है जिम्मेदार
दरअसल गर्भावस्था में महिलाओं के हार्मोन्स में बहुत तेजी से बदलाव होते हैं। इसी कारण महिला में खाने-पीने की इच्छा में तेजी से बदलाव होते रहते हैं। लेकिन देखा गया है कि कुछ ऐसे फूड्स हैं, जिनकी इच्छा आमतौर पर ज्यादातर महिलाएं करती हैं। जैसे- अचार, आइसक्रीम, इमली, चॉकलेट, स्पाइसी फूड्स आदि। गर्भावस्था के दौरान खाने की इच्छा को सामान्य समझा जाता है और उनको खाने से रोका नही जाता है। लेकिन इस दौरान ज्यादा खाने से ओवरवेट का खतरा बढ़ जाता है जो मां और बच्चे दोनों के लिए खतरनाक है।
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ज्यादा खाना हो सकता है हानिकारक
प्रेग्नेंसी के दौरान यदि महिला जरूरत से ज्यादा खाना खाती है तो वह मोटापे का शिकार जल्दी होती है क्योंकि उसमें शारीरिक परिवर्तन तेजी से होते हैं।
गर्भावस्था के दौरान मोटापे का असर बच्चे के विकास पर पड़ता है और डिलीवरी के दौरान भी परेशानी होती है।
गर्भवस्था के दौरान शुरूआती छ: महीने में बच्चे को ज्यादा वसा की जरूरत नही होती है।
किन उपायों से करें खाने-पीने की इच्छा से बचाव
चूंकि हर वो चीज जिसे खाने की इच्छा महिला को होती है, उसकी सेहत के लिए अच्छी नहीं हो सकती, इसलिए महिलाओं को इस दौरान फूड क्रेविंग से बचने की सलाह दी जाती है। कभी-कभार कुछ खा लेना ठीक है मगर हर बार इच्छा होने पर खाने से परेशानियां बढ़ सकती हैं। ऐसे में इन उपायों द्वारा आप अपनी क्रेविंग को कम कर सकती हैं।
खालीपन से बचें
खालीपन के कारण हमारी इच्छाएं हमारे मन पर हावी होने लगती हैं। हार्मोन्स में बदलाव के कारण आपको चटपटा और खट्टा खाने का मन जरूर करेगा मगर इस दौरान अगर आप खुद को किसी काम में बिजी रखती हैं, जैसे- किताबें पढ़ें, किसी से बात करें, टीवी या फिल्में देखें, पसंदीदा गेम खेलें, अखबार पढ़ें, तो ये इच्छाएं मन पर कम हावी हो पाती हैं।
व्यायाम करें
प्रेग्नेंसी में नियमित व्यायाम से स्ट्रेस हॉर्मोस जैसे कॉर्टिसोल का स्तर कम होता है। साथ ही इससे मूड बूस्टिंग हार्मोन्स जैसे एंडोर्फिस में वृद्धि होती है। एंडोर्फिस वे केमिकल्स हैं, जिनसे फील गुड की भावना पैदा होती है। व्यायाम से खुशी बढ़ाने वाले हार्मोंस जैसे - सेरोटोनिन, डोपेमाइन और एड्रेनालाइन के स्तर में भी इजाफा होता है।
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क्रेविंग होने पर पानी पिएं
जब भी क्रेविंग हो, एक ग्लास पानी पिएं। गर्भावस्था में कई बार डिहाइड्रेशन के कारण भी खाने की इच्छा होती है। इसलिए प्रेग्नेंसी में ज्यादा पानी पीने की सलाह दी जाती है। कुछ-कुछ समय के अंतराल पर पानी पीते रहें।
बाहरी आहारों से बचें
गर्भावस्था के दौरान फूड क्रेविंग को पूरी तरह नियंत्रित कर पाना मुश्किल काम है। खुद को पूरी तरह न रोकें। प्रोसेस्ड फूड खाने से बचें। रेडी टू ईट मील्स और बाजार में बिकने वाले फास्ट फूड्स, जंक फूड्स और अचार आदि में नमक, फैट, शुगर और केमिकल्स की अधिक मात्रा होती है। इसलिए अगर इच्छा को कंट्रोल करना मुश्किल है, तो घर पर ही फलों, सब्जियों के प्रयोग से हेल्दी चीजें बनाएं और खाएं। गर्भावस्था के दौरान यदि फूड क्रेविंग की समस्या लगातार बनी रहे तो कंपलीट मल्टीविटामिन और मिनरल सप्लीमेंट्स के लिए अपने डॉक्टर की सलाह अवश्य लीजिए।
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