ल्‍यूपस रोग के संकेत हैं चेहरे पर लाल चकत्‍ते, महिलाओं को ज्‍यादा प्रभावित करती है ये बीमारी

ल्यूपस के लक्षणों में थकान, जोड़ों में दर्द, बुखार आदि शामिल है। ल्‍यूपस की समस्‍या महिलाओं में ज्‍यादा होती है। हालांकि ल्‍यूपस सभी उम्र के लोगों को प्रभावित करता है, लेकिन अक्सर 15 से 45 वर्ष की उम्र के बीच के लोगों को ज्‍यादा होता है। 
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ल्‍यूपस रोग के संकेत हैं चेहरे पर लाल चकत्‍ते, महिलाओं को ज्‍यादा प्रभावित करती है ये बीमारी

ल्यूपस एक ऑटोम्यून्यून बीमारी है, जिसमें शरीर का रोगप्रतिरोधक तंत्र ही कई तरह के नुकसान पहुंचाने लगता है। यह शरीर के ऊतकों और अंगों पर हमला कर देता है, जिससे शरीर में सूजन, दर्द, त्‍वचा, किडनी, रक्‍त कोशिकाओं, मस्तिष्‍क, ह्रदय और फेफड़ों को नुकसान पहुंचाती है। ल्यूपस के लक्षणों में थकान, जोड़ों में दर्द, बुखार आदि शामिल है। ल्‍यूपस की समस्‍या महिलाओं में ज्‍यादा होती है। हालांकि ल्‍यूपस सभी उम्र के लोगों को प्रभावित करता है, लेकिन अक्सर 15 से 45 वर्ष की उम्र के बीच के लोगों को ज्‍यादा होता है। 

 

ल्‍यूपस के कारण 

ल्यूपस तब होता है जब आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली आपके शरीर में स्वस्थ ऊतक पर हमला करती है (ऑटोम्यून्यून रोग)। यह भी संभावना है कि ल्‍यूपस रोग आनुवंशिकी और आपके आसपास के माहौल की वजह से भी हो सकता है। हालांकि ज्‍यादातर मामलों में ल्‍यूपस का कारण अज्ञात है। 

सूरज की रोशनी : कुछ लोगों में ये समस्‍या जन्‍म से होती है तो वहीं सूरज की रोशनी में ज्‍यादा देर तक रहने वालों में ये समस्‍या उभर आती है। ज्‍यादा 

संक्रमण : एक व्‍यक्ति से दूसरे व्‍यक्ति में संक्रमण की वजह से भी ये समस्‍या हो सकती है। 

दवाएं : ल्‍यूपस के लिए काफी हद तक दवाएं भी जिम्‍मेदार हैं। ये अक्‍सर एंटी ब्‍लड प्रेशर दवाओं आदि के सेवन से भी हो सकता है, क्‍योंकि कुछ दवाएं ल्‍यूपस को प्रेरित करती हैं। कई बाद दवाएं बंद होने के बाद इसके लक्षण उभर कर आते हैं।  

ल्‍यूपस के लक्षण  

ल्‍यूपस के लक्षण एक व्यक्ति से दूसरे में भिन्न होते हैं। कुछ लोगों के पास कुछ लक्षण हैं, जबकि अन्य में बहुत से लोग हैं। इसके अलावा, लुपस के कई अलग-अलग लक्षण हैं क्योंकि यह रोग शरीर के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकता है। कुछ सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:

  • थकान
  • बुखार
  • ज्‍वाइंट पेन, अकड़न और सूजन
  • चेहरे पर तितली के आकार का रैशेज जो नाक और गाल के ऊपरी हिस्‍से पर दिखाई देते हैं। 
  • त्वचा के घाव जो सूर्य के संपर्क में आने पर दिखाई देते हैं। इसे प्रकाश संवेदनशीलता भी कह सकते हैं। 
  • फिंगर्स और पैर की उंगलियों जो ठंड या स्‍ट्रेस के दौरान सफेद या नीले पड़ने लगते हैं। 
  • साँसों की कमी
  • छाती में दर्द
  • सूखी आंखें
  • सिरदर्द, भ्रम और स्मृति हानि

क्‍या हैं जटिलताएं 

गर्भावस्‍था में जटिलताएं : जिन महिलाओं में ल्‍यूपस की समस्‍या होती है उनमें गर्भपात होने का खतरा ज्‍यादा होता है। ल्‍यूपस प्रेग्‍नेंसी के दौरान उच्‍च रक्‍तचाप का कारण बनता है। इन जटिलताओं के जोखिम को कम करने के लिए, डॉक्टर अक्सर गर्भावस्था में देरी की सलाह देते हैं जब तक कि आपकी बीमारी कम से कम छह महीने तक नियंत्रण में न हो।

किडनी : ल्‍यूपस किडनी डैमेज का कारण बन सकता है। इसके अलावा किडनी फेल्‍योर होने का सबसे बड़े कारणों में से ल्‍यूपस प्रमुख है। 

रक्‍त समस्‍याएं : ल्यूपस रक्त की समस्याओं का कारण बन सकता है, जिसमें एनीमिया और रक्तस्राव या खून के थक्के का खतरा बढ़ सकता है। यह रक्त वाहिकाओं (वास्कुलाइटिस) की सूजन का कारण बन सकता है।

फेफड़े : ल्‍यूपस होने से छाती के गुहा स्तर (pleurisy) की सूजन विकसित करने की संभावना बढ़ जाती है, जो सांस लेने में दर्द देता है। फेफड़ों और निमोनिया में रक्तस्राव भी संभव है।

ह्रदय : ल्यूपस आपके दिल की मांसपेशियों, आपके धमनियों या झिल्ली (पेरीकार्डिटिस) की सूजन का कारण बन सकता है। कार्डियोवैस्कुलर बीमारी और दिल के दौरे का खतरा भी बढ़ता है।

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ल्‍यूपस से बचाव 

यह बीमारी चूंकि आपके शरीर के कई अलग-अलग भागों पर प्रभाव डाल सकती है। इसलिए इस स्थिति में एक संतुलित और हर तरह के पोषण से जुड़ी डाइट की जरूरत होती है। इसके लिए किसी विशेषज्ञ से परामर्श लेने के साथ ही इन बिंदुओं पर ध्यान देने की आवश्यकता होती है-

  • एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर सब्जियों और फलों का सेवन।
  • अलसी, कैनोला ऑइल, ऑलिव ऑइल, मछली, अलसी, मूंगफली आदि का सेवन।
  • बेक्ड और तले हुए भोजन से दूरी बनाएं। साथ ही क्रीम से भरपूर खाद्य और हाई फैट वाले डेयरी प्रोडक्ट का भी कम सेवन करें।
  • अल्फाल्फा स्प्राऊट्स (एक तरह की फली के बीज), टैबलेट्स और बीजों से बचकर रहें। ये लक्षणों को तीव्र करने का कारण बन सकते हैं।
  • हड्डियों और मसल्स को मजबूत बनाने के लिए लो फैट मिल्क, दही या योगर्ट, चीज, पालक और ब्रॉकली जैसी चीजें खाएं।
  • बैंगन, आलू और टमाटर जैसी चीजें इस बीमारी में कुछ लोगों को नुकसान पहुंचा सकती हैं। इनका प्रयोग सही सलाह से करें।

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