हम सबके शरीर में उम्र के साथ कई तरह के बदलाव होते हैं। मगर महिलाओं के शरीर में ये बदलाव पुरुषों से ज्यादा होते हैं। किशोरावस्था में प्रवेश करने के साथ ही लड़कियों में पीरियड्स यानी मासिक चक्र शुरू हो जाते हैं, जो अधेड़ उम्र तक चलते हैं। आइए आपको बताते हैं उम्र के साथ किस तरह बदलता है महिलाओं में मासिक चक्र और कौन से बदलाव होते हैं चिंताजनक।
क्या है नॉर्मल पीरियड
नॉर्मल पीरियड्स जैसी कोई चीज नहीं होती है। असल में हर महिला के मासिक चक्र की अपनी विशेषताएं होती हैं, जो उम्र और जीवनशैली के साथ-साथ लगातार बदलती रहती हैं। ऐसे में नॉर्मल पीरियड का अर्थ हर महिला में उम्र के साथ बदलता रहता है। आमतौर पर महिलाओं के शरीर में होने वाले इन बदलावों और लक्षणों को पीरियड माना जाता है।
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- 24 से 35 दिन के मासिक चक्र के दौरान अण्डों का निषेचन।
- महीने में 4 से 8 दिन तक ब्लीडिंग (रक्त का निकलना)चलती है।
- एक बार में 80 मिलीलीटर से ज्यादा रक्त नहीं निकलता है। अगर इससे ज्यादा मात्रा में खून निकलता है, तो चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।
पीरियड्स में होने वाले बदलाव
लड़कियों की उम्र जैसे-जैसे बढ़ती जाती है और जैसी उनकी जीवनशैली और खान-पान होता है, उस अनुसार पीरियड्स में कुछ जरूरी बदलाव होते रहते हैं।
किशोरावस्था (12 साल के बाद)
सामान्यतः लड़कियों में पीरियड की शुरुआत 12 साल या इसके आस-पास शुरू हो जाती है। लड़की के किशोरावस्था में पहुंचने पर उनके अंडाशय एस्ट्रोजन एवं प्रोजेस्ट्रोन नामक हार्मोंन उत्पन्न करने लगते हैं। इन हार्मोंन के कारण हर महीने में एक बार गर्भाशय की परत मोटी होने लगती है और वह गर्भधारण के लिए तैयार हो जाती है।
युवावस्था (18-20 के बाद)
18-20 की उम्र तक लड़कियों में पीरियड्स सामान्य ही होते हैं। कई बार कुछ कारणों से पीरियड्स का चक्र 24 से 35 दिन के बीच घटता-बढ़ता रहता है। इस दौरान अगर शारीरिक संबंध के बाद महिलाओं में लगातार एक माह से ज्यादा समय तक पीरियड्स न आएं, तो ये गर्भ ठहरने का संकेत हो सकता है।
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युवा+प्रौढ़ावस्था (30-40 के बाद)
30 साल की उम्र के बाद अगर महिला ने किसी शिशु को जन्म दिया है, तो पीरियड्स में थोड़े बदलाव हो सकते हैं। कुछ महिलाओं को इस उम्र में पीरियड्स के दौरान ज्यादा दर्द, ज्यादा खून निकलने की समस्या हो जाती है। वहीं कुछ महिलाओं में ब्रेस्ट फीडिंग (दूध पिलाने) के दौरान पीरियड्स मिस हो सकते हैं या देरी से हो सकते हैं।
40 की उम्र के बाद
40 की उम्र के बाद आमतौर पर महिलाओं के ओवरीज में एस्ट्रोजन का उत्पादन कम होने लगता है, जिससे धीरे-धीरे उन्हें पीरियड्स कम होने लगते हैं और खून भी कम मात्रा में निकलता है। इसी उम्र के बीच महिलाओं को मेनोपॉज यानी रजोनिवृत्ति भी होती है। मेनोपॉज तब माना जाता है जब किसी महिला को लगातार 12 महीने तक पीरियड्स न हुए हों। आमतौर पर महिलाओं में मेनोपॉज की उम्र 45 से 55 साल है। मेनोपॉज के बाद अगर उम्र के किसी पड़ाव पर महिला को ब्लीडिंग होती है, तो उसे तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
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