मौजूदा वक्त में ह्रदय रोग विश्वभर में बीमारियों से होने वाली सबसे ज्यादा मौतों का प्रमुख कारण बना हुआ है। फिर चाहे वह विकासशील देश हों या फिर विकसित देश हर राष्ट्र में ह्रदय रोगों से सबसे ज्यादा लोग प्रभावित होते हैं। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है खराब जीवनशैली और खान-पान। लेकिन शोधकर्ताओं ने अब एक ऐसा तरीका खोज निकाला है, जिसके जरिए हार्ट अटैक के बाद नतीजों को बेहतर बनाया जा सकता है। शोधकर्ताओं ने एक नई प्रोटीन थेरेपी इजात की है, जिसे रिकोम्बीनेंट ह्यूमन प्लेटलेट-डिराइवड ग्रोथ फैक्टर-एबी (rhPDGF-AB) नाम दिया गया है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक, हार्ट अटैक (दिल का दौरा) के बाद, टिश्यू क्षतिग्रस्त होना शुरू हो जाते हैं और ये हमारे ह्रदय की गतिविधियों पर नकरात्मक प्रभाव डालते हैं। जर्नल साइंस ट्रांसलेशनल मेडिसिन में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने बताया कि हार्ट अटैक रोगियों की नसों में rhPDGF-AB डालने से क्षतिग्रस्त टिश्यू की गुणवत्ता में सुधार होता है, जिसके कारण ह्रदय में नई रक्त वाहिकाएं बनने लगती हैं और अचानक मौत का कारण बनने वाली ह्रदय की रिदम में अनियमितता की दर में भी कमी आती है।
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ऑस्ट्रेलिया की सिडनी यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और अध्ययन के मुख्य लेखक जेम्स चोंग का कहना है, ''यह पूर्ण रूप से एक नया तरीका है, जिसमें कोई भी वर्तमान उपचार इस तरह से निशान को बदलने में सक्षम नहीं है। ह्रदय की गतिविधियों में सुधार कर और हार्ट अटैक के बाद घाव को भरने के लिए rhPDGF-AB से उपचार ने हमारे अध्ययन में लोगों की जीवन दर में वृद्धि का संकेत दिया है।''
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उन्होंने कहा, ''हालांकि ये उपचार पूरे घाव के निशान को प्रभावित नहीं करता है, इससे जरूरी हमने पाया कि rhPDGF-AB कोलेजन के फाइबर संरेखण और शक्ति को बढ़ाता है। ये हार्ट अटैक के बाद ह्रदय की गतिविधियों को बेहतर बनाने का काम करता है।''
अध्ययन के मुताबिक, विक्टर चेंग कार्डियक रिसर्च इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर रिचर्ड हार्वे पहले भी एक अध्ययन में इस बात को जाहिर कर चुके हैं कि चूहों में हार्ट अटैक के बाद प्रोटीन ह्रदय गतिविधियों को बेहतर बना सकता है।
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