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प्रोस्टेट कैंसर से जुड़े 5 मिथक जिन्हें लोग मानते हैं सही, डॉक्टर से जानें इनकी सच्चाई

Myths About Prostate Cancer: प्रोस्टेट कैंसर पुरुषों में काफी आम है। इसके बारे में समाज में कई मिथ फैले हुए हैं। जानें इनके बारे में
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प्रोस्टेट कैंसर से जुड़े 5 मिथक जिन्हें लोग मानते हैं सही, डॉक्टर से जानें इनकी सच्चाई

Myths About Prostate Cancer: प्रोस्टेट कैंसर पुरुषों में होने वाला सबसे आम कैंसर है। भारत में हर साल 10 लाख से अधिक पुरुष प्रोस्टेट कैंसर का शिकार होते हैं। प्रोस्टेट कैंसर पुरुषों के प्रोस्टेट ग्रंथि को प्रभावित करता है। यह ग्रंथि शुक्राणु कोशिकाओं को ले जाने वाले तरल पदार्थों का उत्पादन करती है। प्रोस्टेट ग्रंथि मूत्राशय के पास स्थिति होता है। प्रोस्टेट ग्रंथि पुरुषों का एक जरूरी हिस्सा होता है, इसलिए यह कैंसर पुरुषों को जीवन को बुरी तरह से प्रभावित करता है। पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर आम होने के वजह से समाज में इसे लेकर कई गलत धारणाएं बनी हुई हैं, जिन्हें अकसर लोग सही मानते हैं। एंड्रोलॉजिस्ट डॉक्टर अनीस कुमार गुप्ता से जानें प्रोस्टेट कैंसर से जुड़े मिथकों की सच्चाई-

प्रोस्टेट कैंसर से जुड़े मिथ (myths about Prostate Cancer)

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मिथक1: प्रोस्टेट कैंसर सिर्फ बुजुर्गों को ही होती है।

सच्चाई: वैसे तो प्रोस्टेट कैंसर 50 साल से अधिक उम्र के पुरुषों में बेहद आम है। लेकिन युवा पुरुष भी इस कैंसर से प्रभावित हो सकते हैं। बढ़ती उम्र में प्रोस्टेट कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। पारिवारिक इतिहास, वजन अधिक होना, खराब लाइफस्टाइल और खराब स्वास्थ्य इसके जोखिम कारक है। 

मिथक2: प्रोस्टेट कैंसर होने पर इसके कोई न कोई लक्षण जरूर दिखाई देते हैं।

सच्चाई: अधिकतर लोगों को लगता है कि प्रोस्टेट कैंसर होने पर कोई न कोई लक्षण जरूर दिखाई देता है, जबकि यह एक मिथ है। क्योंकि प्रोस्टेट कैंसर के शुरुआत या प्रारंभिक अवस्था में इसका कोई लक्षण नहीं दिखाई देता है। समस्या के बढ़ने पर आपको धीरे-धीरे इसके लक्षण दिखाई दे सकते हैं। प्रोस्टेट कैंसर के सामान्य लक्षणों में पेशाब करने में परेशानी, पेशाब या वीर्य में खून आना और इरेक्शन होना शामिल हैं। इसका पता जांच के बाद ही चलता है। 

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मिथक3: प्रोस्टेट कैंसर धीमी गति से बढ़ता है, इसलिए चिंता की जरूरत नहीं है।

सच्चाई: यह सच है कि प्रोस्टेट कैंसर आमतौर पर धीरे-धीरे बढ़ता है। अधिकतर मामलों में यह प्रोस्टेट ग्रंथि तक ही सीमित रहता है। लेकिन कुछ मामलों में कैंसर कोशिकाएं आसपास के अंगों और ऊतकों में भी फैल जाता है। यह रक्त वाहिकाओं और लिम्फ नोड्स के माध्यम से शरीर के अन्य भागों में भी फैल सकता है। इसलिए प्रोस्टेट कैंसर की जटिलताओं से बचने के लिए आप इसकी शुरुआती पहचान करना बहुत जरूरी है। समय पर इलाज न मिलने से प्रोस्टेट कैंसर बढ़ सकता है

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मिथक4: अगर परिवार में किसी को प्रोस्टेट कैंसर नहीं है, तो यह आपको भी नहीं हो सकता।

सच्चाई:  अगर परिवार के किसी सदस्य को प्रोस्टेट कैंसर है, तो आप में भी इस कैंसर के विकसित होने का खतरा बढ़ सकता है। सिर्फ पारिवारिक इतिहास ही प्रोस्टेट कैंसर के खतरे को नहीं बढ़ाता है। जीवनशैली, सामान्य स्वास्थ्य, शरीर का वजन और बढ़ती उम्र प्रोस्टेट कैंसर के सामान्य जोखिम कारक हैं। 

मिथक5: पीएसए परीक्षण एक कैंसर परीक्षण है।

सच्चाई: पीएसए परीक्षण या प्रोस्टेट-विशिष्ट एंटीजन परीक्षण एक नैदानिक परीक्षण है, जो रक्त में प्रोस्टेट-विशिष्ट एंटीजन के स्तर का पता लगाने में मदद करता है। यह एक प्रकार का प्रोटीन है, जो प्रोस्टेट ग्रंथि द्वारा बनाया जाता है। यह कई समस्याओं की प्रतिक्रिया के रूप में उत्पन्न होता है। यह सूजन, संक्रमण (प्रोस्टेटाइटिस), प्रोस्टेट ग्रंथि का बढ़ना कैंसर भी हो सकता है। पीएसए परीक्षण कैंसर के निदान की प्रक्रिया में पहला कदम हो सकता है। पीएसए परीक्षण की वजह से कैंसर का प्रारंभिक अवस्था में आसान पता लगाना आसान बना दिया है। इशसे रोग के निदान जल्दी होने में मदद मिलती है।

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अगर आप भी प्रोस्टेट कैंसर के इन मिथकों को सच मानते हैं, तो आज ही इनकी सच्चाई जान लें और अपने दोस्तों को भी बताएं। 

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