Premenstrual Syndrome Symptoms And Causes: महिलाओं को हर महीने पीरियड्स होते हैं। 9 साल की उम्र से शुरू होने वाले ये पीरियड्स 50 से 52 साल की उम्र तक चलते हैं। ये समय हर महिला में अलग हो सकता है। पीरियड्स 2 दिन से लेकर 7 दिन तक हो सकते हैं। पीरियड्स के समय महिलाओं को कई तरह की समस्याएं होती है जैसे पेट में ऐंठन, थकावट और तनाव। लेकिन क्या आप जानते हैं पीरियड्स शुरू होने के 1 से 2 हफ्ते पहले ही महिलाओं को कई तरह के लक्षण नजर आते हैं, जिसे प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम कहा जाता है। प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम हर महिला में अलग हो सकते हैं। प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम होने पर महिला चिढ़चिढ़ी होने के साथ कई बार तनाव भी महसूस कर सकती हैं। प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम अधिकतर महिलाओं को प्रसव के बाद ज्यादा महसूस होते हैं। प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम के लक्षण और इसके कारण जानने के लिए हमने बात की सौरभ क्लीनिक की गायनोलॉजिस्ट डॉक्टर मंजू कुमारी से।
प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम के लक्षण
- मूड में बदलाव
- भूख कम लगना
- एंग्जाइटी
- सुस्ती
- ज्यादा थकावट
- पेट के निचले हिस्से में भारीपन
- अनिद्रा
- ज्यादा गुस्सा आना
- जोड़ों में दर्द
- माइग्रेन
- पिंपल्स
- अस्थायी रूप से वजन बढ़ना
- पेट फूलना
- कब्ज
- हॉट फ्लैश
- उलटी
- हाथों और पैरों में सूजन
प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम के कारण
अंसुलित हार्मोन
प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम होने कारण असंतुलित हार्मोन हो सकते हैं। इस समय एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन के स्तर में उतार-चढ़ाव होता है, जिस कारण कई तरह समस्याएं बढ़ जाती हैं। कई बार इस कारण पीसीओएस और पीसीओडी होने की संभावना भी कई गुना बढ़ जाती हैं।
सेरोटोनिन हार्मोन में बदलाव
दिमाग में सेरोटोनिन नामक तत्व होता है, जो मूड की स्थितियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सेरोटोनिन का स्तर कम होने से पीएमएस के लक्षण बढ सकते हैं। ये अवसाद, एंग्जाइटी, थकान, खाने की क्रेविग्स और नींद की समस्याओं को भी बढ़ा सकता है।
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प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम से कैसे बचें
नियमित एक्सरसाइज
प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम से बचने के लिए नियमित एक्सरसाइज करें। एक्सरसाइज के अलावा वॉकिंग और स्विमिंग भी की जा सकती है। ऐसा करने से मूड अच्छा रहता है और मूड स्विंग्स के लक्षणों से भी राहत मिलती है। प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम के ल7ण को कम करने के लिए हफ्ते में 5 दिन जरूर एक्सरसाइज करें।
हेल्दी डाइट
महिलाओं को प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम से बचने के लिए हेल्दी डाइट का सेवन जरूर करना चाहिए। डाइट में साबुत अनाज, फल, ड्राई फ्रूट्स और हरी सब्जियों का सेवन जरूर करें। डाइट में नमक की मात्रा को कम रखें। ऐसा करने से शरीर डिहाइड्रेट होने से बचेगा और ब्लोटिंग की समस्या से भी राहत मिलेगी।
तनाव कम करें
प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम से बचने के लिए महिलाओं को तनाव कम से कम लेना चाहिए। तनाव लेने से शरीर में हार्मोन असंतुलित होने के साथ ये प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम की समस्या को बढ़ा सकते हैं। तनाव कम लेने के साथ महिलाओं को स्मोकिंग करने से भी बचना चाहिए।
पीरियड्स शुरू होने से पहले महिलाओं में प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम के कई तरह के लक्षण नजर आते हैं। समस्या बढ़ने पर आप डॉक्टर को भी दिखा सकते हैं।
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