मधुमेह के कई प्रकार में से गर्भावधि मधुमेह भी एक है। गर्भावस्था के दौरान होने वाली यह समस्या घातक भी हो सकती है। इस तरह की समस्या में आप अपना ध्यान रख किसी भी प्रकार के जोखिम से खुद को और गर्भ में पल रहे शिशु दोनों का ख्याल रख सकती हैं।

आपका आहार और शिशु का स्वास्थ्य
गर्भावस्था के दौरान आपके द्वारा किए जाने वाले आहार पर गर्भ में पल रहे शिशु का स्वास्थ्य पूरी तरह निर्भर करता है। ऐसे में आपको अपनी आहार योजना के लिए किसी विशेषज्ञ संपर्क करना चाहिए। हो सके तो आप अपनी आहार सूची बना लें और वजन को नियंत्रित करने का हर संभव प्रयास करें। हालांकि गर्भावस्था के दौरान महिला का वजन बढ़ना आम है। पूरी गर्भावस्था के दौरान महिला का वजन 23 पाउंड से 30 पाउंड तक बढ़ जाता है।
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शारीरिक श्रम के फायदे
गर्भावस्था के दौरान प्रतिदिन 30 मिनट तक हल्का व्यायाम करने या सुबह के समय टहलना बहुत लाभकारी होता है। व्यायाम की थोड़ी मात्रा भी आपके शरीर में इन्सुलिन की सही मात्रा और प्रयोग को मेनटेन करे रखता है। गर्भवती महिलाओं को व्यायाम करने से पहले किसी विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए। विशेषज्ञ से मशविरा किए बिना आप गलत तरीके से भी व्यायाम कर सकती हैं।
स्वास्थ्य जांच
- समय–समय पर चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। यह आपके और होने वाले शिशु दोनों के स्वास्थ्य के लिए ही बहुत जरूरी है। रक्त में शुगर की मात्रा को देखते हुए आप अपने आहार और वजन नियंत्रण के विषय में भी चिकित्सक से परामर्श ले सकती हैं।
- शिशु के विकास के परीक्षण के लिए अल्ट्रासाउंड कराना भी अच्छा विकल्प है। अगर आपका बच्चा सामान्य से बड़ा है तो आपको इन्सुलिन शाट्स लेने की आवश्यकता है।
- गर्भावधि मधुमेह की चिकित्सा का महत्वपूर्ण भाग है रक्त में शुगर की जांच। इसके लिए ग्लूकोजमीटर का प्रयोग आसान और सुरक्षित विकल्प है।
- दिन में एक से दो बार घर पर ही शुगर की जांच करें और इस विषय में चिकित्सक से परामर्श लें।
थोड़ी सी सावधानी बरतकर आप किसी भी तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्या के खतरे से बची रह सकती हैं। साथ ही आप स्वस्थ शिशु को जन्मे दे सकती हैं।
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