हजारों साल के आयुर्वेदिक ज्ञान से मिले इन 5 नियमों को अपनाकर आप भी रहें स्वस्थ, जानें दोषों के लक्षण और उपचार

आयुर्वेद में आपकी हर समस्या का इलाज बताया गया है। जानें कौन से लक्षण किस दोष का हैं संकेत और इसे घर पर ही आयुर्वेदिक नुस्खे से कैसे ठीक करें।
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हजारों साल के आयुर्वेदिक ज्ञान से मिले इन 5 नियमों को अपनाकर आप भी रहें स्वस्थ, जानें दोषों के लक्षण और उपचार

पीएम मोदी ने रविवार को 'मन की बात' में आयुर्वेद के ज्ञान का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था कि दुनिया जल्द ही योग की तरह भारत के आयुर्वेदिक ज्ञान को भी महत्व देगी। ये बात सच है कि भारतीय आयुर्वेद में स्वस्थ जीवन जीने के सभी उपाय बताए गए हैं, जो हजारों सालों के आध्यात्मिक, आत्मिक और वैज्ञानिक ज्ञान से प्राप्त हुए सिद्धांत हैं। देश में कई ऐसे संस्थान हैं जो इन आयुर्वेदिक ज्ञान के उपयोग से मरीजों का इलाज करते हैं। इसके अलावा बहुत सारे छोटे-छोटे उपाय और नुस्खे ऐसे भी हैं, जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक मुंहजबानी ही पहुंचा दिए गए हैं।

कोरोना वायरस के कारण इन दिनों देश लॉकडाउन में है। ऐसे में हम आपको बता रहे हैं रोजाना के खानपान से जुड़े आयुर्वेद के कुछ खास नियम, जिन्हें अपनाकर आप स्वस्थ रह सकते हैं।

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दो गलत चीजें एक साथ खाना है नुकसानदायक

आयुर्वेद एक्सपर्ट डॉ. ज़नखाना बताती हैं कि आयुर्वेद में ऐसे बहुत सारे फूड्स कॉम्बिनेशन बताए गए हैं, जिन्हें एक साथ नहीं खाना चाहिए। गलत आहार समूह के चुनाव से आप बीमार पड़ सकते हैं और आपको पेट दर्द, कब्ज, अपच, गैस, फूड पॉइजनिंग आदि की समस्या हो सकती है।

तरबूज के साथ दूध- इसी तरह दूध और तरबूज का कॉम्बिनेशन भी सेहत के लिए सही नहीं है। दूध लैक्सेटिव स्वभाव का होता है, जबकि तरबूज ड्यूरेटिक होता है। दूध को पचने में ज्यादा समय लगता है और तरबूज को पचने में कम समय लगता है। इसी तरह तरबूज को पचाने के लिए आपकी आंतें जो एसिड बनाती हैं, वो दूध को पचने से रोकता है। इसलिए आयुर्वेद में दूध और तरबूज को भी गलत फूड कॉम्बिनेशन बताया गया है।

दूध के साथ केला- दूध के साथ केला खाने से हो सकती है अपच और बदहजमी की समस्या। इससे आंतों के बैक्टीरिया पर बुरा असर पड़ता है और वो टॉक्सिन्स बनाने लगते हैं, जिससे साइनस, जुकाम, खांसी और एलर्जी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। केले और दूध का स्वभाव अलग है। इस तरह के कॉम्बिनेशन से बचना चाहिए।

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पित्त बढ़ने के लक्षण और घरेलू आयुर्वेदिक इलाज

आयुर्वेदाचार्य डॉ. स्मिता नरम बताती हैं कि सिर दर्द, सीने में जलन, पेट में गैस, त्वचा की समस्याएं गुस्सा आदि सभी पित्त बढ़ने के लक्षण हैं। पित्त को बैलेंस करने के लिए आप 1 चम्मच जीरा, 1 चम्मच धनिया, 1 चम्मच सौंफ और 1 चम्मच देसी घी को मिलाकर बनाया हुआ काढ़ा या हर्बल चाय पी सकते हैं। इस चाय को आप सुबह के समय पिएं। पित्त बढ़ने पर खट्टी और मसालेदार चीजें न खाएं।

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वात बढ़ने के लक्षण और घरेलू आयुर्वेदिक इलाज

डॉ. स्मिता के अनुसार काम में मन न लगना, डर लगना, डिप्रेशन, तनाव, चिंता, सोने में परेशानी, शरीर में अकड़न और दर्द, पेट में गैस की समस्या आदि सभी वात दोष यानी वात बढ़ने के लक्षण हैं। वात दोष को ठीक करने के लिए आप रात को सोते समय खास काढ़ा पी सकते हैं। इसके लिए गर्म पानी में थोड़ी सी अदरक, 1 चम्मच धनिया और 1 चम्मच कैस्टर ऑयल डालकर इसका काढ़ा या चाय बनाकर पी सकते हैं।

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कफ बढ़ने के लक्षण और घरेलू आयुर्वेदिक इलाज

डॉ. स्मिता बताती हैं कि वजन बढ़ना, निर्णय लेने की क्षमता में कमी, चिड़चिड़ापन, बार-बार बलगम आना आदि कफ बढ़ने के लक्षण हैं। कफ दोष को दूर करने के लिए आपको दिन में 2 बार ये खास काढ़ा पीना चाहिए। इसे बनाने के लिए 20 तुलसी की पत्तियां, थोड़ी सी अदरक, 1 कालीमिर्च और छोटा टुकड़ा दालचीनी का मिलाकर इससे चाय का काढ़ा बनाएं। इसे सुबह और शाम पिएं। अगर आपके शरीर में कफ बढ़ गया है तो आपको गेंहूं (या गेंहू से बने उप्ताद), दूध (या दूध से बने उत्पाद) और लाल मांस खाने से परहेज करना चाहिए

अमा बढ़ने के लक्षण और घरेलू आयुर्वेदिक इलाज

डॉ. स्मिता बताती हैं कि अमा दोष या शरीर में अमा टॉक्सिन बढ़ने के लक्षण इस प्रकार हैं- जीभ पर सफेद पर्त दिखना, टॉयलेट में बहुत ज्यादा समय लगना, टॉयलेट करते समय पेट में तेज दर्द होना, वजन बढ़ना, दिनभर थकान लगना, खाना खाने के बाद आलस आना और दिमाग कंफ्यूजन में रहना। अगर आप इस अमा दोष को ठीक करना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको इसे अपने शरीर से बाहर निकालना पड़ेगा यानी शरीर को डिटॉक्स करना पड़ेगा। इसके लिए मूंग की दाल और सब्जियों से बना सूप पिएं और दिनभर गुनगुना पानी पीते रहें। इसके अलावा आपको अमा बढ़ने पर गेंहू (या गेंहू से बने उप्तादों), रेड मीट, तले हुए आहारों से परहेज करना चाहिए।

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