
हर व्रत और त्यौहार में साबूदाना का प्रयोग किया जाता है। व्रत में अनाज का सेवन नहीं किया जाता है है इसलिए लोग आहार के तौर पर साबूदाना लेते हैं। आज हम आपको इस लेख में साबूदाना के फायदे और इससे जुड़ी कुछ सच्चाई
व्रत में ऐसे कई व्यंजन हैं, जिन्हें साबूदाने के उपयोग से बनाया जा सकता है। साबूदाना को कुछ भी बनाने के लिए इस्तेमाल करने से पहले थोड़ी देर के लिए पानी में भिगोया जाता है। चूंकि, साबूदाना विटामिन, प्रोटीन और खनिजों में कम होते हैं, इसलिए इसके पोषक मूल्य को बढ़ाने के लिए इसे अन्य पोषक तत्वों की खुराक के साथ जोड़ा जा सकता है। बहुत से लोग इसके साथ एक तरह की खिचड़ी बनाना पसंद करते हैं। आप तले हुए आलू और सब्जियों के साथ भीगे हुए साबूदाने का उपयोग कर सकते हैं। इसके अलावा, साबूदाना का उपयोग पैनकेक या कचौड़ी बनाने में किया जाता है।
साबूदाना को एक प्रकार का स्टार्च कहा जा सकता है, जो साबूदाने के तने से निकाला जाता है। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि साबूदाना टैपिओका से काफी मिलता-जुलता है। हालांकि, वे दोनों समान नहीं हैं और वास्तव में, दो अलग-अलग पौधों से आते हैं। यह स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है। साबूदाना आपके पाचन को दुरूस्त करता है, साथ ही यह आपके शरीर को पोषण प्रदान करता है। साबूदाने में अच्छी मात्रा में कार्बोहाइड्रेट होता है जो आपको आवश्यक शक्ति प्रदान करता है। यह भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि 100 ग्राम साबूदाने में 350 कैलोरी होती है।
हालांकि, कैलोरी कार्बोहाइड्रेट से आते हैं और इसलिए आपके वजन घटाने की योजना में बहुत हस्तक्षेप नहीं करते हैं। साबूदाना में मौजद स्टार्च पाचन की प्रक्रिया के दौरान ग्लूकोज में परिवर्तित हो जाता है और फिर आसानी से रक्तप्रवाह में अवशोषित हो सकता है। यह अवशोषित ग्लूकोज मस्तिष्क की कोशिकाओं सहित शरीर की सभी कोशिकाओं को ऊर्जा प्रदान करता है जिससे आप पूरे दिन सक्रिय रहते हैं।
व्रत का आहार साबूदाना?
व्रत के दौरान साबूदाना से लड्डू, हलवा, खिचड़ी आदि कई तरह के व्यंजन बनते हैं। इसका उपयोग खासतौर से व्रत-उपवास में किया जाता है। फलों की तुलना में अधिकतर लोग व्रत में साबूदाना ही खाना पसंद करते हैं। लेकिन अगर एक बार आप साबूदाना बनने की प्रक्रिया को जान जाएंगे तो आपके मन में भी यह सवाल जरूर उठेगा, कि क्या साबूदाना सच में मांसाहारी है या फिर फलाहारी? कहीं साबूदाना खाने से व्रत टूट तो नहीं जाता?
शुरुआती तौर पर देखें तो साबूदाना पूरी तरह से प्राकृतिक वनस्पति है। क्योंकि यह सागो पाम के एक पौधे के तने व जड़ में पाए जाने वाले गूदे से बनाया जाता है। लेकिन बाजार में मिलने वाले साबूदाने के निर्माण की जो पूरी प्रक्रिया होती है उसके बाद ये कहना गलत हो जाता है कि ये वानस्पतिक है। क्योंकि इसकी निर्माण प्रक्रिया में ही साबूदाना मांसाहारी हो जाता है।
खासतौर से वे साबूदाने जो तमिलनाडु की कई बड़ी फैक्ट्रियों से बनके आते हैं। दरअसल तमिलनाडु में बड़े पैमाने पर सागो पाम हैं। इसलिए साबूदाना का उत्पादन तमिलनाडु में सबसे ज्यादा होता है। यहां साबूदाना बनाने के लिए कई फैक्ट्रियां हैं, यही बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियां साबूदाना को मांसाहारी बनाती हैं।
कैसे बनता है साबूदाना?
फैक्ट्रियों में सागो पाम की जड़ों को इकट्ठा कर, उसके गूदे से साबूदाना बनाया जाता है। इन गुदों से साबूदाना बनाने के लिए इन गुदों को महीनों तक बड़े-बड़े गड्ढों में सड़ाया जाता है। इन गड्ढों की सबसे खास बात यह है कि ये पूरी तरह से खुले होते हैं। गड्ढों के खुले होने के कारण गड्ढ़ों के ऊपर लगी लाइट्स की वजह से इन गड्ढों में कई कीड़े-मकोड़े गिरते रहते हैं और साथ ही इन सड़े हुए गूदे में भी सफेद रंग के सूक्ष्म जीव पैदा होते रहते हैं।
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अब इस गूदे को, बगैर कीड़े-मकोड़े और सूक्ष्म जीवों से बिना अलग किए, पैरों से मसला जाता है जिसमें सभी सूक्ष्मजीव और कीटाणु भी पूरी तरह से मिल जाते हैं। फिर इन मसले हुए गुदों से मावे की तरह वाला आटा तैयार होता है। अब इसे मशीनों की सहायता से छोटे-छोटे दानों में अर्थात साबूदाने के रुप में तैयार किया जाता है और फिर पॉलिश किया जाता है।
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अब आप ही सोचिए की क्या यह निर्माण प्रक्रिया सही है? क्या आप अब भी मानते हैं कि इस तरह आपके व्रत और उपवास में फलाहार के रूप में प्रयोग किया जाने वाला साबूदाना, कीट-पतंगों समेत शाकाहारी है?
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