पार्किंसन एक जटिल समस्या है, जिससे दुनियाभर में करीब 10 मिलियन लोग पीड़ित हैं। यह एक प्रकार का मानसिक विकार है, जिसमें चलने-फिरने या फिर बॉडी मूवमेंट करने में कठिनाई हो सकती है। इसके लक्षणों से इस बीमारी को आसानी से पहचाना जा सकता है। लेकिन हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के शोधकर्ताओं द्वारा की गई एक स्टडी के मुताबिक पार्किंसन बीमारी के लक्षणों का पता अब 20 से 30 साल पहले ही लगाया जा सकेगा। आइये जानते हैं।
क्या कहती है स्टडी?
यह स्टडी फ्लोरे इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंस एंड मेंटल हेल्थ (Florey Institute of Neuroscience and Mental Health) द्वारा की गई है, जिसमें शोधकर्ताओं ने बताया कि पार्किंसन बीमारी के लक्षणों को अब समय से काफी भी जांचा जा सकेगा। दरअसल, F-AV-133 नामक एक बायोमार्कर तैयार किया गया है, जिसे स्कैन कर पार्किंसन के लक्षणों और इस बीमारी में होने वाली न्यूरोडीजनरेशन का पता लगाया जा सकेगा। F-AV-133 एक प्रकार के डिटेक्टिंग एजेंट के तौर पर शरीर में पहुंचकर न्यूरोडीजनरेशन को डिटेक्ट करता है, जिससे इस बीमारी के लक्षण आसानी से पता लग सकते हैं।
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पार्किंसन बीमारी के लक्षण
- पार्किंसन बीमारी होने पर शरीर में कई प्रकार के लक्षण देखे जा सकते हैं।
- इस स्थिति में हाथ-पैर में कंपकंपी हो सकती है।
- इस बीमारी में कंधे, गर्दन के साथ ही कमर के आस-पास के हिस्सों में जकड़न भी बनी रह सकती है।
- इस स्थिति में मरीज ठीक तरह से चलने-फिरने या बॉडी मूवमेंट करने में भी कठिनाई महसूस कर सकता है।
- पार्किंसन के रोगियों को दिमाग और शरीर के बीच संतुलन बनाने में भी कठिनाई महसूस हो सकती है।
- कई बार मरीज को बोलने में भी कठिनाई हो सकती है।
पार्किंसन बीमारी से बचने के तरीके
- पार्किंसन बीमारी से बचने के लिए नियमित तौर पर एक्सरसाइज और योग करें। ऐसे में एरोबिक एक्सरसाइज करना फायदेमंद हो सकता है।
- पार्किंसन बीमारी से बचने के लिए हेल्दी खान-पान के साथ ही संतुलित डाइट लें।
- इसके लिए स्ट्रेस को मैनेज करें साथ ही साथ भरपूर नींद लें।
- इसके लक्षण दिखने पर नजरअंदाज करने के बजाय तत्काल रूप से चिकित्सक की राय लें।