कैंसर में व्यक्ति के शरीर की कोशिकाएं नष्ट होने लगती है। इसके साथ ही अंग भी धीरे-धीरे कार्य करना बंद कर देते हैं। लेकिन समय रहते यदि इस बीमारी का इलाज शुरु कर दिया जाए तो रोग की गंभीरता को कम किया जा सकता है। कैंसर कई तरह के होते हैं इसमें से पैंक्रियाटिक कैंसर एक है। कैंसर की जांच से रोग का पता लगाया जाता है, लेकिन शुरूआत में कैंसर का पता लगाना बेहद कठिन होता है। पैंक्रियाटिक कैंसर में पैंक्रिया की कोशिकाओं में कैंसर होने लगता है। पैंक्रिया पेट के पिछले हिस्से में मौजूद अंग है। इसके कैंसर में रोगी को कई तरह के लक्षण महसूस होने लगते हैं, लेकिन कुच सामान्य लक्षण को आप खुद ही महसूस कर सकते हैं।
पैंक्रियाटिक कैंसर के कारण
पैंक्रियाटिक कैंसर का इलाज बेहद ही जटिल है। इसकी जटिलता की वजह से इस रोग में मरीजों के ठीक होने का प्रतिशत बेहद कम है।
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जब पैंक्रिया की कोशिकाओं का डीएनए क्षतिग्रस्त हो जाता है, तो उसके कार्य में बदलाव आने लगता है। कोशिकाओं के बदलाव की वजह से ट्यूमर उत्पन्न हो जाता है, जो बाद में शरीर के अन्य भागों में भी फैलने लगता है।
पैंक्रियाटिक कैंसर के शुरुआती लक्षण
पैंक्रियाटिक कैंसर के शुरुआती लक्षण को रोगी को एल्कोहलिक स्टूल की समस्या हो सकती है। इस समय मरीज के बाइल डक्ट में दबाव उत्पन्न होता है और उसे आंतों तक पहुंचने में बाधा उत्पन्न होती है। इसकी वजह से मरीज को पीलिया होने लगता है। इससे व्यक्ति की त्वचा पीली, आंखे, पेशाब व स्टूल का रंग पीला हो जाता है।
मैक्स अस्पताल, (शालिमार बाग) के सर्जिकल ऑनकॉलोजी के एसोसिएट डायरेक्टर डॉ. पंकज पाडेय के अनुसार इस रोग के शुरुआती लक्षण में मरीज को पेट के पिछले हिस्से में हल्का दर्द महसूस होता है। भूख कम लगती है, त्वचा में खुजली व डायबिटीज में समस्या होने लगती है।
पैंक्रियाटिक कैंसर पैंक्रिया की संरचना और कार्यशैली को प्रभावित करता है। पैंक्रिया में जो एंजाइम्स वसा को पचाने का कार्य करते है उनके निकलने में बाधा उत्पन्न होती है। जिससे आंतों के अंदर वसा के टूटने की क्रिया बाधित होती है। इसे एंजाइम्स की कमी के रूप में जाना जाता है। एंजाइम्स की कमी की वजह से पीला, वसायुक्त, चिकना व एल्कोहलिक स्टूल पास होता है।
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इसके अलावा भी पैंक्रियाटिक कैंसर के अन्य लक्षण होते हैं।
- वजन तेजी से कम होना
- आंखों का पीला होना (पीलिया की समस्या)
- पेट में दर्द होना
- गैस व पाचन में बाधा होना, आदि।
इस तरह के लक्षण दिखाई देने पर मरीज को तुरंत डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए। डॉक्टर लक्षणों के आधार पर मरीज के टेस्ट करते हैं और रोग की पुष्टि करते हैं।
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