जब दिल सही तरीके से काम नहीं करता है और फेल होने लगता है तो दिल की धड़कन को सामान्य करने के लिए पेसमेकर का सहारा लिया जाता है। पेसमेकर को रीचार्ज करने के लिए बैटरी को एक निश्चित समय पर बदलना पड़ता है। लेकिन हाल ही में वैज्ञानिक एक ऐसा आधुनिक पेसमेकर विकसित कर रहे हैं जो दिल से रीचार्ज हो जायेगा।
दरअसल यह प्रगति एक पीजोइलेक्ट्रिक सिस्टम पर आधारित है जो कि सीने के भीतर हर धड़कन पर पैदा होने वाली कंपन उर्जा को विद्युत उर्जा में बदलने की क्षमता रखता है। इस तरह पेसमेकर को जरूरी उर्जा उपलब्ध कराई जा सकती है।
बफेलो यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड अप्लाइड साइंसेज के वैज्ञानिक इसपर शोध कर रहे हैं। इस यूनिवर्सिटी में मैकेनिकल इंजीनियरिंग के सहायक प्रोफेसर एम. अमीन करामी ने कहा, ‘हम ऐसी तकनीक बना रहे हैं, जिसके जरिए पेसमेकरों को उसी दिल से एनर्जी मिल जाएगी, जिसे वह नियंत्रित कर रहे हैं।’
शोधकर्ताओं ने कहा कि यह तकनीक उन चिकित्सीय जोखिमों, लागतों और असुविधाओं को खत्म कर सकती है, जो दुनियाभार के लाखों लोगों को हर पांच से 12 साल पर बैटरी बदलने के लिए उठानी पड़ती हैं। नए बिना तार वाले उपकरण में लीड की जरूरत नहीं होती क्योंकि यह दिल के अंदर होता है। यह इसके खराब हो जाने की संभावना भी खत्म करता है। लेकिन यह उपकरण अब भी चलता बैटरी से ही है।
ये बैटरी उन्हीं बैटरियों की तरह बदलती है जिनका इस्तेमाल पारंपरिक पेसमेकरों में होता है। दिल की धड़कन से पैदा होने वाली एनर्जी पर आधारित पेसमेकर बनाने का ख्याल करामी को उस समय आया, जब वह मानवरहित वायुयानों एवं पुलों के लिए पीजोइलेक्ट्रिक अनुप्रयोगों पर शोध कार्य (पीएचडी) कर रहे थे। वह इस जानकारी को शरीर पर भी इस्तेमाल करना चाहते थे। दिल की तुलनात्मक शक्ति एवं लगातार गति के कारण वह एक स्वाभाविक विकल्प था।
Image Source - Getty
Read More Health News in Hindi