36 घंटों में 8 करोड़ लोगों को मौत के घाट उतार सकती है फ्लू जैसी ये बीमारी, विशेषज्ञों ने जारी की चेतवानी

ग्लोबल प्रीपेयरडनेस मॉनिटरिंग बोर्ड (जीपीएमबी) ने चेतावनी दी है कि विश्व, पैंडेमिक बीमारी के बड़े खतरे का सामना कर रहा है, जिसके कारण लाखों लोग अपनी जान गंवा सकते हैं और विश्व अर्थव्यवस्था को भारी संकट का सामना करना पड़ सकता है। 
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36 घंटों में 8 करोड़ लोगों को मौत के घाट उतार सकती है फ्लू जैसी ये बीमारी, विशेषज्ञों ने जारी की चेतवानी

विश्व, पैंडेमिक बीमारी के बड़े खतरे का सामना कर रहा है, जिसके कारण लाखों लोग अपनी जान गंवा सकते हैं और विश्व अर्थव्यवस्था को भारी संकट का सामना करना पड़ सकता है। एक अंतर्राष्ट्रीय पैनल ने चेतावनी देते हुए सरकारों को इसके लिए तैयार रहने और खतरे को कम करने की दिशा में काम करने की सलाह दी है। विश्व बैंक और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) द्वारा सह आयोजित एक सम्मेलन में ग्लोबल प्रीपेयरडनेस मॉनिटरिंग बोर्ड (जीपीएमबी) ने चेतावनी दी कि इबोला, फ्लू और सार्स जैसी महामारी फैलाने वाली संक्रमण बीमारियों को विश्व में प्रबंधित करना तेजी से बहुत मुश्किल हो रहा है। और इसके पीछे लंबे वक्त से चल रहे संघर्ष, संकटग्रस्त देश और जबरन विस्थापन मुख्य कारण है।

समूह ने बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा, '' विश्व में पैंडेमिक का फैलता खतरा वास्तव में बहुत गंभीर है। तेजी से फैलने वाली इस बीमारी में लाखों लोगों को मौत के घाट उतारने, अर्थव्यवस्थाओं को बाधित करने और राष्ट्रीय सुरक्षा को अस्थिर करने की क्षमता है।''

रिपोर्ट में कहा गया, ''हालांकि कुछ सरकारी और अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों ने पश्चिम अफ्रीका में 2014 से 2016 के दौरान विनाशकारी इबोला आउटब्रेक जैसी घातक बीमारी से सतर्क और तैयार रहने के लिए कई प्रयास किए थे लेकिन यह प्रयास समग्र रूप से अपर्याप्त है।''

डब्लूएचओ के पूर्व हेड और बोर्ड के सह अध्यक्ष ग्रो हार्लेम ब्रुंडेटलैंड ने कहा कि रोग और स्वास्थ्य आपात स्थिति के लिए वर्तमान दृष्टिकोण आतंक और उपेक्षा के चक्र की एक विशेषता है।

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रिपोर्ट में 1918 'स्पैनिश फ्लू' पैंडेमिक का हवाला दिया गया, जिसके कारण करीब 5 करोड़ लोगों ने अपनी जान गंवाई थी। चूंकि हर रोज बड़ी संख्या में लोग विमान के जरिए विश्व भर में घूम रहे हैं, जिसके कारण हवा जनित यह बीमारी 36 घंटों से कम समय के भीतर विश्व भर में फैल सकती है और करीब 5 से 8 करोड़ लोगों को मौत के घाट उतार सकती है और विश्व की करीब 5 फीसदी अर्थव्यवस्था को तबाह कर सकती है।

पैंडेमिक के मामले में कई राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणालियां, विशेषकर गरीब देशों में बुरी तरह से ढह जाएंगी।

विश्व बैंक के कार्यकारी चीफ एक्जीक्यूटिव और पैनल के एक सदस्य  एक्सल वैन ट्रोटसेनबर्ग ने कहा, '' गरीबी और नाजुकता संक्रमण रोगों के फैलने का एक कारण है। जबकि मदद पैंडेमिक जैसी बीमारी को रोक कर रखने के लिए स्थिति की रचना करती है।''

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डब्लूएचओ के डायरेक्टर जनरल टेड्रोस अधानोम ने कहा कि इन बीमारियों का प्रकोप हमें सिखा रहा है और उन्होंने सरकारों से खतरा फैलने से पहले बचाव के तरीके ईजाद करने का आह्लान किया। उन्होंने कहा कि विश्व भर की सरकारों को स्वास्थ्य तंत्र को मजबूत बनाने में निवेश करने, नई तकनीकों में शोध के लिए फंड बढ़ाने, बेहतर समन्वय, संचार प्रणालियों में तेजी और लगातार निगरानी रखने की बात पर जोर दिया।

डब्लूएचओ ने इस साल की शुरुआत में यह भी चेतावनी दी थी कि पैंडेमिक फ्लू (हवा जनित वायरस के जरिए फैलता है) का अन्य रूप अपरिहार्य है और विश्व को इसके लिए तैयार रहना चाहिए।

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