भारत में हर साल लाखों लोग ह्रदय रोगों के कारण अपनी जान गंवाते हैं इसलिए लोगों के लिए यह जानना बेहद जरूरी हो गया है कि अपने दिल को कैसे स्वस्थ रखें। बेकर हार्ट एंड डायबिटीज इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक नए अध्ययन में यह सामने आया है कि हार्ट अटैक के बाद ह्रदय रोगी विटामिन ई के जरिए अपने दिल की कमजोरी को दूर कर सकते हैं और अपने दिल को दुरुस्त रख सकते हैं।
शोधकर्ता कार्लहींज पीटर का कहना है, ''विटामिन ई और इसके यौगिक सबसे प्रभावकारी एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी एजेंटों में से एक है।'' शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन की जांच के लिए हार्ट अटैक के लक्षण वाले चूहों को शामिल किया और प्रत्येक को अल्फा-ट्रॉफिक्ल नाम के विटामिन ई के सबसे ताकतवर और सबसे दमदार एंटीऑक्सीडेंट का इंजेक्शन लगाया। इंजेक्शन लगाने के एक घंटे बाद उनके दिल पर क्या प्रभाव पड़ा, इसकी जांच की गई।
अध्ययन के निष्कर्षों में पाया गया कि विटामिन ई चूहों के ह्रदय की गतिविधियों में बेहतर तरीके से सुधार करता है और क्षतिग्रस्त ऊत्तकों को उबरने में मदद करता है। दरअसल हार्ट अटैक के बाद मरीजों में मांसपेशियां क्षतिग्रस्त हो जाती है और इनसे उबर पाना मुश्किल हो जाता है।
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शोधकर्ताओं ने इंसानी मरीजों पर जांच जारी रखने की आशा जताई है ताकि हार्ट अटैक के बाद तेजी से उबरने के लिए प्रभावकारी और किफायती दोनों ही तरीकों का ईजाद किया जा सके।
शोधकर्ता मारिया वॉलर्ट ने कहा, ''जैसा कि सभी जानते हैं कि वर्तमान में कार्डियक डैमेज को कम करने के लिए कोई दवा मौजूद नहीं है, इसके मद्देनजर ह्रदय स्वास्थ्य पर हमारे निष्कर्ष के संभावित प्रभाव बेहद ही महत्वपूर्ण होंगे।''
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जरूरी है बचाव
येल के शोधकर्ताओं ने हालांकि पाया है कि हार्ट अटैक उतना घातक नहीं रहा, जितना कि 1990 में हुआ करता था। उन्होंने लोगों के लिए खुद को स्वस्थ रखना सुनिश्चित करने के लिए जहां तक संभव हो सके बचावकारी उपाय अपनाना बेहद जरूरी हो गया है।
हालांकि यह सुनने में बेहद सहज मालूम पड़ता है कि हालिया अध्ययनों में बताया गया है डाइट और एक्सरसाइज दोनों ही हार्ट अटैक से बचाव में लोगों के लिए एक बेहद कारगर तरीका है। शोधकर्ताओं का कहना है कि फिटनेस में मामूली सी वृद्धि स्वास्थ्य पर बड़ा प्रभाव डाल सकती है।
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